Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में कोरोना के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. प्रदेश में दिन-ब-दिन रिकवरी रेट सुधर रही है लेकिन रोजाना 1500 से अधिक संक्रमित सामने आ रहे हैं. कुल मरीजों की संख्या एक लाख के पार और एक्टिव मरीजों की संख्या 17 हजार से अधिक हो चुकी है. मरने वालों का आंकड़ा भी 1250 से ज्यादा हो गई है. बिगड़ती परिस्थितियों के बीच विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है, साथ ही कोरोना नियंत्रण के लिए प्रदेश में 15 दिन के लिए पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित किए जाने की मांग भी की. लॉकडाउन पूरा होने के बाद अगले चरण में सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को लॉकडाउन जारी रखने का सुझाव दिया है.
इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर अपने सुझाव भी रखे. उन्होंने उक्त दोनों सुझाव देने के साथ कोरोना जांच के लिए डॉक्टर की पर्ची की अनिवार्यता ख़त्म करने की भी मांग रखी है.
अपने पहले ट्वीट में राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में दिन-प्रतिदिन कोरोना महामारी का क़हर बढ़ता जा रहा है और प्रतिदिन मरीज़ों की संख्या का ग्राफ़ अग्रसर हो रहा है। ऐसे में जब आमजन स्वास्थ्य की चिंता में या अस्वस्थ्य महसूस होने पर #COVID19 की जांच के लिए जाता है चाहे वह निजी अस्पताल या लैब हो तो आजकल उसे डॉक्टर की पर्ची पर जांच के लिए लिखवा कर लाने को बोला जाता है जिससे अधिकांशतः लोग जांच नही करवा पा रहे है जिसका ख़ामियाज़ा भी कहीं न कहीं कोरोना की संख्या में बढ़ोत्तरी के रूप में आगे आएगा.
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चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को टैग करते हुए उपनेता प्रतिपक्ष ने लिखा, ‘राजस्थान में #COVID19 संकट लगातार बढ़ रहा है. सरकार को कोरोना रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट गाइड लाइन की पालना अनुसार जरूरत है. कोरोना की रोकथाम के लिए जो समुदाय जनता के अधिक संपर्क में आते हैं ऐसे सुपर स्प्रेडर्स की रेंडम सैम्पलिंग जांचों की आवश्यकता है.
सरकारी महकमा किस तरह से काम कर रहा है यह बात #COVID19 जांच केंद्र पर एक दिन में एक ही व्यक्ति की मिलने वाली विवादास्पद पॉजिटिव- नेगेटिव जांच रिपोर्ट से बयां हो रहा है। सरकार के मुखिया को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि कोरोना की जांच रिपोर्ट समय पर तथा सत्यता से मिल सके।
— Rajendra Rathore (@Rajendra4BJP) September 15, 2020
अगले ट्वीट में राठौड़ ने लिखा, ‘सरकारी महकमा किस तरह से काम कर रहा है. यह बात #COVID19 जांच केंद्र पर एक दिन में एक ही व्यक्ति की मिलने वाली विवादास्पद पॉजिटिव- नेगेटिव जांच रिपोर्ट से बयां हो रहा है. सरकार के मुखिया को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि कोरोना की जांच रिपोर्ट समय पर तथा सत्यता से मिल सके.
ऐसे में राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार से तीन मांग रखी है, जो इस प्रकार से है..
1. आमजन को कोरोना की जाँच के लिए डॉक्टर की पर्ची की अनिवार्यता ख़त्म कर सभी को जाँच करवाने की सुविधा प्रदान की जाए.
2. प्रदेश में 15 दिन के लिए पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित कर दिया जाए.
3. लॉकडाउन पूरा होने के बाद भी अगले चरण में शनिवार, रविवार को लॉकडाउन जारी रखा जाए.
गौरतलब है कि राजस्थान में 3 मार्च को कोरोना का पहला केस सामने आया था. इसके करीब 100 दिन के भीतर 5 जून को मरीजों की संख्या 10 हजार के पार पहुंच गई. अगले 30 दिनों में कोरोना के मरीजों की संख्या 20 हजार, अगले 15 दिनों में 30 हजार हो गई. अगले महज 10 दिनों में यानि 30 जुलाई को संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 40 हजार और अगले 9 दिनों में 50 हजार के पार आंकड़ा पहुंच गया.
31 अगस्त को कोरोना मरीजों का प्रदेश में आंकड़ा 80 हजार था जो एक सितम्बर से 6 सितम्बर के बीच 10 हजार बढ़कर 90 हजार पहुंच गया. बीते एक सप्ताह में यानि केवल 6 दिनों में 14 हजार मरीज सामने आ गए और कुल कोरोना मरीजों का आंकड़ा एक लाख के पार निकल गया. आंकड़ों से साफ है कि जहां कोरोना के पहले 50 हजार पॉजिटिव केस 158 दिन में सामने आए थे, वहीं नए 50 हजार केस मात्र 37 दिन में सामने आए हैं. यानी अगर पिछले 50 हजार केस का औसत निकाले तो प्रतिदिन करीब 1351 मरीज मिल रहे हैं लेकिन हकीकत इससे भी भयानक है.
पिछले करीब 10 दिनों से रोजाना 1500 से अधिक नए कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं और औसतन 10 लोग संक्रमण से दम तोड़ रहे हैं. हालांकि रिकवरी रेट 76 फीसदी से अधिक है लेकिन इसके बावजूद 17 हजार से अधिक एक्टिव मरीज प्रदेश में मौजूद है.