Politalks.News/Rajasthan. क्या यह हमारी संवैधानिक विकास के चरण का एक हिस्सा है, कब तक राजनीतिक मामलों में अर्जेंट हियरिंग कोर्ट के माध्यम से फैसले होंगे? राजनीतिक दल खुद ही नैतिकता का परिचय क्यों नहीं देते? राज्यपाल और स्पीकर के सारे निर्णय को क्यों नहीं किया जा पा रहा है स्पष्ट? किसी भी राज्य में सरकार बननी होती है तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाता है. गोवा में बीजेपी ने कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों का अपनी पार्टी में मर्जर करा लिया. बीजेपी की नजर में वो सही है, लेकिन राजस्थान में 6 बीएसपी विधायकों का कांग्रेस में मर्जर बीजेपी की नजर में गलत है, असंवैधानिक है.
अब दोनों मामले सुप्रीम कोर्ट में तय होंगे. गोवा मामले की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में आज होनी है, वहीं राजस्थान के मामले में बीजेपी विधायक मदन दिलावर की एसएलपी पर भी आज ही सुप्रीम कोर्ट में होनी है. हालांकि राजस्थान हाइकोर्ट की एकलपीठ कल 11 अगस्त को बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय पर स्टे की एप्लीकेशन पर अपना फैसला देगी. हालांकि दोनों ही पक्ष यानी मदन दिलावर और बसपा से आए विधायक एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट गए हैं.
पहले जान लेते हैं, गोवा का मामला
गोवा विधानसभा में कुल 40 सीट हैं. इसमें से चुनाव में कांग्रेस को 15, बीजेपी को 13 व अन्यों को 10 सीटें मिली हैं. यहां बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के 10 विधायकों को बीजेपी में मर्जर कराकर सरकार बना ली. कांग्रेस के नेता इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए और 10 कांग्रेस विधायकों का बीजेपी में विलय को असंवैधानिक बताया. कांग्रेस नेताओं ने गोवा विधानसभा के स्पीकर की ओर से इस मर्जर को दी गई मान्यता को भी असंवैधानिक बताया है. एक साल से लंबित इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
यह भी पढ़ें: कांग्रेसी बने बसपा के 6 MLAs को वोटिंग से रोकें अन्यथा अपूरणीय क्षति होगी- SC में दायर हुई याचिका
बीजेपी नेता नीतिन गड़करी सहित अन्य नेताओं ने गोवा में हुए कांग्रेस विधायकों के भाजपा में मर्जर को पूरी तरह सही ठहराया था. कांग्रेस के 10 विधायकों की मदद से ही बीजेपी ने गोवा में सरकार बनाई है.
अब जान लिजिए, राजस्थान में क्या हुआ
राजस्थान में बीएसपी से जीतकर आए 6 विधायकों का कांग्रेस में मर्जर हुआ. हालांकि यहां कांग्रेस सरकार बना चुकी थी लेकिन बीएसपी विधायकों के मर्जर के बाद कांग्रेस ने अपना बहुमत मजबूत कर लिया. दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा विधायक मदन दिलावर ने इसे असंवैधानिक बताते हुए स्पीकर के समक्ष याचिका लगाई. राजस्थान में राजनीतिक घमासान शुरू होते ही दिलावर इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए. इसके बाद बीएसपी भी इस विलय के खिलाफ कोर्ट में पहुंच गई. इसी मामले में 11 अगस्त एकलपीठ अपना फैसला देगी.
कांग्रेस में ऐसे बसपा विधायक और बीजेपी (मदन दिलावर) सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
कांग्रेस में आए बसपा विधायकों ने दो दिन पहले राजस्थान के मर्जर मामले को गोवा के मर्जर मामले से जोड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट में दोनों मामलों पर एक साथ सुनवाई के लिए याचिका लगाई है. इस याचिका को अभी सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड किया जाना है. वहीं बीजेपी यानी विधायक मदन दिलावर भी इसी मामले में एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं, जिस पर भी आज सुनवाई होनी है.
बहुत ही रौचक होता जा रहा है मामला
समझ में नहीं आ रहा है कि गोवा में कांग्रेस विधायकों का मर्जर हुआ तो वो बीजेपी की नजर में संवैधानिक है, राजस्थान में बीएसीपी विधायकों का कांग्रेस में मर्जर हुआ तो असंवैधानिक है, कैसे? वहीं कांग्रेस के नजरिए से देखें तो गोवा में उनके 10 विधायकों का बीजेपी में मर्जर हुआ तो वह असंवैधानिक है, और राजस्थान में कांग्रेस ने 6 बीएसपी विधायकों का मर्जर कराया तो वह संवैधानिक है, कैसे?
यह भी पढ़ें: वसुंधरा राजे के नई पार्टी बनाने की सम्भावना और बीजेपी विधायकों की बाड़ाबंदी पर राजेंद्र राठौड़ Excl
देखने वाली बात जो होगी वो यह कि अगर राजस्थान में बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों का मर्जर असवैंधानिक है तो गोवा में बीजेपी की सरकार गिर जाएगी और कांग्रेस की सरकार बन जाएगी. वहीं राजस्थान में गहलोत सरकार को बहुमत साबित करने में दिक्कत खड़ी हो जाएगी. और अगर दोनों जगह का मर्जर सवैंधानिक है तो आगे भविष्य में कई राज्यों में ऐसी तोड़-फोड़ आम हो जाएगी.
हद हो गई, राजनीतिक दल किस तरह से संवैधानिक व्यवस्थाओं को अपने-अपने हिसाब से परिभाषित करते रहते हैं. उसके बाद सभी सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं. फिर कोर्ट को लंबी सुनवाईयों के बाद महत्वपूर्ण फैसले सुनाने पड़ते हैं. खैर……