पॉलिटॉक्स न्यूज/हरियाणा. प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्रवासी मजदूरों को वापिस लाने के चलते एक अहम फैसला लिया है. अब प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को हरियाणा में आने का बसों का किराया प्रदेश सरकार वहन करेगी. इसके तहत 1500 रुपये की सहायता प्रदेश सरकार द्वारा दी जाएगी. यह जानकारी प्रदेश के डिप्टी सीएम और जजपा के चीफ दुष्यंत चौटाला ने दी है. पंचकुला के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हुई श्रम कल्याण बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. बैठक में प्रवासी मजदूरों को किराया देने के अलावा मजदूरों के कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की मंजूरी का निर्णय निदेशालय स्तर पर लेने का फैसला भी लिया गया. बोर्ड ने यह निर्णय योजनाओं में पारदर्शिता लाने के मकसद से किया है.
दरअसल, कोरोना महामारी के चलते प्रदेश के बाहर गए प्रवासी मजदूरों को प्रदेश में वापिस बुलाने के लिए प्रदेश सरकार ने ये अहम निर्णय लिया है. जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने बताया कि निर्माण क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक प्रवासी मजदूर को किराए के रुप में 1500 रुपए तक की प्रदेश सरकार द्वारा सहायता दी जाएगी. डिप्टी सीएम ने कहा कि भवन व अन्य निर्माण कार्यों से जुड़ी पंजीकृत कंपनियां दूसरे प्रदेशों के मजदूरों को अपने यहां काम देने के लिए लाना चाहती है. इसके लिए सरकार न केवल मजदूरों को सुविधाएं देगी, बल्कि उन्हें आने के लिए अधिकतम 1500 रुपए प्रत्येक श्रमिक के हिसाब से किराया भी वहन करेगी. सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली यह राशि प्रदेश में पहुंचते ही तुरंत प्रभाव से श्रमिक को उपलब्ध करवाई जाएगी. खट्टर सरकार यह सुविधा आगामी दो माह तक प्रदान करेगी.
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हरियाणा की बीजेपी सरकार एक जिले से दूसरे जिलों में भवन व अन्य निर्माण कार्यों के लिए जाने वाले श्रमिकों को बस पास की सुविधा देने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है. सरकार श्रमिकों को दूसरे प्रदेश से हरियाणा में लाने के लिए सरकारी बसों की सुविधा भी उपलब्ध करवा सकती है. छात्रों की तर्ज पर श्रमिकों को बस पास सुविधा देने को लेकर राज्य परिवहन विभाग के साथ श्रमिक कल्याण बोर्ड की बात चल रही है. बस पास योजना के तहत एक माह तक ऐसे श्रमिकों की पास की सुविधा दी जाएगी जो दूसरे जिलों में काम कर रहे हैं.
खट्टर सरकार का ये कदम सराहनीय बताया जा रहा है लेकिन अन्य प्रवासी मजदूर जो अन्य तरह का काम करते हैं, उनके लिए ऐसा कोई निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है जो थोड़ा सोचनीय है. ऐसे में निर्माण से जुड़े प्रवासी मजदूर के लिए तो ये योजना फायदे का सौदा है लेकिन अन्य मजदूरों में निराशा घर कर सकती है.