कई राज्यों के उपचुनावों से पहले हाथरस गैंगरेप-हत्या-अंतिम संस्कार की सियासी लपटों में घिरे सीएम योगी

युवती के साथ हुई दरिंदगी ने भारत को एक बार फिर से विश्व पटल पर शर्मसार करके रख दिया, पीएम मोदी को संभालना पड़ा मौर्चा, बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में होने वाले उपचुनाव से पहले विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया

Politalks.News/UP. उत्तर प्रदेश का छोटा जनपद हाथरस पिछले तीन दिनों से देश भर की सुर्खियों में छाया हुआ है. ‘आगरा अलीगढ़ और मथुरा की सीमाओं से लगे इस जिले में युवती के साथ हुई दरिंदगी ने भारत को एक बार फिर से विश्व पटल पर शर्मसार करके रख दिया है.’ यहां एक 19 साल की युवती के साथ पहले तो हैवानों ने हैवानियत की सारी हदें लांघ दी और फिर पुलिसवालों की अमानवीयता ने सभी को हिलाकर रख दिया. दिल्ली में युवती की मौत के बाद परिवार की गैर-मौजूदगी में पुलिस ने मंगलवार देर रात पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. जिसको लेकर यूपी सरकार और पुलिस सवालों के घेरे में है. ऐसे बिहार के विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में होने वाले उपचुनाव से पहले विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है.

इस घटना को लेकर देश भर में लोगों के अंदर गुस्सा है. कांग्रेस, बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी सहित विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. विपक्ष के आक्रामक तेवरों को लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली भाजपा आलाकमान तक खलबली मची हुई है. बता दें कि उत्तर प्रदेश की भी 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख का एलान हो गया है. उपचुनाव की 7 सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी, जिन पर 3 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इनमें फिरोजाबाद की टूंडला, बुलंदशहर सदर, अमरोहा की नौगांवा सादात, कानपुर की घाटमपुर, उन्नाव की बांगरमऊ, जौनपुर की मल्हानी और देवरिया सदर सीटें शामिल हैं. इनमें से छह सीटें बीजेपी के पास हैं और एक सीट पर सपा का कब्जा था. 2022 का सेमीफाइल माने जा रहे उपचुनाव से पहले विपक्ष ने कानून-व्यवस्था के नाम पर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया.

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हाथरस की युवती के साथ हुई हैवानियत की घटना के बाद देश के तमाम राज्यों में राजनीतिक दलों के नेता और लोग सड़क पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. यही नहीं बॉलीवुड ने भी इस घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं. इस गैंगरेप-हत्या के मामले सबसे ज्यादा आरोपों के घेरे में यूपी की पुलिस है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए परेशानी का सबब बन गई है. बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती, समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस घटना को लेकर योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथों लिया हैै. यही नहीं कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने युवती के साथ दरिंदगी को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गम्भीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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19 वर्षीय अनुसूचित जाति की युवती के साथ गैंगरेप-हत्या और उसके बाद घरवालों की इजाजत के बगैर आधी रात को युवती का अंतिम संस्कार कर देने के मामले में यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से देर से लिया गया एक्शन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बवाल-ए-जान बन गया है. इस मसले पर योगी सरकार की काफी किरकिरी हो रही है और विपक्ष लगातार सवाल दाग रहा है. साथ ही सोशल मीडिया पर आक्रोश बना हुआ है. लोग पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं. हाथरस की गैंगरेप घटना को लेकर उत्तर प्रदेश के साथ देशभर में इतना भारी जनआक्रोश है कि योगी को कुछ सूझ नहीं रहा.

हाथरस की युवती के साथ गैंगरेप-हत्या और फिर उसका अंतिम संस्कार की घटना के बाद देशभर में उठे जन-आक्रोश को दिल्ली में बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देख रहे थे. बुधवार सुबह ही पीएम मोदी ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए योगी आदित्यनाथ से सीधी बात की. पीएम मोदी ने योगी आदित्यनाथ से आगे सख्त कदम उठाने के लिए आदेश दिए हैं. ‘मोदी के फोन किए जाने के बाद योगी आदित्यनाथ गैंगरेप के आरोपियों को लेकर एक्शन में भी आए लेकिन जब तक विपक्षी नेताओं ने इस घटना को अपना सियासी हथियार बना लिया है.’

