कश्मीर का राज्यपाल रहते इतना बोला जाता तो मेरे घर ED-इनकम टैक्स वाले पहुंच जाते- सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल का बड़ा खुलासा- कश्मीर का राज्यपाल रहते मेरे सामने आई थी दो फाइलें, एक में था अंबानी का नाम शामिल, तो दूसरी में RSS के बड़े पदाधिकारी का था नाम और दोनों क्लियर करने पर 300 करोड़ की थी ऑफर, बाकी जगह 5% होगा तो कश्मीर में मांगा जाता है 15% कमीशन, लेकिन मैं सीना ठोक कर कह सकता हूं, प्रधानमंत्री के पास सारी संस्थाएं हैं, मेरी जांच करा लें- सत्यपाल मलिक

मलिक का मोदी सरकार पर निशाना
मलिक का मोदी सरकार पर निशाना

Politalks.News/NewDelhi. अपनी बेबाकी के लिए सुर्खियों में रहन वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व और वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर जबरदस्त सुर्खियों में हैं. हाल ही में झुंझुनूं दौरे पर आए सत्यपाल मलिक ने खुद को दी गई 300 करोड़ की घूस का खुलासा करते हुए कहा कि जब वो जम्मू कश्मीर के गवर्नर के पद पर थे तब अंबानी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक से जुड़े एक युवक की फाइल को क्लीयर करने के एवज में उन्हें 300 करोड़ रुपए की घूस की पेशकश की गई थी. वहीं इसके साथ ही मलिक ने एक बार फिर केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि यदि किसान आंदोलन जारी रहा तो वह पद छोड़कर किसानों के साथ खड़े होने को तैयार हैं. यही नहीं सत्यपाल मलिक के वायरल हो रहे एक वीडियो में वो साफ कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘अगर मैंने जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए किसान आंदोलन का समर्थन किया होता तो आज मेरे घर पर भी IB, CBI इनकम टैक्स के छापे पड़ रहे होते‘.

दरअसल, बीती 17 अक्टूबर को झुंझुनू में एक सम्मान समारोह में शिरकत करने पहुंचे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वहां मौजूद जनता के सामने अपने कार्यकाल के अनुभव को साझा किया. इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए अंबानी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक पदाधिकारी के इन्वॉल्वमेंट वाली दो डील कैंसिल करने की बात कही थी. मलिक ने उस समय का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जब मैं कश्मीर का राज्यपाल बना तो मेरे सामने दो फाइलें आईं. उनमें से एक मामले में अंबानी इन्वॉल्व थे तो दूसरे मामले में संघ के बड़े पदाधिकारी का नाम था. एक महबूबा सरकार के मंत्री थे, जो खुद को प्रधानमंत्री के नजदीक बताते थे. मुझे दोनों विभागों के सेक्रेटरी ने बताया कि इसमें घपला है और मैंने तुरंत ही दोनों डील कैंसिल कर दी’.

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मलिक अपने वायरल वीडियो में ये भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘जब मैंने डील केंसल कर दी तब मुझे सेक्रेटरीज ने यह भी बताया कि इन दोनों डील में 150-150 करोड़ रुपए आपको मिल सकता है. मैंने उन्हें कहा कि मैं तो 5 कुर्ते-पजामे लेकर आया हूं, ऐसे ही चला जाउंगा. मैंने उस वक्त प्रधानमंत्री से मिलने का वक्त लिया और उनसे मिलने गया’. मलिक ने आगे कहा कि ‘ऐसे ऐसे कर के मेरे सामने दो फाइलें आई है आप बताइए इनमें क्या करना है? अगर डील कैंसिल नहीं करना है तो मैं छोड़ देता हूं, मेरी जगह दूसरे को लगा दो, लेकिन मैं तो यह होने नहीं दूंगा. उन्होंने कहा कि नहीं, करप्शन में कोई कॉम्प्रोमाइज करने की जरूरत नहीं है’.

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया कि ‘कश्मीर इतना करप्ट स्टेट है कि बाकी जगह 5% होगा तो कश्मीर में 15% कमीशन मांगा जाता है, लेकिन उस स्टेट में इतनी दहशत हो गई कि मेरे रहते कोई करप्शन नहीं हुआ’. बताया जा रहा है कि अक्टूबर 2018 में जब सत्यपाल मलिक जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे, तब उन्होंने कुछ गड़बड़ी के अंदेशे को देखते हुए उन दोनों फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. दो दिन बाद गवर्नर ने ACB को ना सिर्फ इस डील की जानकारी दी साथ उनसे इस पुरे मामले की जांच करने के आदेश भी दिए.

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वहीं अपने वायरल वीडियो में सत्यपाल मलिक ने केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाये हैं. मलिक के इस वायरल वीडियो में वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘किसान आंदोलन के पक्ष में मैं लगातार बोल रहा हूँ. लेकिन जब मैं कश्मीर था और उस समय मैं कुछ कर लेता तो आज से पहले मेरे घर ईडी पहुंच जाती, इनकम टैक्स वाले पहुंच जाते’. विपक्षी पार्टियों की तरह ही मलिक ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘आज मैं सीना ठोक कर कह सकता हूं, प्रधानमंत्री के पास सारी संस्थाएं हैं, मेरी जांच करा लें, आज नहीं कल करा लें, लेकिन मैं इसी तरह बेधड़क रहूंगा, और बोलता रहूंगा’.

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक इस इस वायरल वीडियो के बाद सियासी बाजार में गर्माहट आना तय है. साथ ही विपक्षी पार्टियों को केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का एक आसान मौका भी मिल गया है. सत्यपाल मलिक सिर्फ एक ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया है. मलिक के साथ पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी भी किसानों के समर्थन में अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. कई मौकों पर वरुण गांधी आलाकमान को ये सन्देश देने की कोशिश कर चुके हैं की उन्हें तीनों कृषि कानून हर हाल में वापस लेंगे होंगे. फिलहाल बीजेपी आलाकमान इस तरह के सभी बयानों पर अपनी पैनी नजर गड़ाए बैठा है. अब देखना यह होगा कि वह इनके खिलाफ कोई एक्शन लेता है या फिर बीजेपी के ही एक अन्य नेता सुब्रमण्यम स्वामी की तरह इग्नोर करता है.

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