उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttarpradesh Police) ने पांच पत्रकारों के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने और सामाजिक तनाव पैदा करने के आरोप में मामला दर्ज किया है. इस संबंध में बिजनौर पुलिस (Bijnor Police) ने रिपोर्ट दर्ज की है. इन पांच पत्रकारों में से दो की पहचान आशीष कुमार (Ashish Kumar UP) और शकील अख्तर (Shakeel Akhtar UP) के रूप में की गई है. एक स्थानीय अखबार का संवाददाता (Reporter) है, दूसरा टीवी के एक समाचार चैनल से जुड़ा हुआ है. तीन अज्ञात पत्रकार हैं.

आशीष कुमार और अख्तर पर आरोप है कि उन्होंने तितरवाला गांव में रहने वाले एक वाल्मीकि परिवार के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाकर सामाजिक मेल-जोल तोड़ने का प्रयास किया है. खबर थी कि प्रभावशाली दलित परिवार ने वाल्मीकि परिवार को गांव के हैंडपंप से पानी भरने से रोक दिया है, इसलिए वह परिवार अपना मकान बेचने की तैयारी कर रहा है. पुलिस का कहना है कि यह विवाद पुलिस और सरपंच ने मिलकर सुलझा दिया था. इसके बाद भी पत्रकार स्थानीय प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास कर रहे थे.

FIR में कहा गया है कि पत्रकारों ने गोपाल वाल्मीकि की पत्नी लोकेश देवी से झोपड़ी की दीवार पर बिकाऊ है, लिखने के लिए कहा था और उसके आधार पर खबर बना दी. लोकेश देवी ने कहा कि उसे लिखना-पढ़ना नहीं आता. उसके घर पर एक पत्रकार ने ही कोयले से ‘घर बिकाऊ है’ लिख दिया. साथ ही खबर बनाई थी दलित परिवार न्याय नहीं मिलने से गांव छोड़कर जाने वाला है. खबर में प्रेमचंद वाल्मीकि को परिवार का मुखिया बताया है.

बड़ी खबर: इतनी हड़बड़ी में क्यों मोदी 2.0? 100 दिन से पहले लिए कई बड़े फैसले

पुलिस ने पत्रकारों पर धारा 153-ए (विद्वेष को बढ़ावा देने), 268 (उपद्रव) और 503 (आपराधिक धमकी) के साथ ही आईटी कानून की धारा 66-ए के तहत FIR दर्ज की है. इस बीच पत्रकार अपनी खबर का खंडन नहीं कर रहे हैं. उनका दावा है कि खबर सही और तथ्यों पर आधारित है. शनिवार को इस मुद्दे पर पुलिस कार्रवाई का विरोध करने के लिए पत्रकारों की बैठक भी हुई.

पत्रकारों का कहना है कि वाल्मीकि परिवार का बयान दर्ज करने के बाद खबर लिखी गई है. उनके पास इसके सबूत हैं. पुलिस ने वाल्मीकि परिवार पर दबाव डालकर फर्जी मामला तैयार किया है. शनिवार देर रात जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक वरिष्ठ पत्रकार को बताया कि पत्रकारों के खिलाफ मामला वापस लिया जा रहा है. बिजनौर एसपी ने माना कि गांव में दो परिवारों के बीच हैंडपंप से पानी भरने को लेकर विवाद चल रहा था. इस मामले की जांच चल रही है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की भाजपा सरकार (BJP Government) बनने के बाद से मीडिया के साथ सरकार के रिश्ते सहज नहीं रह गए हैं. पिछले कुछ समय से पत्रकारों के खिलाफ पुलिस मामले दर्ज करने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. 22 अगस्त को मिर्जापुर के स्कूल में मिड डे मील में बच्चों के नमक-रोटी खाने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने स्थानीय अखबार पवन जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसने वो वीडियो शूट किया था. इसके खिलाफ पिछले मंगलवार करीब सौ पत्रकारों ने मिर्जापुर में कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया था. अगस्त में ही शामली में एक मालगाड़ी पटरी से उतरने के बाद उसकी रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को रेलवे पुलिस ने मारपीट कर खदेड़ दिया था.

Leave a Reply