Politalks.News/Delhi/Farmers Protest. कहते हैं कि किसान जब अपनी जिद पर आ जाये तो एक बंजर जमीन को भी खुशहाल बना देता है, लेकिन जब वही किसान अपनी हठ पर आ जाए जो कि उसके अधिकार से जुडी हो तो फिर दुनिया के दिग्गज भी किसान के आगे झुकने को तैयार हो जाते हैं. जी हाँ कुछ ऐसा ही नजारा दिल्ली का भी है. कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान खेत-खलिहान छोड़कर दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर बीते 15 दिनों से डेरा जमाये बैठे हैं. मोदी सरकार से विभिन्न दौर की वार्ता के बाद भी अपनी जिद पर अड़े इन किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि सरकार ये तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस ले या फिर इस देश का किसान अगले कुछ दिनों में उग्र प्रदर्शन करेंगे. वहीं केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में विपक्षी पार्टियों के 5 सदस्यीय दल ने कल राष्ट्रपति से मुलाक़ात की और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है.
बता दें, मंगलवार रात 8 बजे 13 किसान नेताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक बैठक हुई जो बेनतीजा रही. इस बैठक को मद्देनजर रखते हुए बुधवार को सरकार की ओर से किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेजा गया. इस पर किसान संगठनों द्वारा कहा गया कि सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं और अब पूरे देश में रोष प्रदर्शन होगा. पंजाब, हरियाणा, यूपी राजस्थान और मध्य प्रदेश में 14 तारीख को जिला स्तर पर धरने दिए जाएंगे और जो धरने नहीं देगा वह दिल्ली को कूच करेगा. किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जो प्रस्ताव भेजा गया वह गोलमोल है, सरकार भलाई की बात कह रही है लेकिन सरकार यह भलाई कैसे करेगी स्पष्ट नहीं है.
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सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर विचार विमर्श के बाद किसान नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आंदोलन को आगे की दिशा में ले जाने के बारे में बताया. किसानों ने चार अहम ऐलान किए जो इस प्रकार है:-
1. किसान शनिवार को देश भर में टोल प्लाजा फ्री कर देंगे और दिल्ली जयपुर हाईवे को बंद किया जाएगा.
- देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में 14 दिसंबर को धरना दिया जाएगा. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान इसमें शामिल होंगे जो शामिल नहीं होंगे वह दिल्ली कूच करेंगे.
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अंबानी-अडानी के मॉल प्रोडक्ट और टोल का बायकाट किया जाएगा और जिओ के प्रोडक्ट्स का भी बायकाट किया जाएगा.
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कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन नहीं थमेगा और बल्कि तेज होता जाएगा.
वहीं बुधवार को इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में विपक्षी पार्टियों के 5 सदस्यीय दल ने राष्ट्रपति से मुलाक़ात की. राष्ट्रपति से मुलाक़ात के बाद मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा- कृषि कानून किसान विरोधी हैं, PM ने कहा था कि ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर किसान सड़क पर क्यों खड़े हैं? सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे और हट जाएंगे, जब तक कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक किसान न हटेगा न डरेगा. सरकार को गलतफहमी में नहीं होना चाहिए किसान समझौता नहीं करेगा.
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वहीं राहुल गाँधी ने किसानों से कहा कि मैं किसानों से कह रहा हूं कि अगर आप आज नहीं खड़े हुए तो फिर आप कभी नहीं खड़े हो पाओगे और हम सब आपके साथ हैं. आप बिलकुल घबराइए मत, आपको कोई पीछे नहीं हिला सकता आप ही हिदुस्तान हो.
वहीं सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा, हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की और ज्ञापन प्रस्तुत किया. उसमें हमने कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को वापिस लेने की मांग की क्योंकि ये बहुत ही गैर-लोकतांत्रिक और बिना विचार-विमर्श के पारित कर दिए गए थे.
दूसरी तरफ, राहुल गाँधी के बयान पर सिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने पलटवार किया. चीमा ने कहा कि कांग्रेस अगर राज्यसभा और लोकसभा में अपनी जिम्मेदारी निभाती तो ये मुसीबत खड़ी नहीं होती. तब वो चुप थे क्योंकि 2019 में उनके मैनिफेस्टों में APMC वापिस लेने की बात कही थी, पार्टियों के इसी दोगलेपन के कारण किसान किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं.
दलजीत सिंह चीमा ने आगे कहा कि बड़ी निराशाजनक बात है कि इतने दिनों के बाद भी ये मसला हल नहीं हो पाया. बातचीत का माहौल तब बन पाएगा जब भारत सरकार तीनों कानून रोक देती है, उसी वक्त शांति हो जाएगी. फिर जब सार्थक माहौल होगा तब सरकार आराम से बैठकें कर बातचीत कर सकती है.