पॉलिटॉक्स ब्यूरो. अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में अंतिम सुनवाई निर्धारित समय से एक दिन-एक घंटा पहले बुधवार को पूरी हो गई है. आज हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने अपनी जिरह समाप्त की. हिंदू पक्ष के वकीलों को 45-45 मिनट और मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) को डेढ़ घंटे का समय दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया. अब राम मंदिर (Ram Mandir) और बाबरी मस्जिद विवादित जमीन का फैसला अगले महीने की 17 तारीख से पहले किसी भी दिन आ जाएगा. सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंड पीठ ने इस मुद्दे पर फैसले के लिए एक महीने का समय मुकर्रर किया है.
बुधवार को अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में 40वें दिन की सुनवाई के दौरान एक जोरदार बहस देखने को मिली. हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जैसे ही अपनी दलीलें देना शुरू किया तो सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के साथ उनकी तीखी तकरार हो गई. इतना ही नहीं, कोर्ट की कार्यवाही के बीच धवन ने विकास सिंह द्वारा पेश किए गए एक नक्शे को फाड़ दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस नक्शे को पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब ‘Ayodhya Revisited’ से निकालकर अदालत में पेश किया था. 2016 में प्रकाशित हुई इस किताब में तीन नक्शे हैं जहां पर जन्मस्थान की सही जगह अंकित है. ये नक्शे इस संदर्भ में पेश किए गए थे क्योंकि कोर्ट में वास्तविक डिबेट इसी विषय पर है कि राम जन्मभूमि का सही जन्मस्थान कहां है.
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इस किताब में ये भी लिखा हुआ है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) को 1528 में मीर बाकी ने नहीं बल्कि 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने ध्वस्त किया था. इस किताब में नक्शों के साथ दो शिलालेखों का भी जिक्र किया हुआ है जिससे साबित होता है कि अयोध्या राम मंदिर को बाबर से निर्देश के बाद मीर बाकी ने तोड़ा था लेकिन ये दोनों छूठे हैं. इस किताब में कहा गया है कि बाबर एक उदार शासक था और विवादित बाबरी मस्जिद के निर्माण में उसका कोई रोल नहीं था.
किशोर कुणाल की इस किताब में इस बात के भी पर्याप्त सबूत हैं कि विवादित स्थल पर ही राम मंदिर विराजमान था. किताब में कहा गया है कि बुकानन के रिकॉर्ड्स के मुताबिक औरंगजेब के शासनकाल में अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े गए थे. किशोर कुणाल के मुताबिक राम मंदिर के दावे को साबित करने के लिए इस किताब में पहली बार 12 नये दस्तावेज जोड़े गए हैं. इस किताब में ये तर्क भी दिया गय है कि बाबरनामा में मंदिर को तोड़ने और मस्जिद को बनाने का कोई जिक्र किया ही नहीं गया है. बता दें, लेखक किशोर कुणाल की किताब ‘Ayodhya Revisited’ को अदालत में रिकॉर्ड के तौर पर स्वीकार किया गया है.
गौरतलब है कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित जमीन मामले (Ayodhya Case) में मध्यस्था के लिए एक पैनल गठित किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीफुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू और अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर शामिल थे. मध्यस्थता पैनल ने इस विवाद से जुड़े पक्षकारों से 155 दिनों तक मामले का समाधान निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त, 2019 से इस मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया. बता दें, 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराया गया था. उस वक्त कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे.
सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना अयोध्या मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.
अयोध्या मामले में चली सुप्रीम कोर्ट इतिहास की दूसरी सबसे लंबी सुनवाई
अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबी चली दूसरी सुनवाई है. अयोध्या मामले की सुनवाई कुल 40 दिन चली. इससे पहले मौलिक अधिकारों को लेकर केशवानंद भारतीय बनाम केरल केस में 13 जजों की पीठ ने पांच महीने में 68 दिन सुनवाई की थी. 38 दिनों की सुनवाई के साथ 2017 में आधार की अनिवार्यता का केस है.