एमपी में कमलनाथ को किनारे कर शिवराज के विजय रथ को रोकने के लिए दिग्विजय को मोर्चे पर लगाया

अतिउत्साह में आए 'पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी के लिए आइटम बयान देकर अपने पैरों पर तो कुल्हाड़ी मार ही ली साथ में कांग्रेस पार्टी की देशभर में किरकिरी भी करा दी, एक बार फिर मध्य प्रदेश की सियासत में दिग्गी राजा का सितारा बुलंद हो गया है

शिवराज को रोकने के लिए अब दिग्विजय सिंह को आगे किया आलाकमान ने
शिवराज को रोकने के लिए अब दिग्विजय सिंह को आगे किया आलाकमान ने

Politalks.News/MP By-Election. एक गलत शब्द या बयान आपकी उम्मीदों को कितना पीछे कर देते हैं, यही नहीं सभी तैयारियों पर भी पानी फिर जाता है, साथ ही पार्टी और जनता में आपकी साख भी धूमिल हो जाती है. यह चंद लाइनें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर मौजूदा समय में फिट बैठ रही हैं. ‘एमपी उपचुनावों को लेकर जहां कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से हटाने के लिए महीनों से तैयारियों में जुटे हुए थे, इसके साथ ही वे राज्य में कांग्रेस के मुख्य स्टार प्रचारक और पार्टी का नेतृत्व भी कर रहे थे’. कांग्रेस को भी पूरा भरोसा था कि कमलनाथ राज्य की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में पार्टी को शानदार जीत दिलाएंगे. लेकिन पिछले दिनों मध्यप्रदेश के डबरा विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान अतिउत्साह में आए ‘पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी के लिए आइटम बयान देकर अपने पैरों पर तो कुल्हाड़ी मार ही ली साथ में कांग्रेस पार्टी की देशभर में किरकिरी भी करा दी‘.

कमलनाथ के इस बयान के बाद भाजपा व शिवराज सिंह चौहान ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया. अब कांग्रेस केंद्रीय आलाकमान ने मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कमलनाथ को साइडलाइन करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव की कमान दी है. उपचुनाव में अभी तक कमलनाथ कांग्रेस की बागडोर संभाले हुए थे. बता दें कि दिग्विजय काफी समय से पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे. कांग्रेस आलाकमान ने भी उनको बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी हुई थी. लेकिन अब एक बार फिर मध्य प्रदेश की सियासत में दिग्गी राजा का सितारा बुलंद हो गया है.

एमपी में दिग्विजय सिंह को भाजपा से निपटने और खुद को साबित करने की होगी चुनौती-

वर्ष 2019 में भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के चुनावों में मिली करारी हार के बाद दिग्विजय सिंह पार्टी आलाकमान की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे थे. हालांकि पार्टी ने अगस्त माह में हुए राज्यसभा चुनाव में एमपी से उन्हें सांसद बनाया था. लेकिन एमपी के उपचुनाव में कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी कमलनाथ को दे रखी थी. उपचुनाव से पहले उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र के नेता और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. चुनाव की घोषणा होने के बाद से वह लगातार जनसभाएं कर रहे थे. जिस कारण भाजपा के निशाने पर कमलनाथ थे. प्रदेश की मंत्री और डबरा से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी के खिलाफ कमलनाथ की टिप्पणी ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया. अब एक बार फिर भाजपा से टक्कर लेने के लिए दिग्विजय सिंह को फ्रंट फुट पर लाया गया है.

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आपको बता दें, अभी तक दिग्विजय परदे के पीछे से काम कर रहे थे. बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी पर दिए विवादित बयान के बाद चौतरफा घिरे कमलनाथ को कांग्रेस ने दरकिनार कर अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव के मैदानी मोर्चा पर लगा दिया है. वह स्वयं कह भी चुके हैं कि इस उपचुनाव में उनकी भूमिका सिर्फ भाजपा और दलबदलुओं को चुनाव हराने की है. अब देखना होगा दिग्विजय सिंह एमपी के उपचुनाव में कांग्रेस की कसौटी पर कितना खरा उतर पाते हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शुरू से ही निशाने पर थे कमलनाथ–

एमपी के उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सबसे बड़ा खतरा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर ही लग रहा था. कमलनाथ को किनारे लगाने के लिए शिवराज सिंह मुद्दा तलाश रहे थे. कमलनाथ की इमरती देवी पर की गई टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भोपाल में दो घंटे का मौन व्रत भी रखा था, यही नहीं कमलनाथ की अभद्र टिप्पणी को महिलाओं के मान सम्मान से भी जोड़ दिया था. उसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने सोनिया गांधी से कमलनाथ को सभी पदों से हटाते हुए कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी की थी. इसके बाद राहुल गांधी ने कमलनाथ के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कमलनाथ ने किया, वह उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं है. वहीं राहुल गांधी की फटकार के बाद भी अपने बयान पर कमलनाथ ने माफी नहीं मांगी. दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री और भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी भी कमलनाथ के बयान पर लगातार हमलावर हैं.

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