पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को विधानसभा में अपने तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया. सीएम गहलोत ने अपने एक घंटे 41 मिनट के बजट भाषण की शुरुआत सात संकल्पों से की. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, ‘गहलोत बोले हमारे लिए संपूर्ण राजस्थान एक परिवार के लिए है, इसके लिए सात संकल्प इस बजट की प्राथमिक्ता है.’
हमारे लिए सम्पूर्ण राजस्थान एक परिवार की तरह है और इस परिवार के लिए मैं, 7 संकल्पों को इस बजट की प्राथमिकतायें बनाना चाहता हूँ….#RajasthanBudget pic.twitter.com/WKvidVwzad
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 20, 2020
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आने बजट भाषण की शुरुआत में केन्द्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए की. मुख्यमंत्री गहलोत ने देश की अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए के शेर पढा, कहा, ‘अर्थ व्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है…
“नोट बंदी से बर्बादी पर बोलते नहीं,
जीएसटी के झटकों पर मूं खोलते नहीं,
उनके आंकड़े दिखाते हैं उन्हें आईना,
वो फिर भी मुकरकर सच को तोलते नहीं”
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बजट भाषण के दौरान न केवल केंद्र सरकार पर तंज कसा बल्कि सदन में मौजूद बीजेपी विधायको की भी पूरी चुटकी ली. अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने 11 बजकर 21 मिनट पर बीजेपी विधायकों की मुखातिब होते हुए पूछा, ‘पानी पी सकता हूं, सब काम आपसे पूछकर करना चाहता हूं‘. जिस पर सदन में ठहाके सुनाई दिए. वहीं इसके कुछ देर बाद ही 11 बजकर 26 मिनट पर मुख्यमंत्री गहलोत ने विपक्ष की तरफ देखा और चुटकी लेते हुए कहा, ‘आप लोग खुश नहीं हैं क्या, आप ताली तो बजा लिया करो‘.
अपने बजट भाषण की समाप्ति के लभगभ 14 मिनट पहले यानि कि 12 बजकर 27 मिनट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक शेर और पढा कि –
“जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
अपने इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमी,
आगे अभी सारा आसमां बाकी है”
मुख्यमंत्री गहलोत के शेर पढ़ने के बाद सदन में मौजूद सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के बीजेपी के विधायकों ने भी मेज थपथपाकर शेर की तारीफ की और नेता प्रतीपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत के शेर पर दाद देते हुए ‘वाह..’ ‘वाह..’ भी कहा. इस पर मुख्यमंत्री गहलोत ने मुस्कुराते हु फिर से दोनों नेताओं की चुटकी ली और कहा, “प्रेस देख रही है आपको, नम्बर कट जाएंगे आपके.” इसके बाद सदन में ठहाकों की आवाजें गूंजने लगीं.