विधायक अभय चौटाला ने अध्यक्ष को भेजी इस्तीफे की चिट्ठी, कहा- 26 तक कानून रद्द न हों तो कर लें स्वीकार

अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सरकार ने कानून वापस लेने पर कोई सहमति नहीं जताई है. ऐसे में इस प्रकार की परिस्थितियों में विधानसभा में मुझे मेरी मौजूदगी का कोई महत्व नहीं लगता- चौटाला

Abhay Chautala
Abhay Chautala

Politalks.News/Haryana. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से विधायक अभय सिंह चौटाला ने कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता के पास इस्तीफे की चिट्ठी भिजवा दी है. जिसमें लिखा गया है कि यदि 26 जनवरी तक केंद्र सरकार अपने तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो इस चिट्ठी को हरियाणा विधानसभा से उनका इस्तीफा मानकर स्वीकार कर लिया जाए. अभय चौटाला ने चिट्ठी में लिखा कि अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सरकार ने कानून वापस लेने पर कोई सहमति नहीं जताई है. ऐसे में इस प्रकार की परिस्थितियों में विधानसभा में मुझे मेरी मौजूदगी का कोई महत्व नहीं लगता. अभय चौटाला ने चिट्ठी में खुद को चौधरी देवी लाल की विरासत का रखवाला बताया.

गौरतलब है कि बीते शनिवार को इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला ने कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा देने का ऐलान किया था और अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर केंद्र सरकार ने 26 जनवरी तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए तो वह किसानों के समर्थन में 27 जनवरी को हरियाणा विधानसभा की सदस्‍यता से इस्तीफा दे देंगे. अब चौटाला ने कहा कि सरकार किसानों के साथ गलत कर रही है और मैं इसके खिलाफ हूं और अगर सरकार किसानों की बात नहीं मानती तो मैं पद छोड़कर उनके साथ धरने पर बैठूंगा.

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सोमवार को एक पत्रकार वार्ता के दौरान अभय चौटाला ने कहा कि वह प्रदेश भर में कृषि कानूनों और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाएंगे. चौटाला ने कहा कि पिछले डेढ़ माह से किसान अपनी मांगों को लेकर इस भयंकर ठंड व बारिश के मौसम में दिल्ली की बोर्डर्स पर डटे हुए हैं. लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. इन तीन कृषि कानूनों को बनाने से पहले किसी भी किसान संगठन से राय नहीं ली गई और ना ही किसी किसान संगठन ने ऐसे बिलों को लाने की मांग की थी. चौटाला ने कहा सरकार केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचने के लिए जीएसटी में तो संशोधन कर देती है लेकिन किसानों की मांग के बावजूद इन तीन कानूनों को रद्द नहीं किया जा रहा है.

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