Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पूरी पार्टी प्रभुल्लित और उत्साही नजर आ रही है. वल्लभनगर और धरियावद सीटों पर कांग्रेस की जबरदस्त जीत के बाद अब माना जा रहा है कि प्रदेश में होने वाले गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों में सीएम गहलोत को फुल फ्रीहैण्ड मिलना तय है. वहीं दूसरी तरफ मंत्रिमंडल विस्तार और नियुक्तियों से पायलट गुट भी उम्मीद लगाए हुए है. इसी बीच खबर है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों का पूरा खाका सीएम गहलोत ने तैयार कर लिया और मुख्यमंत्री गहलोत 10 नवंबर के बाद दिल्ली जा सकते हैं, जहां प्रस्तावित पुनर्गठन और नियुक्तियों पर आलाकमान की मुहर लग जाएगी.
राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान की कोशिश रहेगी की सीएम गहलोत और पायलट कैंप में पावर बैलेंस बनाया जाए ताकि अगले चुनाव में एकजुटता दिखाते हुए उतरा जाए और दोनों के बीच जारी सियासी जंग को भी विराम लगे. जिससे इसका फायदा साल 2023 के विधानसभा और 2024 के आम चुनाव में पार्टी को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. आलाकमान के इस रुख से माना जा रहा है कि पायलट कैंप की भी झोली भरना तय है. लेकिन इसमें हम आपको फिर याद दिला दें कि होगा वहीं जो मुख्यमंत्री गहलोत चाहेंगे.
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अब बस देरी है दिल्ली दौरे की…..!
सियासी जानकारों की मानें तो उपचुनाव के बाद अब ऐसा कोई वाजिब कारण नहीं बनता है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों को रोका जाए. इसलिए माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब शीघ्र ही अपने मंत्रिमंडल पुनर्गठन के साथ ही सियासी नियुक्तियां भी करने वाले हैं. बस देरी है तो सीएम गहलोत के दिल्ली दौरे भर की. सियासी सूत्रों का कहना है कि 10 नवम्बर के बाद सीएम गहलोत दिल्ली जांएगे और अगले सप्ताह ही मंत्रिमण्डल विस्तार भी संभव है. यानी अब इसे ज्यादा दिन नहीं टालेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि वल्लभनगर और धरियावद की प्रचंड जीत के बाद यह समय सीएम गहलोत के लिए आलाकमान से फ्री हैंड लेने का सबसे उपयुक्त समय है. वहीं अब ना तो कोरोना जैसी कोई विकराल समस्या है और ना ही आने वाले समय में कोई बड़ा चुनाव है. इसके साथ ही राजस्थान में विपक्ष भी पूरी तरह पस्त है. वहीं सरकार के दो मंत्रियों को AICC द्वारा जिम्मेदारी दिए जाने के बाद संभावना और बढ़ गई है कि नए लोगों को मौका दिया जाएगा.
मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर पूरा हो चुका है होमवर्क!
जानकारों की मानें तो विधानसभा उपचुनाव के परिणामों से पहले ही मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर महामंथन हो चुका है. 27 अक्टूबर की रात को कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन और सीएम अशोक गहलोत इस पर लम्बी मंत्रणा कर चुके हैं. यानि मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर होमवर्क पूरा है और अब सीएम गहलोत कभी भी दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान से इस पर मोहर लगवा लेंगे. वहीं सियासी जानकारों का यह भी मानना है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन से पहले इसी महीने राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला भी शुरू होने वाला है.
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आपको बता दें, राजस्थान में कुल 200 विधायक हैं इनमें से 30 को मंत्री बनाया जा सकता है. अभी गहलोत कैबिनेट में उनके सहित 21 मंत्री हैं, जिनमें से चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को गुजरात और पंजाब का प्रभारी बनाया गया है. वहीं गोविंद सिंह डोटासरा मंत्री भी हैं और पीसीसी चीफ का ओहदा भी संभाले हुए हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ मंत्रियों का इस्तीफा लेकर मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने की तैयारी में हैं.
ऐसा होगा मंत्रिमंडल पुनर्गठन का खाका!
जानकारों के अनुसार गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन का पूरा खाका तैयार है. मंत्रिमंडल में करीब 12 से 15 नए मंत्री जुड़ना तय माना जा रहा है. इसमें गहलोत- पायलट कैंप की पावर शेयरिंग तो होगी ही इसके साथ ही दलित, SC-ST, माइनोरिटी, जाट, ब्राह्मण पर भी फोकस रहेगा. पहली बार विधायक बने माननीयों को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर सैद्धांतिक सहमति बन गई है. साथ ही पहली बार के विधायक और पहले सांसद रहे MLA को मंत्री पद दिया जा सकता है. वहीं दोनों ही कैंप के विधायकों में से युवाओं को संसदीय सचिव भी बनाया जाना तय है. इसके साथ ही सीएम गहलोत की सरकार बचाने वाले निर्दलीय विधायकों और BSP से कांग्रेस में आए विधायकों में से भी मंत्री बनाए जाएंगे. इनमें संयम लोढ़ा, महादेव सिंह खंडेला, बाबूलाल नागर और राजेन्द्र गुढ़ा की लॉटरी लगनी तय मानी जा रही है.
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पायलट कैंप को मिलेगा पूरा सम्मान!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के ‘जादूगर’ माने जाते हैं. दिग्गज सियासी जानकारों का मानना है कि अभी पूरे 30 मंत्री बनाए जाने की संभावना नहीं है. सीएम गहलोत 2 से 3 मंत्रियों की जगह खाली रखेंगे, जिससे कभी भी असंतोष होने की स्थिति मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता खुला रह सके. अब बात रही सचिन पायलट कैंप को पावर शेयरिंग की, तो सीएम गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट कैंप को समायोजित करने की पूरी योजना बना चुके हैं. पायलट कैंप को पूरा सम्मान दिए जाने की तैयारी है साथ ही पायलट कैंप की अन्य मांगों पर भी काम जारी है. ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट दोनों ही इस बात पर बार-बार जोर दे रहे हैं कि इस बार 5 साल कांग्रेस और 5 साल भाजपा वाला ट्रेंड तोड़ना है. सीएम तो यहां तक भी कह चुके हैं कि चाहे सीएम कोई भी बने लेकिन सरकार कांग्रेस की बननी चाहिए. लेकिन इन सब संभावनाओं के बीच ये भी तय है कि होगा तो वही जो सीएम गहलोत चाहेंगे. ये बात हमने पहले भी बताई थी जिस दिन सीएम गहलोत चाहेंगे मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियां हो जाएगी.