पॉलिटॉकस न्यूज. किरदारों को पर्दे पर जिंदा करने वाला एक जादूगर इरफान खान (Irrfan Khan) इस दुनिया को छोड़कर आज चला गया. अभिनेता इरफान ने 53 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. वे कोलोन संक्रमण (कैंसर) से पीड़ित थे. तबीयत बिगड़ने पर कल शाम उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कल से ही वे आईसीयू में थे. बुधवार सुबह 11 बजे उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली. शाम 3 बजे मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में उनका पार्थिव शरीर सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इरफान के निधन के साथ ही बॉलीवुड और राजनीति जगत के साथ ही फैंस में शोक की लहर है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण उनके जनाजे में केवल 20 लोग ही शामिल हो पाए, जिसमें उनके परिवार, करीबी रिश्तेदार और दोस्त शामिल थे. बॉलीवुड जगत से इरफान खान की अंतिम विदाई में तिग्मांशू धुलिया, विशाल भारद्वाज और राजपाल यादव जैसी हस्तियां शामिल हुईं.
लॉकडाउन की वजह से अधिकतर हस्तियां उनके अंतिम संस्कार में तो शामिल नहीं हो पाई लेकिन सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों की लिस्ट लंबी रही. बता दें, 25 मई को इरफान की मां का निधन हुआ था लेकिन खराब तबीयत और लॉकडाउन के चलते वे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे.
राजस्थान के जयपुर के रहने वाले इरफान खान, सिनेमाई पर्दे का एक ऐसा संजीदा कलाकार जिसने अपने कद से कई बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया लेकिन अपने अभिनय से अपने आपको कभी हल्का नहीं महसूस होने दिया. पीकू में अभिताभ बच्चन हो या फिर गुंडे में प्रियंका चोपड़ा व रणवीर सिंह या फिर बिल्लू में शाहरुख खान, सभी फिल्मों में उनकी अदाकारी किसी भी तरीके से मुख्य अभिनेता से कम नहीं रही.
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इरफान ने पर्दे पर तो अपनी दमदार एक्टिंग से सब को अपना मुरीद बना ही लिया था, लेकिन अपनी जिंदगी के फंडों को लेकर भी वह काफी साफ थे. यही कारण था कि कुछ समय पहले इरफान खान ने अपने नाम के पीछे से ‘खान’ शब्द हटा लिया था. इरफान ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं इरफान हूं, सिर्फ इरफान. मैंने कुछ समय पहले से अपने नाम से ‘खान’ हटा लिया है. दरअसल मैं अपने धर्म, अपने सरनेम या अपनी ऐसी किसी चीज की वजह से पहचाना जाना नहीं चाहता. मैं अपने पूर्वजों के काम की वजह से पहचान बनाना नहीं चाहता.‘ दरअसल इरफान खान का असली नाम साहबजादे इरफान अली खान है और उन्हें अपने नाम ने ‘दो R’ काफी पसंद हैं क्योंकि इसमें जीभ मुड़ती है. बता दें कि इरफान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी अपना नाम सिर्फ इरफान ही लिखा है.
वैसे तो बॉलीवुड में हीरो बनने के लिए हमेशा कुछ अनकहे नियम निर्धारित होते हैं लेकिन इरफान ने अपनी दस्तक के साथ ही ये सारे पैमाने तोड़ दिए. ‘ये साली जिंदगी’, ‘पीकू’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘हिंदी मीडियम’ जैसी फिल्मों में इरफान ने अपनी एक्टिंग के हर रंग को दिखाया था. वह इतने जबरदस्त एक्टर थे कि एक दिन जब वह अपनी फिल्म में एक्टिंग कर रहे थे तो महेश भट्ट को उनसे कहना पड़ा ‘भाई थोड़ी गंदी एक्टिंग कर’.
एक दुखद संयोग ये रहा कि जब इरफान अपने करियर की बुलंदियों पर थे, तब उनका निधन हो गया. उन्होंने द वारियर, मकबूल, हासिल, द नेमसेक, रोग जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया. फिल्म ‘हासिल’ के लिये उन्हें वर्ष 2004 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. वे बालीवुड की 50 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया है. वहीं 60वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान खान को फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया. इससे पहले 2008 के फ़िल्मफ़ेयर में इरफान ने लाइफ़ इन-ए-मेट्रो फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार हासिल किया.
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हिन्दी मीडियम, लंच बॉक्स, मकबूल और करीब करीब सिंगल में उनका अभिनय काबिलेतारीफ रहा. ऑस्कर विनिंग फिल्म 2008 में आई फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में भी इरफान ने अभिनय किया है. अपने अंतिम दिनों में इरफान ने अंग्रेजी मीडियम फिल्म की. हालांकि फिल्म की रिलीज के दौरान ही लॉकडाउन लगने से फिल्म ज्यादा दर्शकों तक नहीं पहुंच पाई और यही फिल्म उनके करियर की आखिरी फिल्म बन गई.
इरफान ने फिल्मों में आने से पहले टेलीविजन के भी एक कुशल अभिनेता रह चुके हैं. उन्होंने 1984 में नई दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NCD) से पढ़ाई की और यही से अभिनय में प्रशिक्षण प्राप्त किया. चंद्रकांता, द ग्रेट मराठा व चाणक्य जैसे धारावाहिकों में उन्होंने अभिनय किया था. इरफान बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी एक जाना पहचाना नाम हैं. वह ए माइटी हार्ट, स्लमडॉग मिलियनेयर, लाइफ ऑफ़ पाई और द अमेजिंग स्पाइडर मैन सरीखी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.
कम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखने के बाद टीवी और उसके बाद फिर से सिनेमाई पर्दे पर कदम रखा हो. इरफान ने अपने अभिनय की शुरुआत फिल्मी पर्दे पर की और 1988 में मीरा नायर की फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में काम किया. मीरा नायर की गिनती उन फिल्मकारों में होती हैं जिन्होंने विश्व मंच पर भारतीय सिनेमा को पहचान दिलाई. यह फिल्म ‘मदर इंडिया’ के बाद विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए नामांकित होने वाली दूसरी फिल्म बनी. इस फिल्म में इरफान के साथ नाना पाटेकर भी सह भूमिका में थे. यहीं से उनके करियर को परवान मिला.
7 जनवरी 1967 को जयपुर में जन्मे इरफान के माता पिता टोंक जिले के पास खजुरिया गांव से ताल्लूख रखते थे. कम ही लोगों को पता है कि अभिनय करने के साथ इरफान क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं. इरफान और उनके करीबी दोस्त सतीश शर्मा को सीके नायडू टूर्नामेंट में अंडर-23 हेतु चुना गया था लेकिन पैसों की कमी के चलते टूर्नामेंट में शामिल नहीं हो पाए थे.