गहलोत सरकार की हठधर्मिता व संवेदनहीनता का परिणाम है पुखराज की मौत: राजेंद्र राठौड़

जोधपुर के माणकलाव गांव में पिछले 25 दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर दे रहे हैं धरना, गत रात एक युवा नेता की प्रदर्शन के दौरान हुई मौत, उपनेता प्रतिपक्ष ने घटना को बताया सरकार के माथे पर कलंक

Rajendra Rathore Bjp
Rajendra Rathore Bjp

Politalks.news/Rajasthan. हाल में जोधपुर के माणकलाव गांव में किसान आंदोलन के दौरान किसान नेता पुखराज डोगीयाल की मौत का मामला गर्माया हआ है. बीती रात धरना स्थल पर युवा नेता की तबियत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई. इस पर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस घटना को प्रदेश की गहलोत सरकार की हठधर्मिता व संदेवनहीनता का परिणाम बताते हुए कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है. साथ ही कांग्रेस सरकार को एक बार फिर किसान कर्जमाफी का पुराना वायदा याद दिलाया है.

राजेंद्र राठौड़ ने एक प्रेस नोट जारी कर गहलोत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर के माणकलाव गांव में किसान आंदोलन के दौरान शुक्रवार देर रात मांडियाई निवासी नौजवान किसान पुखराज डोगीयाल की धरने पर तबीयत बिगड़ने व एमडीएम अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु होना सरकार के माथे पर कलंक है, जो सरकार की किसान विरोधी सोच व संवेदनहीनता का एक जीवंत प्रमाण है. राठौड़ ने सरकार से पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिए जाने और किसानों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से की जा रही न्याय संगत मांगों को स्वीकार करने की मांग की है.

उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की हठधर्मिता व संवेदनहीनता की वजह से नौजवान किसान को अपनी शहादत देनी पड़ी है, लेकिन सरकार की ओर से मृत्यु के पश्चात पुखराज डोगीयाल को कोरोना पाॅजिटिव बता देना पीड़ित परिवार के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया गया है. राठौड़ ने कहा कि कोरोना काल में टिड्डी हमलों, अतिवृष्टि व बिजली के बिलों में बढ़ोतरी से जूझ रहा किसान आर्थिक बोझ के तले दबा हुआ है और सरकार से सहायता नहीं मिलने पर आक्रोशित है. अगर वर्तमान समय कोरोना का नहीं होता तो प्रदेश के लाखों किसान कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी व दमनकारी नीतियों का निश्चित रूप से व्यापक स्तर पर धरना-प्रदर्शन करते दिखाई देते.

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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना में सबसे ज्यादा नुकसान किसान वर्ग को पहुंचा है. प्रदेश के किसान सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से कोरोना काल के 6 माह के बिजली बिल माफ करने और कृषि बिलों में 833 रुपए प्रतिमाह अनुदान देने की मांग को लेकर 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहा किसान वर्ग बिजली दरों में बढ़ोतरी होने से आक्रोशित है और सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हुआ. लेकिन किसान हितैषी सरकार का दम भरने वाली असंवेदनशील सरकार के मुखिया किसानों की जायज मांगों को अनसुना कर रहे है जिसका परिणाम यह निकला कि किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे धरतीपुत्र पुखराज डोगीयाल को अपनी शहादत देकर कीमत चुकानी पड़ी.

राजेंद्र राठौड़ ने सरकार को पुराने वायदे याद दिलाते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसान कर्जमाफी करने की घोषणा की थी. सरकार बने 18 महीने हो चुके हैं लेकिन आज तक किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ. इससे अन्नदाता आज स्वयं को ठगा हुआ महूसस कर रहा है. वाणिज्यिक बैंक, शिड्यूल बैंक व नोटिफाइड बैंक से ऋण लेने वाले प्रदेश के करीब 22 लाख किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं. राठौड़ ने आगे कहा कि टिड्डी दल के लगातार हो रहे हमले से भी किसानों की लाखों बीघा फसलें नष्ट हो चुकी है. इधर, राज्य सरकार टिड्डी नियंत्रण की दिशा में काम करने की बजाय केन्द्र सरकार पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है.

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गौरतलब है कि जोधपुर के माणकलाव गांव में कई मांगों को लेकर किसान पिछले 25 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां पुखराज डोगीयाल पुत्र तेजाराम की गत रात्रि धरना स्थल पर तबियत बिगड़ गई और उसे एमडीएम अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. भारतीय किसान संघ ने युवा नेता की मौत पर शोक जताते हुए कहा कि सरकार की असंवेदनशीलता के चलते पहले ही क्षेत्र में किसानों ने आत्महत्या की है. अब सरकार की हठधर्मिता से धरने के दौरान तबियत बिगड़ने से किसान की मृत्यु हुई है. किसान संघ ने पीड़ित परिवार के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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