Politalks.News/Budget2022. चुनावी तारीखों के एलान के साथ ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly election) का घमासान तेज हो गया है. उत्तरप्रदेश (UttarPradesh), उत्तराखंड (Uttarakhand), पंजाब (Punjab), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) में पार्टियां फुल चुनावी मोड में आ गई है. पांच में चार राज्यों में भाजपा (BJP) की सरकारें हैं तो पंजाब में कांग्रेस (Congress) के सामने वजूद बनाए रखने की चुनौती है. चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद भाजपा के पास अभी भी एक और बड़ा मौका है.
आगामी 1 फरवरी को सरकार केंद्रीय बजट-2022 (Budget) पेश करने जा रही है. साथ ही इस बार 5 राज्यों के चुनावों को देखते हुए बजट सत्र दो हिस्सों में होना तय हो गया है. बजट सत्र का पहला हिस्सा 31 जनवरी से 10 फरवरी और दूसरा हिस्सा 14 मार्च से शुरू होगा. भाजपा के पास चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों को पीछे करने का बड़ा अवसर है. सियासी जानकार इस बजट को भाजपा के लिए ब्रह्मास्त्र मान रहे हैं तो अर्थ व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि इकॉनोमी के हालात अभी इतने अच्छे नहीं है कि कुछ ज्यादा जनता के लिए किया जाए. फिर भी 5 चुनावी राज्यों को देखते हुए कुछ लोकलुभावन घोषणाएं तो हो ही सकती हैं.
इधर चुनाव की तैयारी उधर बजट की तैयारी
पांचों राज्यों में चुनावों की तैयारियों जोरो पर हैं. विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास एक ब्रह्मास्त्र रहेगा. दूसरी तरफ संसद के बजट सत्र की तैयारी चल रही है और भाजपा नित मोदी सरकार बजट बना रही है. सब कुछ सही रहा तो एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी. एक फरवरी के समय उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर होगा. आपको बता दें कि पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है. उससे ठीक पहले देश का आम बजट आएगा.
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भाजपा को मिलेगा एडवांटेज!
सियासी गलियारों में चर्चा है कि, भाजपा को मोदी सरकार के इस बजट का एडवांटेज मिल सकता है. पिछले साल भी पांच राज्यों के चुनावों से ठीक पहले आम बजट पेश हुआ था और तब भी यह मुद्दा उठा था. आपको बता दें कि लोकसभा के हर चुनाव से पहले भी अंतरिम बजट पेश होता है और तब भी यही सवाल उठता है.
चुनाव आयोग ने खड़े किए हाथ!
दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने पहले ही साफ कर दिया है कि आम बजट के मामले में वह कुछ नहीं कर सकता है. चुनाव की घोषणा के समय इस बारे में सवाल पूछे गए थे तब चुनाव आयोग ने हाथ खड़े कर दिए थे. इसका सीधा सियासी मतलब यह है कि पहले चरण के मतदान से पहले आम बजट आएगा, जिसमें मोदी सरकार लोक कल्याण के नाम पर ढेर सारी चुनावी घोषणाएं कर सकती हैं.
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सरकार कर सकती है कई लोकलुभावन घोषणाएं!
सियासी गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए प्रत्यक्ष कर में छूट की घोषणा हो सकती है तो उत्पाद शुल्क आदि के बारे में सरकार कुछ घोषणाएं कर सकती हैं. नए ट्रेनों से लेकर स्टेशन, सड़क और उद्योगों के बारे में घोषणाएं होंगी, लघु व मझोले उद्योगों के बारे में घोषणा होगी. आर्थिक सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर दिखाई जाएगी और दहाई में विकास दर का अनुमान जाहिर किया जाएगा. दूसरी तरफ चर्चा है कि इस सभी घोषणाओं का विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं होगा.
अर्थशास्त्रियों का यह है मत
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा कि, ‘मुझे नहीं लगता कि केंद्रीय बजट राज्य के बजट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा. जहां तक आवंटन और आर्थिक नीतियों का संबंध है तो सामाजिक कार्यक्रमों पर सरकार का फोकस अवश्य रहेगा.