पॉलिटॉक्स न्यूज. हाल में एक्टर और एक बेहतर इंसान इरफान खान का निधन हो गया. वे कैंसर से पीड़ित थे. उनका जाना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा सदमा है जिससे सिनेमा जगत जल्द नहीं उभर सकेगा. बीते दिनों एक्ट्रस दीपिका पादुकोण ने इरफान खान का एक वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किया है जिसमें वे इरफान के साथ टैनिस खेल रही हैं. ये उस समय का वीडियो है जब दोनों कलाकार फिल्म पीकू की शूटिंग कर रहे थे. पीकू साल 2015 में फ्लोर पर आई थी जिनमें दोनों ही कलाकारों का अभिनय काबिलेतारीफ था. इस वीडियो को शेयर करते हुए दीपिका काफी दुखी दिखी और इरफान को याद करते हुए उन्होंने लिखा ‘प्लीज लौट आइए’.
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बेहद भावपूर्ण ये वीडियो जिसने फिर से एक बार इरफान की यादों को जिंदा कर दिया. उनके वीडियो पोस्ट करने के बाद यूजर्स के कमेंट्स आने शुरु हो गए. एक यूजर ने कहा कि मैंने पीकू कई बार देखी है, सिर्फ और सिर्फ इरफान की वजह से.
एक यूजर ने कहा कि जब हम किसी को खो देते हैं, ताकि हम उन्हें आखिरी बार इतना तंग कर सकें ताकि हम उनके साथ बातचीत कर सकें ताकि हम कह सकें कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं.
इरफान की एक फिमेल फैन लिखती हैं कि मैं उसके बारे में सोचना भी बंद नहीं कर सकती. उसकी आवाज मेरे कानों में गुनगुनाती रहती है. मुझे लगता है कि मैंने हमेशा उसे जाना है. जीवन अजीब है.
एक यूजर ने मुकद्दर का सिंकदर फिल्म का गाना गुनगुनाते हुए लिखा, ‘रोते हुए आते हैं सब…वो मुकद्दर का सिंकदर कहलाएगा’.
‘एक कलाकार कभी नहीं मरता. अगर मैं इन दिनों कोई फिल्म देख रहा हूं तो मैं केवल उनकी फिल्में देख रहा हूं. उनमें से कुछ को मैं दो बार तो कुछ को तीन बार देख रहा हूं … हमें बहुत अच्छा लगा’. यह कहना है उनके एक और फैन का.
वहीं उनकी एक और फिमेल फैन का कहना है कि मैं सचमुच हर एक दिन रो रही हूं क्योंकि मुझे इरफ़ान की बहुत याद आती है. मेरा दिल दुख रहा है. यह वीडियो मुझे उसे इतना बुरा वापस चाहता है. वह बस दिल भर गया था. मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया.
इससे पहले भी दीपिका ने इरफान को याद करते हुए पीकू के सेट की एक फोटो पोस्ट की थी जिसमें वे आपस में हंसी मजाक कर रहे हैं. पोस्ट पोस्ट के साथ दीपिका ने लिखा,
लम्हे गुज़र गये
चेहरे बदल गये
हम थे अंजानी राहो में पल में रुला दिया
पल में हसा के फिर
रह गये हम जी राहो में थोड़ा सा पानी है रंग है
थोड़ी सी छावो है
चुभती है आँखो में धूप
ये खुली दिशाओ में और दर्द भी मीठा लगे
सब फ़ासले ये कम हुए
ख्वाबो से रस्ते सजाने तो दो
यादो को दिल में बसाने तो दो
लम्हे गुज़र गये
चेहरे बदल गये
हम थे अंजानी राहो में थोड़ी सी बेरूख़ी जाने दो
थोड़ी सी ज़िंदगी
लाखो स्वालो में ढूंधू क्या
थक गयी ये ज़मीन है
जो मिल गया ये आस्मा
तो आस्मा से मांगू क्या
ख्वाबो से रस्ते सजाने तो दो
यादो को दिल में बसाने तो दो’.
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