पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका इंतजार देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन के चलते फंसे लाखों प्रवासी मजदूर, छात्र व अन्य तबके के लोग पिछले 40 दिनों से कर रहे थे. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे मजदूरों और छात्रों को घर भेजने की अनुमति दे दी है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि प्रवासी कामगार मजदूरों को आखिरकार अपने राज्य वापस लौटने का आदेश मिल गया, केंद्र सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने यह भी कहा है कि प्रवासी मजदूरों की वापसी तभी संभव हो पाएगी जब केंद्र सरकार भारतीय रेलवे को फिर से ऑपरेशनल होने का आदेश देगी. यानी कि अगर केंद्र सरकार ट्रेन सेवा बहाल कर दे तो इन लोगों को आसानी से वापस भेजा जा सकेगा.
कोरोना कहर के चलते जारी लॉकडाउन के कारण पिछले एक महिने से भी अधिक समय से लाखों प्रवासी देश के विभिन्न प्रदेशों में फंसे हुए हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों की घर वापसी को लेकर मांग की थी. बुधवार को केंद्र सरकार ने प्रवासियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने के आदेश जारी कर दिए. इसको लेकर सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय के आदेशों का स्वागत किया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र के आदेश पर कहा कि बड़ी संख्या में राजस्थान के प्रवासी विभिन्न राज्यों में फंसे हुए थे. इसके साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी यहां अटके हुए थे. दोनों ही संकट की इस घड़ी में अपने परिवारजनों के पास पहुंचना चाहते थे. राज्य सरकार ने उनकी भावनाओं को समझा और इस दिशा में लगातार सकारात्मक प्रयास किए, जिससे उनकी घर लौटने की राह खुल सकी.
मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा श्रमिकों एवं प्रवासियों के अन्तर्राज्यीय आवागमन के संबंध में बुधवार को जारी किए गए आदेश का स्वागत किया है. सीएम गहलोत ने बताया कि प्रवासियों को सकुशल उनके घर पहुंचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक व्यवस्थित एवं सुगम प्रक्रिया के तहत ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है जिसमें बुधवार रात तक करीब 6 लाख 35 हजार श्रमिकों एवं प्रवासियों ने अपना पंजीयन कराया है.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा श्रमिकों एवं प्रवासियों के अन्तराज्यीय आवागमन के संबंध में बुधवार को जारी किए गए आदेश का स्वागत किया है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 29, 2020
एक अन्य ट्वीट के माध्यम से सीएम गहलोत ने बताया कि आने वाले समय में और भी श्रमिक अपना पंजीयन करा सकते हैं. ऐसे में कामगारों की इतनी बड़ी संख्या तथा लंबी दूरी को देखते हुए विशेष ट्रेनों का संचालन किया जाना कामगारों के सुरक्षित घर लौटने का व्यावहारिक समाधान होगा. सीएम गहलोत ने आगे पीएम मोदी से आग्रह किया है कि इन लाखों प्रवासियों एवं श्रमिकों के सुरक्षित आवागमन के लिए भारत सरकार को बिना किसी देरी के विशेष ट्रेनों का संचालन प्रारंभ करना चाहिए.
आने वाले समय में और भी श्रमिक अपना पंजीयन करा सकते हैं। ऐसे में कामगारों की इतनी बड़ी संख्या तथा लंबी दूरी को देखते हुए विशेष ट्रेनों का संचालन किया जाना कामगारों के सुरक्षित घर लौटने का व्यावहारिक समाधान होगा।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 29, 2020
दरअसल, राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और छात्रों की आवाजाही के लिए नई गाइडलाइन तैयार की है. नई गाइडलाइन के तहत फंसे हुए लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा सकेगा. जिसके मुताबिक अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और छात्रों को अपने घर भेजने की तैयारी है. इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने नोडल अधिकारी नियुक्त करने और फंसे हुए व्यक्तियों को वापस भेजने और लेने के लिए एक एसओपी की तैनाती करनी होगी. नई गाइडलाइन के तहत एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के इच्छुक लोगों के लिए राज्यों को आपस में बात करनी होगी.
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बता दें, सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे जा रहे लोगों की जांच की जाएगी. जांच के बाद ही लोगों को आगे भेजा जाएगा. अपने गंतव्य पर पहुंचने पर ऐसे लोगों को स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के जरिए क्वारनटीन किया जाएगा. साथ ही इन सभी लोगों को आरोग्य सेतु ऐप के उपयोग के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न पत्रों एवं प्रधानमंत्री के साथ समय-समय पर हुई वीडियो कांफ्रेंस में प्रवासियों एवं श्रमिकों की इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया था. इसके साथ ही प्रवासी राजस्थानियों की सहायता एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को संबंधित राज्य सरकारों के साथ समन्वय की जिम्मेदारी दी गई थी.