Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर राजनीतिक कौशल का जलवा दिखाया है. राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सीएम गहलोत ने अपने सियासी कौशल का लोहा मनवाया है. विपक्ष और विरोधियों को चारों खाने चित्त कर करते हुए इन नियुक्तियों के द्वारा सीएम गहलोत ने निष्टा को तो इनाम दिया ही है साथ ही एक तीर से कई निशाने साधे हैं. यही नहीं अभी भी राज्य वित्त आयोग में दो सदस्यों के पद रिक्त छोड़कर एक लॉलीपॉप अपने पास रख ली है, जो कि आगामी राजनीतिक नियुक्तियों के दौरान हथियार के रूप में इस्तेमाल की जाएगी. वित्त आयोग में हुई इन नियुक्तियों का सियासी गणित आपको चौंका सकता है.
आपको बता दें, अशोक गहलोत सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रद्युम्न सिंह को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है. उनके साथ ही भीम के पूर्व विधायक राज्य मंत्री रहे लक्ष्मण सिंह रावत और सांगानेर विधानसभा से बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी को आयोग का सदस्य मनोनीत किया गया है. राज्यपाल की मुहर के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है.
प्रद्युम्न सिंह की नियुक्ति एक तीर से कई निशाने–
प्रद्युम्न सिंह जो की ‘कप्तान बाबू‘ के नाम से जाने जाते हैं, धौलपुर के राजाखेड़ा से 7 बार विधायक रहे हैं, प्रद्युम्न सिंह कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. यही नहीं पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युमन सिंह अशोक गहलोत के सियासी संकटमोचक माने जाते हैं. लंबे समय के राजनीतिक करियर में प्रद्युमन सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कई अवसरों पर सियासी संकट से उबारने में मदद की. फिलहाल प्रद्युम्न सिंह के बेटे रोहित बोहरा राजाखेड़ा से विधायक हैं और अपने परिवार की विरासत को संभाल रहे हैं.
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आपको बता दें, विधायक रोहित बोहरा पहले सचिन पायलट के करीबी माने जाते थे. लेकिन गहलोत सरकार पर पिछले साल आए सियासी संकट के दौरान बोहरा ने सीएम गहलोत के लिए एक संकटमोचक की भूमिका अदा की थी. सीएम गहलोत के कहने पर प्रद्युम्न सिंह ने रोहित बोहरा को समझाया और फिर रोहित बोहरा ने पायलट के करीबी विधायक चेतन डूडी, अबरार अहमद और प्रशांत बैरवा से सीएम अशोक गहलोत का सम्पर्क करवाया था. उसके बाद ये चारों विधायक दिल्ली से वापस जयपुर लौट आए और उसके बाद के पूरे घटनाक्रम में सीएम अशोक गहलोत खेमे के साथ खड़े दिखाई दिए.
हालांकि, इसके बदले आशीर्वाद के रूप में रोहित बोहरा को मंत्री बनाने की चर्चाएं जोरों पर थीं, लेकिन अब जब उनके पिता को राज्य वित्त आयोग का चेयरमैन बना दिया गया है तो अब रोहित इस दौड़ से बाहर हो गए हैं. वहीं प्रद्युम्न सिंह की कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के नेताओं के साथ भी प्रगाढ़ संबंध हैं. भरतपुर संभाग के कई बीजेपी के नेता कप्तान
बाबू को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं, साथ ही प्रद्युम्न सिंह के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग है. सियासी गलियारों में इस नियुक्ति को भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर भी देखा जा रहा है.
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लक्ष्मण सिंह रावत की नियुक्ति साधे कई समीकरण–
वित्त आयोग के सदस्य बनाए गए लक्ष्मण सिंह रावत भीम से कांग्रेस विधायक रहे हैं और पूर्व में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र सुदर्शन सिंह रावत अभी भीम से विधायक हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के समय विधायक सुदर्शन सिंह रावत पायलट के साथ नहीं जाकर गहलोत के खेमे में डटे रहे थे. वैसे लक्ष्मण सिंह रावत को पायलट समर्थक और गहलोत विरोधी खेमे का माना जाता था. एक बार तो लक्ष्मण सिंह रावत निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं. लेकिन जब सचिन पायलट पीसीसी चीफ बने तो वो लक्ष्मण सिंह को फिर से कांग्रेस में लेकर आए थे. लक्ष्मण सिंह के बेटे और विधायक सुदर्शन सिंह ने सियासी संकट के दौरान गहलोत सरकार के साथ अपनी निष्ठा दिखाई थी इसका इनाम रावत परिवार को मिल गया है. इसके साथ ही अभी राजसमंद में हो रहे उपचुनाव को देखते हुए भी इस नियुक्ति महत्वपूर्ण माना जा रहा है
एक सदस्य विपक्षी दलों से बनाने की रही है परंपरा-
राज्य वित्त आयोग संवैधानिक संस्था है, लेकिन इसमें नियुक्ति राजनैतिक होती है. राज्य वित्त आयोग में एक सदस्य विपक्षी दलों से बनाने की परंपरा रही है. पिछली बीजेपी सरकार के समय प्रद्युमन सिंह को वित्त आयोग का सदस्य बनाया गया था. इस बार बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी को राज्य वित्त आयोग का सदस्य बनाया गया है. सांगानेर से बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी पार्टी में साइड लाइन चल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं, विपक्ष की ओर वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे के सदस्य को वित्त आयोग का सदस्य नहीं बनाकर गहलोत ने इंटर पार्टी सियासी समीकरण भी साधे हैं.
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यहां आपको याद दिला दें, पिछले साल विधायक अशोक लाहोटी ने एक सार्वजनिक समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जमकर तारीफ की थी और यही नहीं, उन्होंने सीएम गहलोत के पैर छूकर आर्शीवाद भी लिया था. अशोक लाहोटी ने इस समारोह के मंच से कहा था कि ‘जब दूसरे प्रदेश में जाते है और कोई कहता है आपके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गांधीवादी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस रखने वाले हैं, तो बड़ी खुशी होती है और सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है‘. इसके बाद भी लाहोटी एक दो बार सीएम गहलोत की तारीफ के पुल बांध चुके हैं. वहीं अशोक लाहोटी सांगानेर से विधायक का चुनाव जीते हैं. लाहोटी ने बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले दिग्गज घनश्याम तिवाड़ी को मात दी थी. दीनदयाल वाहिनी के संस्थापक घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी से बगावत करने के बाद कांग्रेस जॉइन की थी. फिलहाल तिवाड़ी फिर से बीजेपी में शामिल हो गए हैं, लाहोटी को वित्त आयोग का सदस्य बनाकर तिवाड़ी के खिलाफ स्ट्रॉग करना भी एक गहलोत का सियासी संकेत हैं.
कुल मिलाकर राज्य वित्त आयोग में हुई इन नियुक्तियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि सियासी संकट के समय सीएम अशोक गहलोत में निष्ठा रखने वालों को वफादारी का ईनाम मिलना शुरू हो गया है और इसके साथ ही विपक्ष की सेंधमारी को गहरा करते हुए सीएम गहलोत ने सियासी समीकरण सेट किए हैं.