जंग और मोहब्बत में सबकुछ जायज है, प्यार की जंग के लिए भी बागी हुए थे पायलट, अब बारी राजनीति की…

जब दो प्रेमी ठान लें तो फिर दुनिया की कोई ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती, ऐसा ही कुछ हुआ सचिन पायलट और उनकी हमसफ़र सारा अब्दुल्ला के साथ, दोनों प्रेमियों के जीवन में तमाम चुनौतियां आईं लेकिन दोनों ने कभी हार नहीं मानी और अपने प्यार को इस मुकाम तक पहुंचाया की दोनों आज साथ हैं

सचिन पायलट और सारा पायलट
सचिन पायलट और सारा पायलट

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की राजनीति इस वक्त पूरे देश में टॉप ट्रेंड में चल रही है और सभी के मन में एक ही सवाल है की अब सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा. क्या सचिन पायलट वो गलती करेंगे जो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की थी या फिर एक नई पार्टी का गठन करके सीएम गहलोत को दे पाएंगे चुनौती? या फिर जैसा कि उन्होंने शुक्रवार को भी दोहराया कि मैं अभी कांग्रेस में ही रहकर लड़ूंगा अपने सम्मान की लड़ाई और नहीं जाऊंगा बीजेपी में. बहराल, शुक्रवार को आए हाइकोर्ट के फैसले ने सचिन पायलट के हौसले को बुलंद कर दिया है.

राजस्थान की राजनीति ऐसी करवट लेगी यह तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा. राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान को 15 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया है. सचिन पायलट की राजनीति आज जिस दिलचस्प और रोमांचक मोड़ पर खड़ी है, कभी उनकी लव लाइफ भी ऐसे ही उतार-चढ़ाव से गुजरी थी और तब भी सचिन पायलट बगावत करके ही अपने प्यार को हासिल किया था. 42 साल के सचिन पायलट की लव लाइफ के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.कहते हैं जंग और मोहब्बत में सबकुछ जायज है और जब दो प्रेमी ठान लें तो फिर दुनिया की कोई ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती. ऐसा ही कुछ हुआ सचिन पायलट और उनकी हमसफ़र सारा अब्दुल्ला के साथ. दोनों प्रेमियों के जीवन में तमाम चुनौतियां आईं लेकिन दोनों ने कभी हार नहीं मानी और अपने प्यार को इस मुकाम तक पहुंचाया की दोनों आज साथ हैं.

सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट खुबसूरत और ग्लैमरस महिला हैं. वैसे तो राजनीति के गलियारों में सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट की चर्चा कम ही होती है, लेकिन सारा पायलट का राजनीति के साथ जन्म से बड़ा गहरा नाता है. सचिन पायलट की पत्नी सारा पायलट जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी और उमर अब्दुल्ला की बहन हैं. कहा जाता हैं कि सारा पायलट और सचिन पायलट के बीच बेहद गजब की केमिस्ट्री है.

सारा अब्दुल्ला का जन्म कश्मीर में हुआ. जम्मू-कश्मीर में जब 90 के दशक में अशांति और अराजकता का वातावरण बन रहा था, तब फारूक अब्दुल्ला ने घाटी में अशांति और असुरक्षा के माहौल को देखते हुए बेटी सारा पायलट को अपनी मां के साथ लंदन भेज दिया था. इसके बाद से सारा पायलट ने अपनी जिंदगी के कई साल विदेश में ही गुजारे. वहीं 7 सितम्बर 1977 को जन्‍मे सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट भी दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे हैं. हालांकि, राजेश पायलट की एक सड़क हादसे में सन 2000 में मौत हो गई थी. राजेश पायलट का जन्म ग्रेटर नोएडा के वैदपुरा गांव में हुआ था. राजेश पायलट एयरफोर्स में होने की वजह से दिल्ली परिवार के साथ शिफ्ट हो गए.

