Politalks.News/Rajasthan-Delhi/AshokGehlot-PMModi. केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर जारी किसानों के आंदोलन और राजस्थान सरकार द्वारा कृषि कानूनों में किए गए संशोधनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. सीएम गहलोत ने लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा इन तीनों बिलों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किए बिना ही लाया गया. संसद में विपक्षी पार्टियों द्वारा इन बिलों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया. मुख्यमंत्री ने लिखा कि इन अधिनियमों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है.
सीएम अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को लिखा कि, ‘इन कानूनों के लागू होने से किसान सिर्फ प्राइवेट प्लेयर्स पर निर्भर हो जाएगा. साथ ही, प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रहीं कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा.’
राजस्थान सरकार ने कृषि कानूनों में किया संशोधन
मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान सरकार द्वारा तीनों नए कृषि कानूनों और सिविल प्रक्रिया संहिता में किए गए संशोधनों के बारे में भी लिखा है. सीएम ने कहा, ‘राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है. राजस्थान ने संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है. किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिए सुविधाजनक है.’
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मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा कि, ‘मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा. संविदा खेती की शर्तों का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और सात साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है, केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के अतिरिक्त दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन किया गया है, जिससे 5 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को कर्ज ना चुका पाने पर कुर्की से मुक्त रखा गया है.’
‘संविधान दिवस पर किसानों पर लाठियां बरसाई गई‘
पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए सीएम गहलोत ने लिखा कि, ’26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था, तभी देश के अन्नदाता पर लाठियां और वॉटर कैनन चलाई जा रही थीं. किसान अपनी मांगें रखने दिल्ली ना पहुंच सकें इसके लिए सड़कों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाए गए.’
‘किसानों की समस्याएं सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए‘
सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की जो न्यायोचित नहीं है. किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है. केंद्र सरकार को उनकी मांगें सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए.
कृषि कानूनों पर किया जाए पुनर्विचार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में जब जीडीपी (GDP) विकास दर -7.5 प्रतिशत रही है तब भी कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिए. उन्होंने पत्र के माध्यम से पीएम मोदी से मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इन कानूनों पर पुनर्विचार करें.