हाल में खबर आयी कि महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार योग गुरू रामदेव बाबा को प्रदेश में 400 एकड़ जमीन की पेशकश कर रही है और वो भी आधे दाम पर. करोड़ों रुपये की जमीन बाबा को कोड़ीयों के दाम पर मिलेगी. सिर्फ इतना ही नहीं, स्टांप ड्यूटी की माफी के साथ जीएसटी लाभ और बिजली बिल में एक रुपये प्रति यूनिट की छूट भी उन्हें दी जा रही है.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर महाराष्ट्र सरकार को ऐसा कौनसा लाभ बाबा से मिल रहा है या मिलने वाला है जो उनपर इतनी मेहर बरसायी जा रही है. कहीं इसकी वजह आगामी विधानसभा चुनाव तो नहीं …?

महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाबा रामदेव को लातूर जिले के औसा तालुके में सोयाबीन की एक प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए जमीन देने की बात कही है. यह पूरी जमीन 400 एकड़ में फैली है. पता चला है कि बाबा रामदेव भी सरकार की ओर से पेश की गई इस पेशकश में इच्छुक हैं. लेकिन पर्दे के पीछे की बात ये है कि बाबा को जमीन देने के लिए सरकार न केवल वादाखिलाफी कर रही है, बल्कि सैंकड़ों लोगों से भविष्य में मिलने वाले रोजगार को भी छीन रही है.

दरअसल इस जमीन को 2013 में भारत हैवी इलेक्टिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) की एक फैक्ट्री लगाने के लिए अधिग्रहीत किया गया था. तब सरकार ने यहां के जमीन मालिकों से काफी कम दाम में इस जमीन को खरीदकर उनसे फैक्ट्री में नौकरी दिए जाने का वादा भी किया गया था. अब जबकि इस जमीन को बाबा रामदेव को दिये जाने की पेशकश हो रही है, ऐसे में स्थानीय लोगों ने उनकी यूनिट में नौकरियां पाने को लेकर संदेह जाहिर किया है.

एक खास बात और भी है. पता चला है कि जमीन अधिग्रहण के बदले जमीन मालिकों को 3.5 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से भुगतान हुआ था. अब इस जमीन के पास से गुजरता एक हाईवे प्रस्तावित किया गया है, उसके बाद से इन जमीनों का भाव 45 लाख रुपये प्रति एकड़ पर पहुंच गया है.

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की पर्दे के पीछे की छुपी अदावत तो किसी से छुपी नहीं है. लंबे समय से यह अफवाह भी उड़ रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अगर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन जीतता है तो ढाई-ढाई साल की सत्ता दोनों पार्टियों के पास रहेगी.

खबरें ये भी आ रही हैं कि शिवसेना चीफ उद्दव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे के लिए सीएम की जमीन तैयार करने में जुटे हुए हैं. अगर यह खबर सच है तो शिवसेना और बीजेपी एक साथ नहीं बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव की तरह अलग-अलग मैदान में उतरेंगे.

हालांकि देश में मोदी लहर है जिसकी प्रचंड आंधी लोकसभा चुनाव में देखी जा चुकी है. लेकिन यह प्रदेश स्तरीय चुनाव है, ऐसे में हो सकता है कि देवेन्द्र फडनवीस सेफ गेम खेलना चाह रहे हों. वैसे बाबा रामदेव को सस्ती जमीन देकर उनके अनुयायियों को बीजेपी के पक्ष में बुलाने का यह नया तरीका फडणवीस के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

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