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सचिन को हो गया था सारा से पहली नजर में प्यार

सारा अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला और सचिन पायलट के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट राजनीतिक दोस्त थे. कहा जाता है जब एक शादी समारोह में दोनों के परिवार मिले तब वहीं पर सचिन पायलट और सारा पायलट की पहली मुलाकात हुई थी और दोनों ही एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. लेकिन सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला के लिए उनकी पहली मुलाकात के बाद सब कुछ आसान नहीं था, पहली मुलाकात के बाद दोनों को मुलाकात के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था. सचिन पायलट दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्कूलिंग और ग्रैजुएशन करने के बाद वह यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के वार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA करने के लिए विदेश चले गए तब दोनों की एक बार फिर मुलाकात हुई थी. यहीं यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनस में धीरे-धीरे सार और

सचिन पायलट की दोस्ती प्यार में बदलने लगी थी.इसी बीच सारा ने सचिन पायलट को अपनी मां से मिलवाया. सारा के पैरेंट्स को सचिन हमेशा से पसंद थे. सचिन पायलट का व्यक्तित्व और उनकी मुस्कान उनका दिल जीतने के लिए काफी थी. उन्हें सारा और सचिन की दोस्ती से कोई ऐतराज नहीं था. धीरे-धीरे सचिन और सारा अब एक दुसरे को डेट करने लगे थे. लेकिन दोनों को एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताने का मौका नहीं मिला और दोनों की लव स्टोरी के रास्ते में अभी कई रोड़े थे. कुछ महीनों के अंदर ही सचिन पायलट ने अपना कोर्स खत्म किया और भारत लौट आए, जबकि सारा अब्दुल्ला तो अपनी पढ़ाई के बाद भी विदेश में ही रही.लेकिन कहते हैं दूरियां प्यार को और गहरा बना देती है और सचिन – सारा के मामले में भी ऐसा ही हुआ, जब दोनों एक दूसरे से दूर हुए तो उन्हें अपने प्यार का और भी ज्यादा एहसास हुआ. दोनों को अलग हुए 3 साल बीत चुके थे और दोनों ही एक दूसरे से ईमेल और फोन के जरिए बात करते थे. कहते हैं, वक्त के साथ साथ मोहब्बत और गहरी होती चली जाती है ऐसा ही कुछ सचिन पायलट और सारा के साथ होता गया. अब दोनों का इरादा जीवन भर साथ निभाने का हो गया था.

लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था क्योंकि दोनों का धर्म बिलकुल अलग था और शादी के लिए घर वालों को मनाना बिलकुल भी आसान काम नहीं था. क्यों की सचिन पायलट राजस्थान के गुर्जर परिवार से आते हैं जबकि सारा एक मुस्लिम परिवार से थी. इन दोनों को पता था शादी के लिए परिवारों की रजामंदी आसानी से नहीं मिलेगी.खैर, सचिन पायलट ने आखिरकार अपनी मां को सारा के बारे में बता दिया. उम्मीद के मुताबिक, सचिन की मां ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया. सचिन का पूरा परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था. लेकिन सचिन ने किसी तरह अपने परिवार वालों को मना लिया. लेकिन चुनौतियां सारा के लिए ज्यादा थीं. सारा के पिता फारुख अब्दुल्ला ने इस रिश्ते को कबूल करने से इनकार कर दिया था. उनके पिता ने तो सारा को इस बारे में बात करने से भी मना कर दिया था.