भाजपा सरकार और योगी के लिए सियासी चुनौती बना हाथरस का गैंगरेप-हत्या कांड-

यूपी विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल ही बचा है और विपक्ष लगातार योगी सरकार को एक जातीय विशेष के नेता के तौर पर बताने में जुटा है. हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और फिर उसकी बर्बर हत्या ने विपक्ष को यूपी सरकार पर हमलावर होने का बड़ा मौका दे दिया है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए 2022 में चुनौती बन सकता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने योगी सरकार से तीखे सवाल किए. राहुल गांधी ने कहा कि देश की एक बेटी को जीते जी तो दूर मरने के बाद भी इंसाफ नहीं मिला, राहुल ने कहा कि भारत की एक बेटी का रेप-कत्ल किया जाता है, तथ्य दबाए जाते हैं और अंत में उसके परिवार से अंतिम संस्कार का हक भी छीन लिया जाता है.

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वहीं कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर साधा निशाना साधते हुए कहा कि हद से ज्यादा बिगड़ चुकी है उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था. कांग्रेस के दलित नेता पीएल पुनिया और उदित राज ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर उतरकर पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए प्रदर्शन भी किया. प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता कई जगहों पर सड़कों पर उतरे. प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में कैंडल लाइट मार्च निकाल. कांग्रेस ने कहा कि जिस आवाज को दबाने के लिए योगी सरकार इतनी बेताब है, वो आवाज और भी ऊंची होती जाएगी.

रेप-हत्या-अंतिम संस्कार कांड में चौतरफा दबाव पड़ने पर सीएम योगी ने किया एसआईटी का गठन-

दुष्कर्म पीड़िता ने मंगलवार को दिल्ली के एम्स में दम तोड़ दिया था. वहां से उसका शव रात को हाथरस पहुंचा. यूपी पुलिस ने परिजनों पर दबाव डालकर शव का रात में ही अंतिम संस्कार करवा दिया. मामले में यूपी पुलिस पर हीला-हवाली का रवैया अपनाने का आरोप पहले से ही लग रहा था. अब इस घटना से पुलिस के साथ-साथ योगी सरकार की किरकिरी तो हो ही रही है, कहीं न कहीं बीजेपी पर भी दलित विरोधी होने का आरोप लग रहा है. इससे दबाव में आए योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी. मृतका के भाई ने बताया कि हम लोगों ने पुलिस से बहुत कहा कि शव हमें दे, हम उसका सुबह दाह संस्कार करेंगे, लेकिन पुलिस ने हमारी नहीं सुनी. हमसे जबरन सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और आधी रात को शव जला दिया.

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बता दें कि हाथरस के थाना चंदपा इलाके में 14 सितंबर को चार दबंग युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ खेत में गैंगरेप किया था. इस मामले में पुलिस ने लापरवाही भरा रवैया अपनाया, पहले रेप की धाराओं में केस न दर्ज करते हुए छेड़खानी के आरोप में एक युवक को हिरासत में लिया. इसके बाद उसके खिलाफ धारा 307 (हत्या की कोशिश) में मुकदमा दर्ज किया गया था. घटना के 9 दिन बीत जाने के बाद पीड़िता होश में आई तो अपने साथ हुई आपबीती अपने परिजनों को बताई.

जब पीड़िता का डॉक्टरी परीक्षण हुआ तो इसमें गैंगरेप की पुष्टि होने के बाद हाथरस पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया. बाद में एक और आरोपी को अरेस्ट किया गया था. इस मामले को लेकर विपक्षी दल और दलित नेताओं ने सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक मोर्चा खोल रखा है, जिसके चलते योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है.

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