पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष प्रयासों के बाद उत्तराखण्ड की सरकार ने अस्थि विसर्जन के लिए बसों के संचालन की सहमति दे दी है. उत्तर प्रदेश सरकार से सहमति के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. अस्थि विसर्जन के लिए किसी भी परिवार के दो या तीन सदस्य इन विशेष बसों में निःशुल्क यात्रा कर सकेंगे.
प्रदेशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद विभिन्न कारणों से दिवंगत हुए लोगों के परिजन अस्थि विसर्जन के लिए जा सकें इसके लिए सीएम गहलोत के गुरूवार को लिए गए निर्णय के बाद अब अस्थि विर्सजन के लिए विशेष बसें निःशुल्क संचालित होंगी. मुख्यमंत्री गहलोत ने यह मानवीय एवं संवेदनशील निर्णय देते हुए कहा है कि यह अत्यन्त पीड़ादायक है कि अपने परिजनों के निधन के बाद शोकाकुल परिवार उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पाये थे. अब राज्य सरकार के आग्रह पर उत्तराखण्ड सरकार ने अस्थि विसर्जन के लिए बसों के आवागमन की सहमति दे दी है. इससे शोक संतप्त परिजन अस्थि विसर्जन स्थलों पर सुगमता पूर्वक जा सकेंगे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को निरोगी राजस्थान के तहत चिकित्साकर्मियों, प्रदेश में बढ रहे टिड्डियों के प्रकोप को लेकर संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ एक समीक्षा बैठक की. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि ‘निरोगी राजस्थान‘ के हमारे संकल्प को साकार करने में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सहित अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य सरकार इन पद्धतियों को प्रोत्साहन देने में कोई कमी नहीं रखेगी. सीएम गहलोत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय इन चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों ने पूरे समर्पण भाव के साथ काम किया है.
‘निरोगी राजस्थान‘ के हमारे संकल्प को साकार करने में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सहित अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य सरकार इन पद्धतियों को प्रोत्साहन देने में कोई कमी नहीं रखेगी। #Rajasthan pic.twitter.com/5Ww2c676jg
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मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कोरोना से बचाव में इन पद्धतियों ने भी अच्छा योगदान दिया है. आयुर्वेद विभाग ने काढ़ा एवं अन्य औषधियों के माध्यम से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए उनके अच्छे परिणाम सामने आए हैं. इसके साथ ही अन्य पद्धतियों ने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए अपने-अपने तरीकों से योगदान दिया है. सीएम गहलोत ने आगे कहा कि आधुनिक जीवन शैली में इन पद्धतियाें की प्रासंगिकता और बढ़ी है. आमजन में इनके प्रति विश्वास बढ़ा है. इन पद्धतियों में रिसर्च को बढ़ावा देकर इन्हें वर्तमान जरूरतों के प्रति और उपयोगी बनाया जाए. प्रदेशवासियों को निरोगी बनाने के लिए योग एवं नैचुरोपैथी पर विशेष बल दिया जाए.
कोरोना से बचाव में इन पद्धतियों ने भी अच्छा योगदान दिया है। आयुर्वेद विभाग ने काढ़ा,अन्य औषधियों के माध्यम से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए उनके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।साथ ही अन्य पद्धतियों ने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए अपने-अपने तरीकों से योगदान दिया है
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वहीं प्रदेश में तेजी से बढ रहे टिडडीयों के प्रकोप को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रेदश के समीवर्ती जिलों के कलेक्टरों, टिडडी चेतावनी संगठन और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ भी आॅनलाइन चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि करीब तीन दशक के बाद फिर से टिड्डियों के लगातार आक्रमण शुरू होने से यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश में टिड्डी चेतावनी संगठन को और अधिक मजबूत बनाया जाए.
करीब तीन दशक के बाद फिर से टिड्डियों के लगातार आक्रमण शुरू होने से यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश में टिड्डी चेतावनी संगठन को और अधिक मजबूत बनाया जाए। टिड्डियों के प्रकोप के कारण बीते साल भी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ था। #Rajasthan
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सीएम गहलोत ने आगे कहा कि टिड्डियों के प्रकोप के कारण बीते साल भी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ था. इस साल पहले की अपेक्षा टिड्डियों का आक्रमण अधिक तीव्र होने की आशंका है. ऐसे में हमें पूरी मुस्तैदी से इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा. सीएम गहलोत ने बताया कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंस में भी इस मामले पर ध्यान आकर्षित किया गया था. टिड्डी चेतावनी संगठन का कार्य केन्द्र के अधीन है ऐसे में केन्द्र सरकार इसे और अधिक मजबूत करे तथा आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए.
बीते दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंस में भी इस मामले पर ध्यान आकर्षित किया गया था। चूंकि टिड्डी चेतावनी संगठन का कार्य केन्द्र के अधीन है ऐसे में केन्द्र सरकार इसे और अधिक मजबूत करे तथा आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए।
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मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इस बार टिडडी का आक्रमण बदले रूप में सामने आया है. टिड्डियों के कुछ दल सीमावर्ती जिलों से अजमेर, जयपुर, करौली, टोंक, दौसा, सवाई माधोपुर सहित अन्य जिलों में पहुंच गए हैं. हमें इन्हें नियंत्रित करने के लिए नए तौर-तरीकों से काम करना होगा. पिछले साल जब टिड्डी आक्रमण हुआ था तब टिड्डी चेतावनी संगठन के साथ ही कृषि विभाग और हमारे किसानोें ने अच्छा काम किया था. इस बार भी हमें पूरी जागरूकता के साथ प्रयास करने होंगे.
इस बार टिडडी का आक्रमण बदले रूप में सामने आया है। टिड्डियां के कुछ दल सीमावर्ती जिलों से अजमेर, जयपुर, करौली, टोंक, दौसा, सवाई माधोपुर सहित अन्य जिलों में पहुंच गए हैं। हमें इन्हें नियंत्रित करने के लिए नए तौर-तरीकों से काम करना होगा। #Rajasthan
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