गहलोत सरकार उतर चुकी है लोगों के मन से, सरकार का चले जाना ही प्रदेश की जनता के हित में- पूनियां

जितने विधायकों का वह दावा कर रहे थे उतने नहीं पहुंचे, विधायकों के घरों के बाहर पुलिस का पहरा बिठाया गया, उससे साबित हो गया है कि विधायकों को जबरन डरा-धमकाकर बाडाबंदी में ले जाया गया है- सतीश पूनियां

Satish Poonia 1
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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान को लेकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सोमवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. पूनियां ने प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के विचार एवं व्यवहार से उसका आधार खत्म होता जा रहा है, जिसका कारण है नेहरू-गाँधी खानदान, उसी वंशवाद की परम्परा के आधार पर पार्टी चली और नई लीडरशिप को उभरने नहीं दिया गया.

सतीश पूनियां ने कहा कि भ्रष्टाचार, जातिवाद और अराजकता की बुनियाद पर राज करती रही कांग्रेस को 2014 के चुनाव में जनता ने केन्द्र की सत्ता से मुक्त कर दिया, 2019 में भी यही साबित हुआ.

सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस 2008 में अल्पमत में थी, जिसने बसपा के विधायकों को तोड़कर अपनी सत्ता बचाई. 2018 में भी यही खेल हुआ और अब राज्य सरकार की बुनियाद अन्तर्कलह एवं अन्तर्विरोध पर है, हो सकता है किन्ही कारणों से राज्यसभा चुनाव के समय डैमेज कंट्रोल किया गया हो. अब उनकी फूट और डैमेज कंट्रोल उजागर हो गया है. आखिर कांग्रेस में ऐसी परिस्थिति क्यों बनी, इस बारे में मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस आलाकमान बताए.

पूनियां ने कहा कि बाबू जगजीवन राम, माधवराज सिंधिया, राजेश पायलट, नरसिम्हा राव जैसे दिग्गज नेताओं की कांग्रेस में उपेक्षा हुई थी. समय रहते पीढ़ी का बदलाव नहीं हुआ, नेहरू-गाँधी खानदान के जो चापलूस लोग थे उन्हें ही सत्ता में भागीदारी मिलती गई, बाकि लोगों को हाशिये पर रखा गया. कांग्रेस में जब नये नेतृत्व की बात आती है तो नए नेतृत्व पर प्रश्न खड़े किये जाते हैं और शंका की जाती है. कांग्रेस में नई पीढ़ी के नेताओं में विरोध एवं आक्रोश था, चाहे वे मिलिंद देवड़ा, सचिन पायलट या ज्योतिरादित्य सिंधिया हो इसलिये यह साबित हो गया कि नए युग के हिसाब से कांग्रेस ने अपने आपको बदला नहीं और इन्हीं कारणों से देश के राजनीतिक नक्शे से कांग्रेस गायब हो गई.

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सतीश पूनियां ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार प्रदेश के लोगों के मन से उतर चुकी है. यह शुरू से ही निरपेक्ष बहुमत की सरकार थी. इस सरकार का चले जाना ही राजस्थान की जनता के हक एवं हित में है. हम अपनी परिस्थितियों को देखेंगे, क्या परिस्थितियां बनती हैं, उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. हमारी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देशों की हम पालना करेंगे.

सतीश पूनियां ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पौने दो साल जितने वादे आमजन से किये किसी भी वादे को पूरा नहीं किया, वादों पर खरी नहीं उतरी. बेहतर होता किसानों के कर्ज माफ करते, अपराधों पर लगाम लगाते, बेरोजगारों को रोजगार देते, लेकिन एक भी काम नहीं किया, सिर्फ लीपापोती की और बयानबाजी की. कोरोना प्रबंधन को सम्भालने के बजाय पूरी सरकारी मशीनरी अशोक गहलोत की सरकार को बचाने में लगा रखी है, इसलिए यह सरकार लोगों के मन से भी उतर चुकी है. बहुमत का सिर्फ बनावटी आंकड़ा दिखता है. मुझे लगता है कि अभी कुछ पर्दे के पीछे है, बहुत कुछ होना बाकि है, मन से उतरी हुई सरकार बहुत ज्यादा नहीं चलती.

कांग्रेस के आरोपों पर पूनियां ने कहा कि पौने दो साल से कांग्रेस नेता सिर्फ आरोप लगा रहे हैं. जनहित के कार्यों एवं प्रदेश के विकास के मुद्दों पर उनका कोई ध्यान नहीं है, मेरी उनको नसीहत है कि आरोप लगाने के बजाय काम पर ध्यान दें, आरोपों में कोई दम नहीं है. पूनियां ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे आरोप भाजपा पर लगा रहे थे, लेकिन साबित हो गया कि झगड़ा उनका अपना था और तोहमत हम पर लगा रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान में दम होता, सूझबूझ होती और बुद्धिकौशल होता तो ऐसी नौबत नहीं आती, जो परिस्थितियां बनीं हैं.

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प्रदेश में कांग्रेस सरकार के विधायकों के संख्याबल को लेकर पूनियां ने कहा कि कांग्रेस द्वारा बराबर दावे किये गये कि उनकी पार्टी एकजुट है, राज्यसभा चुनाव में उनके प्रत्याशियों को 120 से अधिक वोट मिले, लेकिन आज यह संख्या कम क्यों हुई, कम होने के क्या कारण हैं? वो पहले कह रहे थे कि हम सब एक हैं, हमें कोई खतरा नहीं है, कांग्रेस के पास कितना संख्याबल है यह सबके सामने आ जाएगा. विधायकों की बाडाबंदी पर पूनियां ने कहा कि जितने विधायकों का वह दावा कर रहे थे उतने नहीं पहुंचे, पुलिस की घेराबंदी से देर रात विधायकों को उनके आवासों से जबरन बाड़ाबंदी में पहुंचाया गया. विधायकों के घरों के बाहर पुलिस का पहरा बिठाया गया, उससे साबित हो गया है कि विधायकों को जबरन डरा-धमकाकर बाडाबंदी में ले जाया गया है.

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