लेकिन सारा को उम्मीद थी कि एक ना एक दिन उनके पिता इस शादी के लिए जरूर मान जाएंगे क्यों की सारा अपने पिता से बहुत करीब थी. सारा ने कई दिनों तक अपने पिता को मनाने की कोशिश की. जानकारी के मुताबिक, कई दिनों तक वह रोती रहीं लेकिन उनके पिता फारुक पर कोई असर नहीं पड़ा. वह अपने फैसले पर अडिग रहे. फारुक सचिन को पसंद करते थे और सारा के लिए शायद उन्हें इससे बेहतर रिश्ता नहीं मिलता लेकिन सामाजिक और राजनीतिक दबाव के आगे वह मजबूर थे.फिर जब सचिन और सारा का रिश्ता सार्वजिनक हुआ तो अब्दुल्ला के खिलाफ घाटी में कैंपेन चलने लगे. यहां तक कि उनकी पार्टी के ही विधायक इस रिश्ते के खिलाफ हो गए. विरोधी कहने लगे कि एक मुस्लिम पुरुष अपने धर्म से बाहर शादी कर भी सकता है लेकिन इस्लाम एक मुस्लिम महिला को एक गैर मुस्लिम से शादी करने की इजाजत बिल्कुल नहीं देता है. वहीं सचिन और सारा ने कुछ महीने तक सब कुछ शांत होने का इंतज़ार किया लेकिन उन्हें एहसास हो गया था कि महीनों-सालों के बाद भी हालत नहीं बदलेंगे और विरोध प्रर्दशन लगातार जारी थे. ऐसे में फारुक अब्दुल्ला के पास भी अपने पार्टी विधायकों की जिद के सामने आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं था.

अब ऐसा वक्त आ गया था कि सचिन और सारा को कुछ फैसला लेना ही था. दोनों के पास दो विकल्प थे – एक या तो वे अपने परिवार वालों की मर्जी के आगे झुक जाएं और खुद की ज़िन्दगी किस्मत के हवाले कर दें. दूसरा अपने दिल की बात सुनते हुए शादी के बन्धन में बंध जाते. सारा और सचिन एक दूसरे को इतना प्यार करते थे कि दोनों ने दूसरा विकल्प ही चुना, और जनवरी 2004 में दोनों ने एक साधारण से समारोह में शादी कर ली.इस शादी में बहुत कम लोगों को आमंत्रित किया गया था. लेकिन अब्दुल्ला परिवार ने इस शादी का बहिष्कार किया, वहीं सारा को अंतिम समय तक उम्मीद थी कि उनका परिवार मान जाएगा और सब कुछ ठीक हो जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं. सारा के लिए यह समय बहुत ही मुश्किल भरा था. शादी के सबसे खास दिन पर भी उन्हें अपने घर के किसी सदस्य का साथ नहीं मिला. सारा के अकेलेपन को दूर करने के लिए सचिन के परिवार ने भी पूरी कोशिश की और सचिन ने भी सारा का हर मौके पर साथ दिया.अब सारा अब्दुल्ला सारा पायलट बन गईं और दोनों जिंदगी के एक नए पड़ाव में पहुंच गए. लेकिन कहते हैं ना नाराजगी ज्यादा दिन नहीं रह सकती और ऐसा ही हुआ वक्त गुजरने के साथ अब्दुल्ला की नाराजगी भी दूर हो गई और बाप-बेटी अतीत की कड़वी यादें भुलाते हुए फिर से एक साथ आ गए. सचिन पायलट शादी के कुछ महीने बाद ही राजनीति में आ गए थे, वहीं सारा पायलट यूएन में महिला सशक्तीकरण के लिए काम करती रहीं.सचिन पायलट और सारा पायलट के दो बेटे हैं- आरान और वेहान. सचिन और सारा व्यस्त होने के बावजूद एक-दूसरे के लिए वक्त निकाल लेते हैं. वे एक साथ घूमने जाते हैं और फिल्म देखते हैं. सचिन और सारा के लिए धर्म कभी मसला नहीं रहा. सारा की मां एक ईसाई महिला हैं, सारा खुद मुस्लिम हैं और सचिन का परिवार हिंदू, लेकिन परिवार में मजहब को लेकर कोई समस्या नहीं हुई. जीवनसाथी बनने के लिए बस प्रेम होना चाहिए, धर्म और जाति की कोई भूमिका नहीं होती. दरअसल सचिन पायलट और सारा पायलट की कहानी हर प्यार करने वाले के लिए एक उदाहरण है.

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