लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी के हौंसले सातवें आसमान पर है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को लेकर मिशन 75 प्लस का नारा दिया है. हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं और बीजेपी ने 75 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. अब सवाल यह है कि बीजेपी का मिशन 75 प्लस सफल हो सकता है या नहीं.
ऐसा ही कुछ सवाल पत्रकारों ने मनोहरलाल खट्टर से भी पुछा था. सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि कहा हमने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. अगर आप लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा-वार देखें तो हमने विधानसभा की 89 सीटों पर जीत दर्ज की है. लोकसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि यह लक्ष्य हमारे लिए आसान है. हम इसे आसानी से प्राप्त कर लेंगे.
हरियाणा में यह लक्ष्य जनता पार्टी ने 1977 में हासिल किया था. जनता पार्टी ने आपातकाल के बाद हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 75 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी विधानसभा चुनाव को लेकर उत्साहित नजर आ रही है. इस आत्मविशावस की कई वजह हैं.
मोदी लहर का भरोसाः
बीजेपी को लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी मोदी का जादू मतदाताओं पर चलने का भरोसा है. बीजेपी को भरोसा है कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में मोदी के नाम पर जातिगत मुद्दे गौण हुए थे, ठीक उसी प्रकार विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी पार्टियों का जाति कार्ड नहीं चलेगा.
जाट-नॉन जाटः
जाट आंदोलन के बाद प्रदेश का माहौल बिल्कुल अलग हो चुका है. जहां जाट मतदाता बीजेपी से पुरी तरह नाराज नजर आ रहे है. वहीं नॉन जाट मतदाता बीजेपी के पक्ष में मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे है. लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत में इसका सबसे बड़ा योगदान रहा है.
बिखरी कांग्रेसः
प्रदेश कांग्रेस वर्तमान में गहरी गुटबाजी में उलझी हुई है. लोकसभा चुनाव में पार्टी के नेता पार्टी को जिताने के लिए नहीं, दूसरे धड़े के नेताओं को हराने में मेहनत करते दिख रहे हैं. हरियाणा कांग्रेस के नेताओं का समय केवल एक-दूसरे को कमजोर करने में ही गुजरता है न कि पार्टी को मजबूत करने में. हरियाणा में कांग्रेस की कमान अशोक तंवर के हाथ में है जो खुद सिरसा से बुरी तरह से चुनाव हार बैठे हैं. पार्टी के विधायक लंबे समय से तंवर को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक विधायकों की मांग को पार्टी आलाकमान अनसुना कर रहा है.
इनेलो की टूटः
प्रदेश की सियासत में अहम हिस्सेदारी रखने वाली ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) वर्तमान में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. टूट के बाद पार्टी के हालात बहुत बुरे हैं. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में उसके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है.