Politalks.News/MP. मध्यप्रदेश में सत्ता की सबसे बड़ी जंग की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और अंदर ही अंदर चुनावी चौसर पर मुहरे फिट हो गए हैं. प्रचार कार्य का बिगुल भी फूंका जा चुका है. इंतजार है तो बस तारीखों की घोषण की. पीसीसी चीफ और पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) का फोकस मिशन-27 पर है तो बीजेपी को तलाश है केवल बहुमत हासिल करने की जो केवल 9 सीट दूर है. अगर बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल हो जाता है तो कांग्रेस अपने आप सत्ता से दूर रह जाएगी. बीजेपी चुनावी प्रचार शुरु कर चुकी है, वहीं कमलनाथ अगले हफ्ते से प्रचार कार्य में लग जाएंगे. फिलहाल वें योग्य उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करने में लगे हुए हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थित 22 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश में उक्त सभी विधानसभा सीटें रिक्त हो गई थीं. बाद में तीन अन्य कांग्रेस विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए. एक निर्दलीय विधायक के सीट छोड़ने और एक कांग्रेस विधायक की मौत के बाद दो सीटें और खाली हो गई. इस तरह मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर जल्द ही उप चुनाव होने हैं जिस पर प्रदेश सहित केंद्र की भी खासी नजर है. अगर बीजेपी यह घमासान जीतने में कामयाब होती है तो शिवराज सिंह की धाक कायम रहेगी. वहीं अगर कांग्रेस ये असंभव दिख रहे मुकाबले को जीत जाती है तो न केवल कांग्रेस सत्ता में लौटेगी, सिंधिया से बदला लेकर कमलनाथ हिसाब चुकता करेंगे.
इन उपचुनाव में कमलनाथ और सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सहित ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी साख दांव पर है. सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस को सभी 27 सीटों पर जीत दर्ज करनी जरूरी है जो थोड़ा मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं क्यों जनता की हमदर्दी कांग्रेस के साथ है. जबकि कांग्रेस के बीजेपी में गए नेताओं की ग्राउंड लेवल पर स्थिति कम आंकी जा रही है. सूबे में 27 सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल उपचुनाव की तैयारी में जुटे हैं.
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बीजेपी मैदानी तैयारी के साथ संगठन के स्तर पर भी नई बिसात बिछा रही है. बीजेपी प्रबंध समिति की बैठक में अहम फैसले हुए राष्ट्रीय नेताओं को प्रचार में बुलाने पर चर्चा हो चुकी है और पार्टी ने बूथ प्रभारियों से लेकर पन्ना प्रभारियों तक के सम्मेलन करने की तैयारी कर ली है. इस बीच प्रदेश बीजेपी के कई दिग्गज़ दिल्ली पहुंचे हैं जहां केन्द्रीय नेतृत्व के साथ उपचुनाव की रणनीति फाइनल होगी. इसके अलावा हाईकमान से प्रदेश कार्यसमिति पर अंतिम मुहर भी लग सकती है. ग्वालियर में बीजेपी पहले ही तीन दिवसीय सदस्यता ग्रहण समारोह का आयोजन कर चुकी है जिसमें चार लाख कार्यकर्ताओं के बीजेपी में शामिल होने का दावा किया जा रहा है.
इधर, कांग्रेस में भी खामोशी से रण में उतरने की तैयारी चल रही है. कमलनाथ भी 27 सीटों पर जीत के पॉइंट सेट कर रहे हैं. इसी माह के दूसरे हफ्ते में पीसीसी चीफ कमलनाथ ग्वालियर चंबल में प्रचार का शंख फूंकेंगे. खबरें हैं कि प्रत्याशियों की एक सूची भी तैयार की है. जल्दी ही ये नाम एआईसीसी को भेजे जाएंगे. हालांकि कमलनाथ द्वारा तैयार एक सूची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है लेकिन खुद कमलनाथ ने टवीट कर इन बातों का खंडन किया और वायरल सूची को महज अफवाह बताया.
विश्वस्त सूत्रों से खबर आ रही है कि कांग्रेस ने प्रत्याशियों के तय कर लिए हैं और जल्दी ही इन नामों की घोषणा कर दी जाएगी. पता चला है कि 12 सीटों पर सिंगल नाम और 15 सीटों पर 2 से 3 नामों पर चर्चा चल रही है. जिन सिंगल नामों की चर्चा है उनमें मेहगांव से राकेश सिंह चतुर्वेदी, भांडेर से फूल सिंह बरैया, सांवेर से प्रेमचंद गुड्डू, हाटपिपालिया से राजेंद्र सिंह बघेल, आगर से विपिन वानखेड़े, बमौरी से केएल अग्रवाल, सुवासरा से राकेश पाटीदार, पोहरी से हरीवल्लभ शुक्ला, दिमनी से रविंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर से सुनील शर्मा, गोहद से रामनारायण सिंह, मुरैना से राकेश मावई के नाम सामने आ रहे हैं.
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इधर, बसपा भी उप चुनावों की जलती भट्टी में अपने हाथ सेंकने में लगी हुई है. सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा कर रही बसपा 7 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. हालांकि एमपी में बसपा का जनाधार न के बराबर है लेकिन बसपा का चुनावी मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका साबित होने वाला है. बसपा का जनाधान दलित वर्ग है जो कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक है और हर हाल में एक दूसरे के वोट कटेंगे जिसका फायदा बीजेपी को होना पक्का है. खैर…जब शुरुआत ऐसी है तो अंजामे गुलस्तां क्या होगा… देखना रोचक रहने वाला है.