मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित 112 विधायकों के खिलाफ कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के दिल्ली रोड स्थित एक निजी होटल में की गई विधायकों की बाड़ाबंदी के खिलाफ इस्तगासे पर आमेर की अधीनस्थ कोर्ट ने आमेर थानाधिकारी को 23 सितंबर तक जांच रिपोर्ट पेश करने के दिए निर्देश

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Politalks.News/Rajasthan. पहले राज्यसभा चुनाव के समय और दूसरी बार सचिन पायलट के 19 समर्थक विधायकों के साथ बगावती तेवर अपनाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिल्ली रोड स्थित होटल्स में विधायकों की बाड़ाबंदी करना याब सरकार को भारी पड़ सकता है. आमेर की अधीनस्थ कोर्ट ने विधायकों की बाड़ाबंदी के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन होने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित 112 लोगों के खिलाफ इस्तगासे में आमेर थानाधिकारी को जांच करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने आमेर थानाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे 23 सितंबर तक अनुसंधान कर उसकी रिपोर्ट पेश करें.

कोर्ट में पेश किए गए इस्तगासे में कहा गया था कि कोविड- 19 संक्रमण के कारण देशभर में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. खुद केन्द्र और राज्य सरकार ने भी महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों के इकट्‌ठा होने पर पाबंदी लगा रखी थी. लेकिन बावजूद इसके 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सभी विधायकों की एक होटल में बाड़ेबंदी कर दी. इसके बाद 13 जुलाई को पुन: एक बार फिर सचिन पायलट के बगावती तेवर के दौरान करीब 100 विधायकों के अलावा कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता एक साथ एक होटल रुके.

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इस तरह से दोनों ही बार खुद सरकार और उसके मंत्रियों ने कोविड-19 गाइडलाइन की पालना नहीं की जबकि गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान खुद सरकार ने रखा हुआ है. इस्तगासे में बताया गया कि इस महामारी में 50 से ज्यादा लोग एक साथ एक स्थान पर इकट्‌ठा नहीं हो सकते. जबकि दिल्ली रोड स्थित एक निजी होटल में विधायकों सहित 100 से भी कई ज्यादा लोग एकत्र हुए. यहां तक कि इनमें से कई विधायकों की उम्र 60 साल से भी ज्यादा है. यही नहीं इन विधायकों के इकट्‌ठा होने के लिए प्रशासन से किसी प्रकार की मंजूरी भी नहीं ली गई थी. इसलिए कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.

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