पॉलिटॉक्स ब्यूरो. तेजी से गुजर रहा साल 2019 राजनीति के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण रहा. इस वर्ष ऐसी ऐसी राजनीतिक घटनाएं घटित हुई जिन्होंने राजनीति के भंवर में तेजी से डुबकी लगाई और अचानक से माहौल बदल दिया. हालांकि मौजूदा साल (Flashback 2019) बीजेपी के लिए आम चुनाव और केंद्रीय राजनीति को छोड़कर इतना अच्छा नहीं बीता लेकिन इसके बाद भी इस साल में इतना कुछ हुआ जिसे कुछ एक शब्दों में समेटना मुनासिब नहीं. इसके बावजूद हमनें देश में घटी टॉप 5 राजनीतिक घटनाओं को अपने लेख में पिरोया है. आइए जानते हैं कि साल 2019 में घटित हुई इस टॉप 5 घटनाक्रमों के बारे में …
1. लोकसभा में बम्पर पैदावार, उसके बाद बीजेपी का लगातार घटता जनाधार
आम चुनावों को छोड़ दें तो ये साल बीजेपी के लिए कोई खास सफलता नहीं लाया. कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन एक अपवाद है. अन्यथा महाराष्ट्र और झारखंड में बीजेपी ने अपनी सरकारें खो दी. हरियाणा में भी जोड़ तोड़ से सरकार बनी. जो जनाधार 2014 में देश के 22 जिलों में था वो अब 15 जिलों में सिमट कर रह गया है जिसमें गठबंधन की सरकारें भी शामिल हैं. हां, बहुमत के आधार पर केंद्र सरकार ने जरूर काफी सारे बिल पारित कराए लेकिन राज्यों की राजनीति में बीजेपी पूरी तरह से फेल रही. 17 राज्यों की 62 सीटों में भी बीजपी आधी सीटें तक नहीं जीत सकी. कर्नाटक उप चुनाव में मिली सफलता जरूर बीजेपी के धावों पर हल्के मरहम का काम कर सकती है. (Flashback 2019)
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2. हरियाणा में दुष्यंत बने किंगमेकर तो कांग्रेस ने दी अप्रत्याशित टक्कर
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी जिसे बने हुए एक साल हुआ है, नंबर तीन की पार्टी बनकर उभरी और सभी को चौंकाया. यही नहीं, बीजेपी के साथ सत्ता काबिज होने में भी प्रमुख भूमिका निभाई और प्रदेश में डिप्टी सीएम बन बैठे. उनकी पारिवारिक पार्टी इनेलो को केवल एक सीट मिली जबकि जजपा के 10 विधायक जीतकर सदन में पहुंचे जो एक बड़ी कामयाबी कही जा सकती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनावों में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी लेकिन सफलता न दिला सके. हालांकि उन्होंने पार्टी को खड़ा रहने के लिए जमीन जरूर तलाश दी.
3. महाराष्ट्र में शरद पवार की ऐसी चली गुगली कि फडणवीस के हाथ में गई सत्ता वापिस निकली
महाराष्ट्र में इस बार जो कुछ भी हुआ, वो फिल्मी दृश्य से कम नहीं रहा. पहले मुख्यमंत्री कुर्सी के बंटवारे को लेकर दो भाईयों का गठबंधन टूटा और सरकार नहीं बन पाई. फिर अचानक लग गया राष्ट्रपति शासन. एक सुबह अचानक पता चला कि राष्ट्रपति शासन रातोरात हट गया और देवेंद्र फडणवीस सीएम एवं एनसीपी के नेता अजित पवार बन गए डिप्टी सीएम. (Flashback 2019)
फिर हुई पत्रकार वार्ता और शरद पवार ने सभी विधायकों से वापिस आने की अपील की जिनमें अजित भी शामिल रहे. सरकार बनने के 48 घंटों के भीतर देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा हो गया और फिर तीन धुर विरोधी पार्टियों ने मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बना ली. दशकों से चल रही राजनीति में शिवसेना और कांग्रेस पहली बार अपनी विचारधाराओं को दूर हटा साथ आए. शरद पवार फिर पावर टैंक बनकर उभरे. उद्दव ठाकरे मुख्यमंत्री और अजित पवार एक ही साल में दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बने.
4. झारखंड में बनी झामुमो की सोरेन सरकार तो रघुबरदास को मिली करारी हार
मोदी-शाह-योगी की तिगड़ी के साथ राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा जैसे दिग्गजों की फौज ने जहां 10 से अधिक चुनावी सभाएं की जबकि विपक्ष के पास कोई भारी भरकम नेता भी नहीं था. कांग्रेस के राहुल गांधी की गिनी चुनी सभाओं के बाद प्रियंका ने भी केवल एक सभा को संबोधित किया. इसके बावजूद झामुमो प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. यहां झामुमो ने 30 और कांग्रेस ने 16 सीटों पर कब्जा जमाया. बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई. पहली बार 5 साल का सीएम कार्यकाल पूरा करने वाले रघुबर दास अपनी सीट तक बचा नहीं सके. उन्हें उन्हीं की पार्टी के बागी मंत्री ने बतौर निर्दलीय हराया. ये बीजेपी के लिए किसी भारी सदमे से कम नहीं रहा. हेमंत सोरेन प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने.
5. गोवा और कर्नाटक में लगी बीजेपी की लॉटरी
गोवा संकट भी बीजेपी की जाते साल में एक अच्छी खबर कही जा सकती है. गोवा में कांग्रेस के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस के पास केवल 5 विधायक रह गए और बीजेपी ने 27 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली. इससे पहले 40 विधानसभा सीटों वाले गोवा में बीजेपी के पास केवल 17 विधायक थे. बीजेपी ने तीन निर्दलीय और एक स्थानीय पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना रखी थी. पूर्ण बहुमत सरकार बनने के बाद पार्टी ने अन्य पार्टी के विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. वहीं कर्नाटक उप चुनाव में बीजेपी ने 15 में से 13 सीटों पर कब्जा जमाया. (Flashback 2019)


























