पॉलिटॉक्स ब्यूरो. बीजेपी के राजस्थान अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा ‘मुझे नहीं पता मेरे माता पिता कहां पैदा हुए’. मुझे तो पता है कि मेरे माता पिता कहां पैदा हुए लेकिन अगर मुख्यमंत्री को ये नहीं पता कि उनके माता पिता कहां पैदा हुए, तो ये बेहद शर्मनाक बात है. एक पत्रकार के पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस वार्ता के दौरान ये बात कही. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि प्रदेश का मुखिया शहीद स्मारक को शाहीन बाग कहता है तो मुझे लगता है इससे शर्मनाक बात कोई हो नहीं सकती. केवल वोट बैंक के लिए ऐसा करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए प्रेस वार्ता में सतीश पूनियां ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में नरकीय जीवन जी रहे कई हिंदू परिवारों को सम्मानजनक जीवन जीने और उन्हें भारत की नागरिकता दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सीएए कानून को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पारित कराया. लोकसभा में सात और राज्यसभा में घंटे बहस के बाद इसे कानून का रूप दिया गया. लोकसभा में इसके पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े जबकि राज्यसभा में पक्ष में 125 तो विपक्ष में 99 वोट पड़े. वैसे तो ये एक ऐतिहासिक फैसला है लेकिन फिर भी कांग्रेस इसे वोटबैंक की राजनीति के तौर पर ले रही है.
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पूनियां ने कहा कि उक्त तीनों देशों में रह रहे हिंदूओं में 65 फीसदी आबादी भील और मेघावालों की है, चूंकि कांग्रेस का आधार अब देश में खिसकता शुरु हो गया है और उनकी स्थिति क्षेत्रीय दलों से भी कमतर रह गई है, ऐसे में देश की सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी चुनौती देने का काम ये कांग्रेस पार्टी कर रही है. ऐसा करके उनकी बौखलाहट सामने आ रही है. पूनियां ने कहा कि ग्रेस के कई विद्वान नेता जैसे सलमान खुर्शिद, शशि थरूर, जयराम रमेश और कपिल सिब्बल ने कई बार इस बात को कहा है कि संसद द्वारा पारित कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारे बाध्य हैं. यहां तक की राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उदयपुर के मीरा महिला कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कानून पारित करना राज्य सरकार का नैतिक कर्तव्य है. बावजूद इसके कांग्रेस ने सीएए कानून के खिलाफ विधानसभा में संकल्प पत्र पास करा लिया.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने आगे कहा कि ये विरोध की रश्म अदायगी तक तो ठीक है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तरह से प्रदेश को अराजकतावाद में धकेलने की कोशिश की है. पूनियां ने कहा कि किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री इतना अभिमानी हो जाए कि संसद से पारित कानून को भी न माने तो समझ सकते हैं कि प्रदेश कहां जा रहा है. पूनियां ने सीएम गहलोत के शहीद स्मारक पर जाने को लेकर तंज कसते हुए कहा कि हाल में मुख्यमंत्री शहीद स्मारक गए. वहां कुछ राजनीति से प्रेरित लोगों ने शहीद स्मारक को शाहीन बाग बनाने की कोशिश की. खुद सीएम गहलोत ने अपने मुख से शहीद स्मारक को शाहीन बाग बताया जो न केवल शर्मनाक एवं निंदनीय है अपितु शहीदों का अपमान भी है.
पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद प्रदेश में कई जगह इस तरह के कदम उठाए गए हैं जो चिंता का विषय है. इसका लाभ कई लोग उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पूनियां ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान एक शांत प्रदेश माना जाता था लेकिन सवा साल में ढाई लाख मुकदमे बलात्कार, हत्या आदि के दर्ज हुए हैं. उनका खुद का गृह क्षेत्र तक सुरक्षित नहीं है. सीएम के इस तरह के कृत्यों के बाद प्रदेश भर में ऐसे कई धरने शुरु हो गए या उन्हें बढ़ावा मिला. पूनियां ने 21 जनवरी को टोंक में हुए धरने का भी जिक्र किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अशोभनीय बातें कही गई थी. जब इसकी शिकायत की गई तो पुलिस ने उनकी एफआईआर तक नहीं लिखी.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने प्रेस वार्ता में पीएफआई और सिमी के कनेक्शन का जिक्र करते हुए कहा कि इन पैसों का इस्तेमाल ऐसे कई धरना प्रदर्शनों में किया जाता है. ऐसे धरनों की जब मुख्यमंत्री जैसा संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति हौसला अफजाई करता है तो इससे निंदनीय कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि प्रदेश का मुखिया जब इतना गिर जाए इसकी तो कल्पना भी नहीं हो सकती. पूनियां ने ये भी कहा कि जब प्रदेश का मुखिया प्रदेश को शहरगाह बना देगा तो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अराजकतावादी तत्व जैसे चंद्रशेखर रावण भी आएगा और उमर खालिद भी. उन्होंने रावण की उस बात का भी जिक्र किया जिसमें उसने कहा था कि हम राजस्थान में और देश में ऐसे पांच हजार शाहीन बाग बना देंगे.
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पूनिया ने ये भी कहा कि रावण और टुकड़े टुकड़े गैंग से संबंध रखने वाले उमर खालिद के इस तरह के बोल साफ साफ संकेत देते हैं कि ये एक नेटवर्क है और इसके सरगना कोई और नहीं बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. उनकी ही सरपरिस्थिति में ऐसे कार्य किए जा रहे हैं. पूनियां ने गहलोत के डिटेंशन सेंटर जाने की बात का हवाला देते हुए कहा कि वे ये बताएं कि इसकी नौबत कब और कैसे आईं, इसका कोई उल्लेख कहीं नहीं है.
पूनियां ने ये भी कहा कि एक समुदाय विशेष के लिए इस तरह की बातें कहना और गुमराह और डर पैदा करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि चंद लोगों की भावनाएं प्रदेश की सात करोड़ जनता की भावनाएं बिलकुल नहीं हैं. ऐसे में मैं सीएम गहलोत से कहना चाहूंगा कि वे शांत राजस्थान को अशांत राजस्थान न बनने दें और न ही इस तरह की घटनाओं की पुनर्वति हो.