पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सिद्धू ने लगभग एक महीने व पांच दिन पहले 10 जून को अपना इस्तीफा राहुल गांधी को सौंप दिया था लेकिन इसका खुलासा आज किया है. सिद्धू ने ट्विट कर रविवार को यह जानकारी सार्वजनिक की, उन्होंने ट्वीट कर यह भी बताया कि अब वे अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेज रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, जिसका ठीकरा अमरिंदर सिंह ने सिद्धू पर फोड़ा था और इसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान से करने के साथ ही चुनाव बाद कि पहली कैबिनेट बैठक में ही सिद्धू सहित कई मंत्रियों के विभाग बदल दिए थे. सिद्धू के पास पहले स्थानीय स्वशासन विभाग था, मगर अब उनके जिम्मे ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग था लेकिन उन्होंने मंत्री पद का कार्यभार ग्रहण नहीं किया था और न ही मीटिंग में शामिल हुए थे. उसके बाद से लगातार सिद्धू को लेकर नाराजगी की अटकलें लगाई जा रही थीं.

जुलाई 2016 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू की शुरू से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजनीतिक स्पर्धा की रही. कई ऐसे मौके आए जब कैप्टन और सिद्धू के बीच कोल्ड वार जैसी स्थिति देखी गई. ये शीत युद्ध 6 जून को तब अपने चरम पर पहुंच गया जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया और सिद्धू से अहम समझे जाने वाले शहरी विकास मंत्रालय छीन लिया गया.

नवजोत सिंह सिद्धू ने 10 जून को वो राहुल गांधी से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा. सिद्धू ने इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं की थी. इस बीच सिद्धू ने न तो अपने नये विभाग को ज्वाइन किया और न ही वे दफ्तर पहुंचे. सिद्धू मीडिया से भी दूर रहे. अब चिट्ठी सार्वजनिक करने के बाद उन्होंने घोषणा की है कि वो सीएम को भी अपना इस्तीफा भेजेंगे. सवाल उठ रहे हैं कि सिद्धू ने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा क्यों सौंपा?

ऐसा कहा जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू सिर्फ राहुल गांधी को ही अपना नेता मानते रहे हैं. सिद्धू ने कैप्टन को कभी उस तरह की तवज्जो नहीं दी जैसा कैप्टन अमरिंदर सिंह अपेक्षा रखते थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने को लेकर दोनों में जो विवाद हुआ वह बढ़ता ही गया. लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा कैप्टन ने सिद्धू पर फोड़ा.

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का मंत्रालय बदल दिया. सिद्धू ने इसे अपनी हार के रूप में लिया और राहुल गांधी से मिले. नवजोत सिंह सिद्धू चाहते थे कि राहुल गांधी इसमें हस्तक्षेप करें. अगर सिद्धू पद छोड़ने पर अडिग होते तो इस्तीफा राज्यपाल या मुख्यमंत्री को सौंपते लेकिन कहीं न कहीं उन्हें लग रहा था कि राहुल गांधी के हस्तक्षेप से उनकी कुर्सी भी बच जाएगी और मंत्रिमंडल में उन्हें वही प्रतिष्ठा हासिल हो जाएगी.

लेकिन बदलते घटनाक्रम में ऐसा संभव नहीं हो सका. राहुल गांधी खुद 25 मई को ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर चुके थे. उन्होंने बार-बार यह भी कहा कि हार के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उन्हें भी पद छोड़ देना चाहिए. पंजाब में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 13 में से 8 सीटें हासिल की थी. इस पर अमरिंदर सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला था और कहा था कि शहरी विकास मंत्री के रूप में उनके खराब प्रदर्शन की वजह से कांग्रेस ने 5 सीटें गंवा दी. कैप्टन ने यह भी कह कि शहरी वोटबैंक कांग्रेस की रीढ़ रही है, लेकिन सिद्धू अपने कार्यकाल में विकास कार्य करने में फेल रहे और इसका नतीजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा.

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया तो सिद्धू भी पीछे नहीं रहे और पलटवार करते हुए सिद्धू ने कहा कि जानबूझकर उनके विभाग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, उन्होंने कहा कि वे सिर्फ पंजाब के लोगों के प्रति जिम्मेदार हैं. सिद्धू ने कहा था, “ये सामूहिक जिम्मेदारी है, मेरे विभाग को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, एक व्यक्ति के पास चीजों सही परिपेक्ष्य में देखने की क्षमता होनी चाहिए, मुझे ग्रांटेड नहीं लिया जा सकता है, मैं हमेशा से परफॉर्म करने वाला रहा हूं, मेरी जिम्मेदारी सिर्फ पंजाब के लोगों के प्रति है.”

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राजनीतिक अदावत का लंबा सिलसिला चलने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने आखिर कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. सिद्धू ने इस्तीफा पहले राहुल गांधी को सौंपा और आज रविवार को ट्विट कर सार्वजनिक किया. सिद्धू ने ट्वीट किया, “कांग्रेस अध्यक्ष से मिला. उन्हें अपना पत्र सौंपा, हालात से अवगत कराया.” उन्होंने ट्वीट के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की थी, जिसमें वे राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा गांधी और अहमद पटेल के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.

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