देश की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश के अलावा दिल्ली राजनीति का केंद्र माना जाता है. हर किसी की निगाहें दिल्ली में जीत पर रहती है. राजनीतिक दल भी यहां अपना वर्चस्व बनाए रखने या बनाने के लिए दम-खम लगाते दिखते हैं. यहां की सातों संसदीय सीटों पर हर राजनीतिक दल जीत के सारे समीकरणों को ध्यान में रखकर ही उम्मीदवार उतारता है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी दिल्ली का दंगल हर किसी के लिए जिज्ञासा बना हुआ है. जहां सातों लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान है और शुक्रवार शाम प्रचार थमने के बाद उम्मीदवार दिल्ली के वोटर्स की नब्ज टटोलने के लिए जनसंपर्क में जुटे हैं.
सियासी दलों ने दिल्ली के दंगल में खेल व मनोरंजन जगत की हस्तियों को उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया है. यहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष व भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी के बीच टक्कर है तो वहीं क्रिकेट के मैदान के बाद सियासी पिच पर भाग्य आजमाने उतरे गौतम गंभीर का भी भविष्य दांव पर है. इसके अलावा ओलंपिक पदक विजेता बॉक्सर विेजेंद्र सिंह भी चुनावी रिंग में भाग्य आजमा रहे हैं. आम आदमी पार्टी यहां दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के साथ अपनी प्रदेश सरकार के कार्यों पर वोट बटोरने में जुटी है तो वहीं बीजेपी यहां कांग्रेस के शासन के इतिहास को भाषणों में तरजीह देकर व मोदी के नाम पर मतदाताओं से वोट मांग रही है. साथ ही कांग्रेस न्याय दिलाने के साथ सत्ता परिवर्तन के नाम पर जनता के बीच पहुंच रही है.
प्रदेश की सातों सीटों पर कौन कितना और किस पर भारी है, इसको लेकर चर्चा चल रही है. 12 मई को दिल्ली के वोटर्स अपना सांसद चुनने के लिए निकलने वाले है. दिल्ली के अलावा देशभर के लोगों की निगाहें दिल्ली की राजनीति पर रहती हैं. यहां के तीनों प्रमुख सियासी दलों के प्रत्याशियों की जानकारी के लिए पॉलीटॉक्स लेकर आया है खास रिपोर्ट –
सीट आप कांग्रेस बीजेपी
नई दिल्ली बृजेश गोयल अजय माकन मीनाक्षी लेखी
उत्तर पूर्वी दिल्ली दिलीप पांडेय शीला दीक्षित मनोज तिवारी
पूर्वी दिल्ली आतिशी अरविंदर सिंह लवली गौतम गंभीर
पश्चिमी दिल्ली बलबीर सिंह जाखड़ महाबल मिश्रा प्रवेश वर्मा
दक्षिणी दिल्ली राघव चड्ढा विजेंद्र सिंह रमेश बिधूड़ी
उत्तर-पश्चिम दिल्ली (एससी) गुग्गन सिंह राजेश लिलोठिया हंस राज हंस
चांदनी चौक पंकज गुप्ता जेपी अग्रवाल डॉ. हर्षवर्धन
नई दिल्ली सीट
दिल्ली में सरकार वाली आम आदमी पार्टी ने हाल ही में नई दिल्ली सीट पर बृजेश गोयल को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया था और इसके बाद गोयल को यहां आप प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा गया है. कांग्रेस ने दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री व दिल्ली से लगातार तीन बार विधायक रहने वाले अजय माकन पर दांव खेला है. राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले माकन साल 2004 व 2009 में सांसद रहने के अलावा केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल में भी रह चुके हैं. दिल्ली के सर्विस क्लास मतदाताओं में माकन की खासी पकड़ मानी जाती है और ये उनका यहां प्लस पॉइंट है.
वहीं बीजेपी ने पिछले चुनाव में अजय माकन को करीब पौने तीन लाख वोटों से हराने वाली मौजुदा सांसद मीनाक्षी लेखी पर फिर से भरोसा जताया है. पेशे से वकील लेखी हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मानहानि का दावा पेश कर सुर्खियों में रही थीं. लेखी की सदन में 95 फीसदी उपस्थिति रही है.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट
कभी अन्ना हजारे के एंटी करप्शन मूवमेंट के हिस्सा व बाद में आप में शामिल होने वाले दिलीप पांडेय को आम आदमी पार्टी ने उत्तर-पूर्वी सीट पर उम्मीदवार बनाया. पांडेय आप की दिल्ली यूनिट के संयोजक के अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. संपत्ति के ब्यौरे के अनुसार दिलीप पांडेय की पत्नी उनसे ज्यादा अमीर हैं. वहीं कांग्रेस ने तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को यहां मौका दिया है. शीला दिल्ली में आप के पहले चुनाव में अरविंद केजरीवाल से हार गई थीं. साल 1984 में शीला दीक्षित ने पहला चुनाव कन्नौज सीट से लड़ा और उसके बाद साल 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.
वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष व पीएम मोदी-अमित के करीबी माने जाने वाले भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी यहां दिलीप पांडेय व शीला दीक्षित को चुनौती दे रहे हैं. तिवारी ने साल 2009 में समाजवादी पार्टी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था. पूर्वांचली बाहुल्य उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बीजेपी ने पिछले चुनाव में मनोज तिवारी को उतारा. तिवारी ने पार्टी के भरोसे को बनाए रखा और आप के प्रो. आनंद कुमार को करीब सवा लाख वोटों से शिकस्त दी.
पूर्वी दिल्ली सीट
आप आदमी पार्टी दिल्ली में शिक्षा स्तर को ऊपर उठाने के लगातार दावे करती रही है और इसका पूरा श्रेय आप नेता आतिशी को मिलता रहा है. यही कारण रहा होगा कि पार्टी ने पहले पूर्वी दिल्ली का चुनाव प्रभारी बनाने के बाद यहां से प्रत्याशी बना मैदान में उतार दिया. पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य होने के साथ आतिशी दिल्ली उपमुख्यमंत्री की एडवाइजर भी रही हैं. कांग्रेस ने यहां छात्र राजनीति से सियासी सफर शुरू कर शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली को उम्मीदवार बनाया है.
दिल्ली की राजनीति के अनुभवी माने जाने वाले लवली साल 1998 से 2013 तक विधायक पद पर बने रहे थे. इसके अलावा लवली कांग्रेस प्रदेश इकाई में अध्यक्ष भी रह चुके हैं. एक दौर ऐसा भी आया था जब लवली ने पार्टी से खिलाफत कर बीजेपी का दामन थामा था लेकिन मौके की नजाकत को संभालते हुए राहुल गांधी ने घर वापसी करवाने के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा दिया था. इस घटना से पार्टी में उनके रसूख का अंदाजा सबको लग गया.
बीजेपी ने यहां मजबूत व जिताऊ चेहरे के रूप में खेल जगत का सितारा चुना. पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चाओं में बने रहने वाले क्रिकेटर गौतम गंभीर को दिल्ली के दंगल में उतार दिया. क्रिकेट क्रीज के बाद अब सियासी मैदान में ओपनिंग के लिए उतरे गंभीर युवाओं के चहेते माने जा रहे हैं. साल 2008 में भारत सरकार द्वारा उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था. आप उम्मीदवार आतिशी व कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली के सामने स्पोर्ट्स कार्ड खेल बीजेपी ने मुकाबला कांटे की टक्कर का बना दिया है. राजनीतिक पंडित भी इस सीट पर रोमांचक मुकाबले की भविष्यवाणी कर चुके हैं.
पश्चिमी दिल्ली सीट
आम आदमी पार्टी ने पश्चिमी दिल्ली के सभी जिताऊ समीकरणों को ध्यान में रख कर बलवीर सिंह जाखड़ पर दांव खेला है. जाखड़ यहां आप के मजबूत प्रत्याशी के रूप में माने जा रहे हैं. उनकी हर वर्ग में अच्छी पकड़ बताई जा रही है. साथ ही उन्हें जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस ने यहां पार्षद से विधानसभा तक का सियासी सफर तय करने वाले महाबल मिश्रा को मौका दिया है. दिल्ली के लालू यादव कहे जाने वाले महाबल पश्चिमी दिल्ली से साल 2009 में सांसद बने थे लेकिन पिछली बार मोदी लहर में वे टिक नहीं पाए. महाबल ने दिल्ली एमसीडी से पार्षद के रूप में राजनीति की शुरुआत की और बाद में नसीरपुर से विधायक चुने गए. आज महाबल दिल्ली कांग्रेस में पूर्वांचल का मजबूत चेहरा है.
बीजेपी ने यहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को टिकट दे मैदान में उतारा है. प्रवेश को राजनीति विरासत में मिली लेकिन साल 2009 में पार्टी ने कम अनुभव व उम्र के चलते नजर अंदाज कर दिया. पिछले चुनाव में पार्टी को दिल्ली की सातों सीट पर जीत दिलाने में प्रवेश की अहम भूमिका मानी जाती है. आप के दमदार प्रत्याशी जरनैल सिंह को प्रवेश ने ढाई लाख वोटों से शिकस्त दी थी. यहां प्रवेश का मजबूत पक्ष ये है कि दिल्ली से बाहर के जाट बाहुल्य इलाकों में इनका खासा प्रभाव माना जाता है.
दक्षिणी दिल्ली सीट
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य व पार्टी के सबसे युवा प्रवक्ता राघव चड्ढा यहां चुनाव मैदान में है. पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे राघव ने कानूनी मामलों के निपटारे की भी कमान संभाली थी. राघव आप को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई करने वाली पार्टी के रूप में प्रचारित कर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. कांग्रेस ने यहां सेलिब्रिटी कार्ड खेला और ओलंपिक पदक विजेता बॉक्सर विजेंद्र सिंह को चुनावी रिंग में उतारा. विजेंद्र ने हाल ही में हरियाणा पुलिस में डीएसपी पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा और पार्टी ने दक्षिण दिल्ली सीट की प्रत्याशी के रूप में कमान दे दी. विजेंद्र का नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा है. हाल ही में बतौर कामयाब बॉक्सर रहने के बावजूद विजेंद्र ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग को चुना था.
