Politalks.News/Delhi/ManKiBaat कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर 32 दिन से जारी 40 से ज्यादा से संगठनों के हजारों किसानों ने आज पीएम मोदी के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात‘ के दौरान जमकर अपने ‘मन की भड़ास‘ निकाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रेडियो पर अपने ‘मन की बात‘ कार्यक्रम में देश को संबोधित कर रहे थे तो ठीक उसी समय दिल्ली की बोर्डर्स पर जमा किसानों ने जमकर ‘ताली और थाली‘ बजाकर पीएम के संबोधन का विरोध करना शुरू कर दिया.
गौरतलब है कि अपनी ब्रांडिंग करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार का कोई जवाब नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों को ही जनता के सामने अंदाज-ए-बयां करने में महारथ हासिल है. यह भी सही है कि केंद्र की भाजपा सरकार के नए कृषि कानूनों को लागू करने पर देश का अन्नदाता पीएम मोदी को ही गुनाहगार मान रहा है. आज 27 दिसंबर को साल 2020 का आखिरी रविवार है और हर माह के आखिरी रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर ‘मन की बात‘ कार्यक्रम के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते आ रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ‘मन की बात‘ के दौरान कोरोना वायरस, लॉकडाउन, आत्मनिर्भर भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, तेंदुओं-शेरों की आबादी, समुद्र तटों की सफाई और लोगों के उन्हें भेजे गए पत्र आदि का जिक्र किया. सबसे बड़े गौर करने वाली बात यह कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात‘ में एक महीने से जारी किसान आंदोलन पर एक शब्द भी नहीं बोला.
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वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा उसी तरह किसानों ने भी थाली और ताली बजाई ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए. इसके अलावा पंजाब के किसान और राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए लगभग 40 किसान यूनियन के नेताओं ने प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का खुलकर विरोध करते हुए थाली और ताली बजाई.
किसानों के साथ आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भी पीएम मोदी का थाली बजाकर किया विरोध–
दूसरी ओर आप नेता और पंजाब से सांसद भगवंत मान ने थाली बजाकर पीएम का विरोध किया. इस मौके पर सांसद मान ने कहा कि हमने किसानों के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी की झूठी मन की बात के खिलाफ थाली बजा कर विरोध जताया. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश मेंं समाजवादी पार्टी ने भी किसानों के समर्थन में थाली बजाई.
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यहां हम आपको बता दें कि इसी वर्ष मार्च महीने में जब देश में कोरोना की शुरुआत हुई थी तब मोदी ने देशवासियों से थाली और ताली बजाने का आग्रह करते हुए कहा था कि यह महामारी देश से भाग जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के प्रदर्शन को एक महीने से ज्यादा समय हो गया है. किसानों की मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन सरकार इस बात पर राजी नहीं है.
राहुल गांधी ने किसानों को भाजपा सरकार के खिलाफ और उकसाया तो नड्डा ने पुराना वीडियो दिखाया
शनिवार को पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू करते समय इशारों में ही राहुल गांधी के ऊपर तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली में कुछ लोग हैं, जो हमेशा मेरा अपमान करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें मुझे लोकतंत्र पर लेक्चर दे रही हैं. पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी जमकर पलटवार किया.
हालांकि राहुल गांधी शुरू से ही किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर लगातार अपने ट्विटर पर हमला करते आ रहे हैं, साथ ही किसानों को अपना समर्थन भी दे रहे हैं. ऐसे में राहुल गांधी ने आज एक बार फिर किसानों को भाजपा सरकार के खिलाफ उकसाने के लिए प्रसिद्ध कवि द्वारिका प्रसाद महेश्वरी की कविता का सहारा लिया. राहुल गांधी ने उनकी कविता, “वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो वॉटर गन की बौछार हो, या गीदड़ भभकी हजार हो तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं वीर तुम बढ़े चलो, अन्नदाता तुम बढ़े चलो.”
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राहुल गांधी के इस बयान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वापस राहुल पर हमला बोला. नड्डा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, “ये क्या जादू हो रहा है राहुल? पहले आप जिस चीज की वकालत कर रहे थे, अब उसका ही विरोध कर रहे हैं.” जगत प्रकाश नड्डा ने राहुल गांधी का एक वीडियो भी शेयर किया, यह वीडियो सदन में दिए गए राहुल गांधी के एक भाषण का है, जहां राहुल गांधी किसानों और कंपनियों के बीच बिचौलियों को हटाने की बात कर रहे हैं. बता दें, 2 दिन पहले भी नड्डा ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी पुराना वीडियो शेयर कर उनपर निशाना साधा था. गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों पर बात करते हुए सरकार कई बार यह दावा कर चुकी है कि कानून लागू होने के बाद किसानों और फसल खरीदने वालों के बीच बीचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी.