सुशांत सिंह केस ले डूबेगा महाराष्ट्र की सरकार! क्या सच में खतरे में है उद्धव सरकार?

अभिनेता सुशांत की कथित आत्महत्या महाराष्ट्र में लाई है एक जलजला, केस में मुंबई पुलिस की भूमिका मानी जा रही संदिग्ध, राकंपा-कांग्रेस ने शिवसेना को अलग छोड़ा, आदित्य की भूमिका भी शक के घेरे में

Sushant Case In Maharashtra
Sushant Case In Maharashtra

Politalks.News/Maharashtra. एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत महाराष्ट्र सरकार में एक जलजला लेकर आई है. केस में मुंबई पुलिस की भूमिका, गठबंधन सरकार में कांग्रेस और राकंपा का शिवसेना को अलग थलग छोड़ना और आदित्य ठाकरे का विपक्ष के निशाने पर आना कुछ ऐसे पेंच हैं जिसके चलते शिवसेना के साथ-साथ मुंबई पुलिस की भी किरकिरी हो रही है. बिहार पुलिस को जांच में सहयोग न करना और सभी तरफ से मामले में सीबीआई जांच की मांग को कई बार नकारना कहीं न कहीं इस मामले में सरकार की ढिलाई और मिलीभगत की ओर साफ साफ इशारा कर रही है.

वहीं सुशांत केस की जांच सीबीआई से कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे का आपातकालीन बैठक बुलाकर कोर्ट के सीबीआई से जांच करवाने के फैसले के खिलाफ रिव्यु पिटीशन दायर करने की बात भी दाल में काला होने की आशंका व्यक्त करती है. ऐसे में कहीं न कहीं ये मामला शिवसेना और उद्धव सरकार पर भारी पड़ना तय है.

ये तो तय है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले ने शिवसेना को परेशानी में डाल दिया है. जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शिवसेना का रिएक्शन आया, उससे कई सवाल उठ रहे हैं कि सीबीआई की जांच से सब खुश हैं तो महाराष्ट्र की सत्तासीन पार्टी को उसमें क्या दिक्कत हो रही है. इस मामले में महाराष्ट्र में सियासी घमासान शुरू हो गया है.

सुशांत की मौत को लेकर कई तरह की कहानियां भी सोशल मीडिया में प्रचारित हो रही है. एक कहानी में तो सुशांत सिंह की मैनेजर दिशा सालियान की आत्महत्या से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और राज्य के मंत्री आदित्य ठाकरे का गहरा कनेक्शन बताया जा रहा है. इस मामले को विपक्ष के नेता नारायण राणे ने भी मीडिया में जमकर उछाला था. ये मामला इतना उछला कि खुद जूनियर ठाकरे को सामने आकर कहना पड़ा कि सुशांत मामले में उनका कोई लेना देना नहीं है.

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वैसे लाइम लाइट में रहने वाले आदित्य ठाकरे का फिल्मी कनेक्शन सबको पता है. आदित्य का अपना सर्कल है और उसमें फिल्मी सितारे भी हैं. वह पहले भी फिल्मी पार्टियों का हिस्सा बनते आए हैं. बॉलीवुड में कई स्टार उनके दोस्त भी हैं और आदित्य का नाम बॉलीवुड की एक्ट्रेस के साथ कई बार जोड़ा जा चुका है. दिशा की मौत से पहले भी इन सभी के एक पार्टी में होने की बात सामने आई थी. हालांकि सभी ने ऐसी किसी पार्टी के होने से इनकार किया है.

सोशल मीडिया पर दिशा सालियान केस से जुड़े कुछ दस्तावेज पुलिस थाने से गुम होने की भी कहानियां चल रही हैं जो काफी हद तक सच भी लगती है. इस सवालों के जवाब जिस तरह मुंबई पुलिस बहाने लगाकर टाल रही है, उस पर अंगुलियां उठना वाजिब है. ये भी स्पष्ट है कि किसी राजनीतिक दबाव के बिना ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मुंबई पुलिस की रफ्तार और कार्यशैली देश की पुलिसियां विभाग में अग्रणी स्थान रखती है.

