सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा, जदयू और लोजपा में घमासान, चुनाव से पहले टूट सकता है एनडीए गठबंधन

बिहार की 243 सीटों में से जदयू 125 सीटों, लोजपा 50 सीटों पर लडने का कर रही प्लान, तो क्या भाजपा 68 सीटों पर लडेगी चुनाव, इसके अलावा कुछ और दलों को भी टिकट देने हैं जरूरी

Nda Gathbandhan In Bihar Election 2020
Nda Gathbandhan In Bihar Election 2020

Politalks.News/Bihar. बिहार चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक गहमा गहमी बढ़ गई है. एनडीए के बैनर में शामिल जदयू, भाजपा और लोजपा सहित अन्य छोटे दलों के बीच टिकट वितरण का क्या फार्मूला होगा, इसको लेकर घमासान या यूं कह लिजिए मंथन और चिंतन का दौर बड़े स्तर पर चल रहा है. टिकट वितरण को लेकर माथा पच्ची कर रहे सभी दलों के नेताओं को कोई एक सर्वमान्य फार्मूला नजर नहीं आ रहा है.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अभी हाल ही में बिहार के भाजपा सांसद सहित पार्टी पदाधिकारियों से संवाद किया था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि जदयू की स्थिति बिहार में अच्छी नहीं है. भाजपा नेताओं के एक सर्वे में कहा कि एंटी इंकबेंसी के चलते नीतिश कुमार की पार्टी को बड़ी संख्या में सीटों को नुकसान हो सकता है. ऐसे में भाजपा को पहले से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. यहां एक खास बात यह भी याद रखने योग्य है कि पिछली बार जदयू के महागठबंधन और भाजपा के एनडीए गठबंधन के बीच मुकाबला हुआ था.

2015 में महागठबंधन को मिली थी 178 सीटें

विधानसभा 2015 के लिए 243 सीटों पर हुए चुनाव में महागठबंधन को 178 सीटों मिली थी. महागठबंधन में लालू की पार्टी राजद को सबसे अधिक 80 सीटें मिली थी. वहीं नीतिश की जदयू 71 सीटें लेकर दूसरे नंबर पर रही. महागठबंधन की तीसरी पार्टी कांग्रेस को 27 सीटें मिली.

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दूसरी ओर एनडीए ने 58 सीटें हासिल की. इसमें भाजपा ने 52 सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं लोजपा और रालोसपा को 2-2 सीटें मिली. चौथी पार्टी जितिन मांझी की हिंदूस्तान आवाम मोर्चा ने एक सीट पर जीत दर्ज की.

राजद और जदयू की लडाई के बाद टूटा गठबंधन

महागठबंधन की ओर से नीतिश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन जदयू और राजद के बीच खींचतान के बाद आखिरकार गठबंधन टूट गया. 2015 में राजद और जदयू ने 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ने का फार्मूला तैयार किया था. कांग्रेस को 40 सीट दी गई थी.

जदयू-भाजपा गठबंधन ने लड़ा था चुनाव

2015 से पहले हुए विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा गठबंधन ने चुनाव लडा था. इसमें जदयू ने 141 सीटों पर तो भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लडा था. लेकिन इस बार स्थितियां बिल्कुल अलग है. लोजपा, हम सहित कुछ छोटे दल भी एनडीए गठबंधन में है. जदयू, लोजपा और भाजपा के अधिक सीटों पर लडने के लिए सामने आ रहे बयानों के बीच एनडीए के लिए मुसीबतें खडी होती नजर आ रही है.

महागठबंधन का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

दूसरी ओर, बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के लिए महागठबंधन की ओर से मोटा-मोटा फार्मूला सामने आ रहा है. इसमें आरजेडी 150-160 और कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. करीब 20 सीटें वामपंथी दलों के पास जा सकती हैं. वहीं सीट शेयरिंग फॉर्मूले में कुशवाहा और साहनी की पार्टियों के लिए 20 से 23 सीटें तय की गई है.

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महागठबंधन में एक धारणा यह भी बन रही कि इन दलों के विधायक जीत के बाद दूसरे गठबंधनों के साथ सौदेबाजी शुरू कर देते हैं. आरजेडी का कहना है कि आरएलएसपी के पास 2015 में दो विधायक थे. बाद में दोनों ने पार्टी छोड़ दी.

मांझी के बाद अब शरद यादव का नाम चर्चा में

राजद प्रमुख तेजस्वी यादव से नाराज होकर हम पार्टी जीतन राम मांझी एनडीए यानि नीतिश कुमार की जदयू और भाजपा के गठबंधन में शामिल होने जा रही है. वहीं नीतिश कुमार से नाराज होकर तेजस्वी यादव के खेमें में जाने वाले शरद यादव का भी नाम चर्चा में चल रहा है. तेजस्वी यादव से नाराज चल रहे शरद यादव भी चुनाव से ठीक पहले एनडीए गठबंधन में नजर आ सकते हैं.

खैर, चुनाव से पहले नेताओं का इधर-उधर आना जाना लगा रहता है लेकिन पिछले दिनों हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से यह बात साफ हो रही है कि एनडीए के खेमे में सीटों के बंटवारे को लेकर जदयू, भाजपा और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा में बड़ी खींचतान होने जा रही है. अनुमान तो यहां तक लगाया जा रहा है कि अगर एनडीए में सीट शेयरिंग का फार्मूला सर्वमान्य नहीं बन सका तो चुनाव से पहले एनडीए टूट भी सकता है.

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