राहुल के सामने ही भिड़े कांग्रेसी, हार से सबक ले बाकी राज्यों में गुटबाजी पर अंकुश की कोशिश में आलाकमान

लगभग चार घंटे चली बैठक में राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं से पहले अलग-अलग और फिर एक साथ की मुलाकात, जाट व गैर जाट के मुद्दे पर कुलदीप बिश्नोई और दीपेंद्र हुड्डा जबरदस्त उलझ गए, सुरजेवाला को दखल देकर दोनों को शांत कराना पड़ा, वहीं शैलजा ने स्पष्ट रूप से बताया कि न तो हुड्डा खेमे ने सहयोग किया और न ही एआईसीसी ने बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उनकी मदद की

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Politalks.News/Haryana/Congress. देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में मिली करारी हार से सबक ले कांग्रेस (Congress) ने अन्य राज्यों में नेताओं की आपसी गुटबाजी पर अंकुश लगाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. खासकर पंजाब (Punjab) में जिस तरह से दिग्गजों की आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस में बिखराव हुआ उसको लेकर कांग्रेस आलाकमान बेहद चिंतित है. इसी कड़ी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को हरियाणा कांग्रेस (Haryana Congress) के नेताओं से मुलाकात की. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आवास पर लगभग चार घंटे चली बैठक में राहुल ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं से पहले अलग-अलग और फिर एक साथ मुलाकात की. सूत्रों का कहना है कि इस दौरान प्रदेश कांग्रेस के बीच के मतभेद खुलकर सामने आए. एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (BS Hudda) और कुमारी शैलजा (Kumari Shailja) भिड़ते नजर आए तो वहीं कुलदीप बिश्नोई और दीपेन्द्र हुड्डा (Deependra Hudda) के बीच भी तीखी नोकझोंक हुई. वहीं, राहुल गांधी ने सभी को एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए संगठित होकर जल्द मैदान में उतरने की नसीहत दी.

पांच राज्यों में मिली करारी हार और पंजाब में सत्ता गंवाने के बाद हरियाणा कांग्रेस का कुनबा एकजुट करने के लिए शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में राहुल गांधी के सामने ही जाट व गैर जाट के मुद्दे पर कुलदीप बिश्नोई और दीपेंद्र हुड्डा जबरदस्त उलझ गए. मामला इतना बढ़ गया कि राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला को दखल देकर दोनों को शांत कराना पड़ा. दरअसल, बैठक में कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि भजन लाल को कमान सौंपने पर पार्टी को साठ से अधिक सीटें हरियाणा में मिली थीं, इसलिए किसी गैर जाट को हरियाणा में चेहरा बनाया जाए. उनकी बात पूरी होते ही सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भजन लाल के नाम पर तो अलग पार्टी भी बनाई गई तब इतनी सीटें क्यों नहीं आईं. दीपेंद्र ने कहा कि मेरिट के हिसाब से नतीजा निकाला जाना चाहिए और 36 बिरादरी को साथ लेकर चलना चाहिए. इस दौरान दोनों के बीच बढ़ती तनातनी को भांप कर रणदीप सुरजेवाला ने दोनों को शांत कराया.

आपको बता दें कि आंतरिक कलह, गुटबाजी, जाति और आलाकमान के पार्टी मामलों को गलत तरीके से संभालने के कारण कांग्रेस ने पंजाब में करारी हार का सामना किया है. इससे सबक ले आगे आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा कांग्रेस को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. लेकिन इस बैठक में ही हरियाणा कांग्रेस कमेटी में नेतृत्व को लेकर जारी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई.

बता दें, वर्तमान में कुमारी शैलजा के पास प्रदेशाध्यक्ष का पद है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और शैलजा के संबंध ठीक नहीं हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान जब राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं से अपने विचार रखने का आग्रह किया, तो आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई. शैलजा ने बैठक में स्पष्ट रूप से बताया कि न तो हुड्डा खेमे ने सहयोग किया और न ही एआईसीसी ने बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उनकी मदद की. बल्कि उन्हें तीन या चार की टीम के साथ संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ा. राहुल गांधी के सामने ही हुड्डा पर बरसते हुए कुमारी शैलजा ने कहा कि कुछ नेताओं ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई को मजबूत करने में कभी सहयोग नहीं किया. हालांकि, हरियाणा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने इस आरोप का पूरी तरह से खंडन किया. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है. हुड्डा ने कहा कहा कि वह पीएम और सीएम सहित भाजपा नेताओं से लड़ने में किसी से पीछे नहीं हैं.

सूत्रों की मानें तो सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने चुनावों से पहले एक सही आख्यान की आवश्यकता पर जोर देते हुए खुले तौर पर हरियाणा कांग्रेस के जाट नेतृत्व की वकालत की. लेकिन बैठक में निर्णय लिया गया कि संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. पंजाब में कैप्टन पर किए गए प्रयोग के बाद आलाकमान पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पर हाथ डालने से बच रहा है और कुमारी शैलजा को भी साथ लेकर चलना है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कुमारी शैलजा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनी रहेंगी. प्रदेश में संगठन की कमान संभालने के मंसूबे पाले कांग्रेस नेता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से एकता में बल है, का मूलमंत्र लेकर लौटे हैं.

आपको बता दें इस बैठक के दौरान ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी राहुल के घर पहुंची थीं, लेकिन बैठक में शामिल नहीं हुईं. वहीं बैठक में राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि एकजुटता दिखानी होगी और जनता का विश्वास जीतना होगा. सभी पार्टी नेता एक मंच पर आकर प्रदेश सरकार की विफलताओं के खिलाफ आंदोलन चलाएं. हालांकि अभी फसल कटाई का मौसम है, इस लिए अप्रैल के बाद सभी नेता एक साथ फील्ड में उतरें. वहीं बैठक में तय हुआ कि जल्दी प्रदेश में संगठन का गठन कर दिया जाएगा, सभी को समान प्रतिनिधित्व मिलेगा. वहीं राहुल गांधी से मुलाकात के बाद सभी नेताओं ने कहा कि मनमुटाव खत्म होंगे और आने वाले वक्त में हरियाणा भर में सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाए जाएंगे, जिसमें प्रदेश के सब नेता इकट्ठे होकर सड़कों पर उतरेंगे.

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