अब जब जांच सीबीआई के हाथ आ ही गई है तो इस कहानी की सच्चाई भी जल्द ही सामने आएगी, ऐसी उम्मीद है. लेकिन, सवाल है कि महाराष्ट्र की सियासत में क्या हो रहा है? सुशांत मौत के मुद्दे पर महाराष्ट्र सत्ता में सहयोगी पार्टियों राकंपा और कांग्रेस ने शिवसेना को जिस तरह अकेला खड़ा किया है, वो भी संगठन की कमजोरी को बयां करता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र के गौरव की झंडाबरदारी जिस तरह शिवसेना ने की, उतना दमखम कांग्रेस और एनसीपी ने नहीं दिखाया. राकंपा के मुखिया शरद पवार काफी हद तक मुंबई पुलिस और उद्धव ठाकरे के साथ खड़े थे लेकिन कांग्रेस ने कभी कोई बयान नहीं दिया. यहां तक की शरद पवार के पोते पार्थ पवार तो खुद सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे और जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, उन्होंने ट्वीट कर लिखा ‘सत्यमेव जयते’. ये सभी बाते बताती हैं कि तीनों दलों में ज्यादा निकटता नहीं बन पाई है.

राजनीतिज्ञों के नजरिये से देखें तो सुशांत केस महाराष्ट्र की राजनीति में उथल पुथल मचाने वाली कड़ी साबित होगा. इस मामले में सबसे अधिक फायदा भाजपा को होने वाला है. बीजेपी पहले ही इस मामले में सीबीआई की मांग उठा हीरो बन चुकी है. यहां पूरी सुई आदित्य ठाकरे पर घूम रही है. एक बार मान भी लिया जाए कि सीबीआई को आदित्य ठाकरे की कोई भूमिका नजर न आए, लेकिन आदित्य को पूछताछ के लिए बुला भी लिया तो शिवसेना की किरकिरी हो जाएगी.

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अगर ऐसा होता है तो दो अहम संभावनाएं बनेंगी. पहली, सहयोगी पार्टियां आदित्य और उद्धव पर इस्तीफे के लिए दबाव भी बना सकती हैं. ऐसे में बीजेपी को शिवसेना पर दबाव बनाकर साथ आने के लिए मजबूर करने का मौका मिलेगा. दूसरा, एनसीपी शिवसेना का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ जा सकती है लेकिन उस समय कांग्रेस का नजरिया देखने वाला होगा, क्योंकि देखा जाए तो कांग्रेस इस समय सत्ता में कम ही सही लेकिन भागीदार है, लेकिन अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो उसे कुछ भी हासिल नहीं होगा.

इधर, ये तो सर्वविदित है कि महाराष्ट्र में सरकार बनने के नौ महीने बाद भी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार स्थिर नहीं हो सकी है. वजह केवल एक है कि तीनों में समन्वय बन ही नहीं पा रहा. शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी लगातार जारी है लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे और राकंपा प्रमुख शरद पवार ने अभी तक सभी को मैनेज कर रखा है. इस बीच सुशांत केस ने जिस तरह एंट्री मारी है, उससे शिवसेना हिल गई है. संजय राउत सहित शिवसेना के बड़े नेता जिस तरह आदित्य ठाकरे को प्रोटेक्ट कर रहे हैं, उस नजरिए से तो यहां शिवसेना और जांच कर रही मुंबई पुलिस दोनों ही बैकफुट पर दिख रही है. अगर सीबीआई जांच लंबी चली और आदित्य का नाम उसमें रत्तीभर भी आता है तो महाराष्ट्र की सरकार का गिरना तय माना जा सकता है.

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