Politalks.News/MP. ‘मैं जनता को प्रणाम करता हूं तो कमलनाथ कहते हैं कि वे तो ‘घुटना टेक’ मुख्यमंत्री है लेकिन मेरे लिए तो मध्यप्रदेश ही मेरा मंदिर है. इसमें रहने वाली जनता ही मेरा भगवान है. अहंकार और दंभ से भरे कमलनाथ इस सेवा का सुख क्या जानें.’ यह कहना है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का. जिला खंडवा की मांधता विधानसभा क्षेत्र के किल्लौद माल इलाके में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सीएम चौहान ने ये बात कही. मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि सेवा के साथ परस्पर सहयोग से महान लक्ष्यों की प्राप्ति होती है. मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए समर्पित है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंगलवार को इंदौर के कनकेश्वरी देवी धाम, जिला खंडवा के मान्धाता विधानसभा क्षेत्र, बुहारनपुर जिले के नेपानगर और अनूपपुर के खूंटाटोला की अनूपपुर विधानसभा में चुनावी रैलियां की. सभी चुनावी जनसभाओं में शिवराज सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल पर जमकर निशाना साधा.
सीएम शिवराज ने कहा कि कांग्रेस ने 15 महीने में ही हमारे स्वर्णिम प्रदेश को गर्त में धकेल दिया था. विकास के सारे काम ठप्प किए, भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा की. कमलनाथ ने वल्लभ भवन को दलालों की मंडी बना दिया. उनके पास जनता की मांगें सुनने का समय नहीं था लेकिन प्रसन्नता के साथ दलालों का स्वागत करते थे. हमने बीते 6 महीने में ही न सिर्फ जनता को कोरोना से राहत दिलाई, बल्कि 23,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ भी बांट दिया.
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ‘हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे को फारसी क्या’ मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार की झूठी कर्जमाफी का प्रमाण आपके सामने है. बैंकों को पैसा दिया ही नहीं और कर्जमाफी का सर्टिफिकेट बांट दिए. चुनावी सभा में सूबे के मुख्यमंत्री ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर भी जमकर धावा बोला. सीएम शिवराज ने कहा कि प्रदेश में जब दिग्गी राजा की सरकार थी तो यहां सड़क, बिजली, पानी नहीं बल्कि केवल वादे ही वादे थे. वहीं कमलनाथ ने भी 15 महीने में विकास के कोई काम नहीं किये. इसके दूसरी ओर, प्रदेश में विकास केवल और केवल बीजेपी ही कर सकती है जिसके प्रमाण मेरे पास हैं.
बता दें, मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन वाले 25 विधायकों के कांग्रेस की विधायकी छोड़ बीजेपी में शामिल होने के चलते ये उपचुनाव हो रहे हैं. अन्य तीन विधायकों के निधन होने के चलते तीन सीटें खाली हो गईं जिनमें एक बीजेपी और दो कांग्रेस के थे. हाल ही में दमोह से कांग्रेस विधायक रहे राहुल सिंह लोधी ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली है जिसके चलते एक और सीट खाली हो गई है लेकिन दमोह सीट पर उपचुनाव बाद में होंगे. कांग्रेस को सत्ता वापसी के लिए सभी सीटों पर जीत जरूरी है जबकि बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए 9 विधायकों की आवश्यकता है. दोनों दलों के अलावा बसपा भी उपचुनाव में है जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है.