बीजेपी ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मौजुदा सांसद रमेश विधूड़ी पर फिर दांव खेला है. पिछले चुनाव में विधूड़ी ने आप के कर्नल देवेंद्र सहरावत को एक लाख से भी ज्याद मतों से पटखनी दी थी. तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे रमेश विधूड़ी गुर्जर समाज के मजबूत नेता माने जाते हैं. समाज के अलावा अन्य वर्गों में भी विधूड़ी की अच्छी पकड़ इनका प्लस पॉइंट है लेकिन विवादों से इनका भी गहरा रिश्ता रहा है.
उत्तर-पश्चिम दिल्ली (एससी) सीट
दिल्ली की उत्तर-पश्चिम सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है. यहां आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के पूर्व विधायक गुग्गन सिंह को मैदान में उतारा है. सिंह साल 2015 में आप प्रत्याशी वेद प्रकाश से हार गए और बीजेपी का दामन थामा. वहीं साल 2017 में सिंह को हराने वाले वेद प्रकाश ने आप छोड़ी दी और बीजेपी में चले गए. एक मात्र आरक्षित सीट पर कांग्रेस ने जीत के समीकरण देख राजेश लिलोठिया को चुनावी दंगल में उतारा. लिलोठिया प्रदेश कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा केंद्रीय संगठन में सचिव भी हैं. इसके अलावा प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे लिलोठिया साल 2004 व 2009 में विधायक भी चुने गए थे.
बीजेपी ने भी जिताऊ चेहरे की तलाश में काफी जद्दोजहद के बाद मौजूदा सांसद का टिकट काटा और पंजाबी व सूफी गायक हंसराज हंस को मौका दिया. हंस हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए. उनके टिकट पर सबसे आखिर में फैसला लिया गया था. अपनी लोकप्रियता के चलते हंसराज हंस को यहां मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है. वहीं टिकट कटने से नाराज उदित राज ने कांग्रेस का हाथ थामा है.
चांदनी चौक सीट
दिल्ली का ह्रदय है चांदनी चौक, आम आदमी पार्टी ने इस संसदीय सीट पर पंकज गुप्ता को मौका दिया है. गुप्ता दूसरी बार पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बने हैं. साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य गुप्ता 25 साल तक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी कर चुके हैं. जन लोकपाल आंदोलन से जुड़े रहने के बाद गुप्ता ने आप की सदस्यता ली थी. कांग्रेस ने इस सीट पर यूथ कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले जेपी अग्रवाल पर भरोसा जताया है. जेपी 1973 में यूथ कांग्रेस के सदस्य रहे और 1984 में पहली बार चांदनी चौक से सांसद निर्वाचित हुए. इसके बाद 1989 व 1996 के लोकसभा चुनाव में भी विजयी होकर सदन पहुंचे. चार बार लोकसभा सांसद रहने वाले जेपी अग्रवाल पिछले चुनाव में मोदी लहर की भेंट चढ़ गए और उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से जीत नहीं पाए. इस बार पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की जगह उन्हें चांदनी चौक से मौका दिया है.
बीजेपी ने इस सीट पर दिल्ली प्रदेश से केंद्र की राजनीति में सक्रिए रहे डॉ. हर्षवर्धन को फिर मौका दिया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के तौर पर जाने जाने वाले डॉ. हर्षवर्धन यहां आरएसएस व कॉर्पोरेट जगत के चहेते माने जाते है. साल 1993 में पूर्वी दिल्ली के कृष्णानगर से पहली बार विधायक बने हर्षवर्धन चार बार विधानसभा पहुंचे. पिछले चुनाव में आप उम्मीदवार आशुतोष व कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल को डॉ. हर्षवर्धन ने पटकनी दी थी. इसके बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया. ईएनटी एक्सपर्ट डॉ. हर्षवर्धन दिल्ली में कभी भी चुनाव नहीं हारे हैं.
बहरहाल, दिल्ली की इन सातों लोकसभा सीटों पर 12 मई को जनता अपना सांसद चुनने वाली है. जहां कई दिग्गज नेताओं के अलावा खेल जगत में नाम कमाने के बाद राजनीति के खेल का रूख करने वालों का भी भविष्य दांव पर है. इसके अलावा गायकी के जरिए लोगों के दिलों पर राज करने वाले एक मशहूर गायक भी अपना भाग्य आजमाने में लगे हैं. दिल्ली सीएम अरविेंद केजरीवाल भी पूर्ण राज्य की मांग के अलावा दिल्ली सरकार के कामों के बल पर वोटर्स के आप के समर्थन में मतदान की आस लगाए बैठे हैं. अब 12 मई को तो जनता अपना फैसला ईवीएम को सौंप देगी लेकिन ईवीएम 23 मई को ही ‘कौन कहां सांसद’ पर अपना फैसला सुनाने वाली है.