किसान व सरकार दोनों अड़े अपनी-अपनी जिद पर, बेनतीजा रही 8वें दौर की वार्ता, अब बात 15 के बाद

8वें दौर की वार्ता भी रही बेनतीजा, मीटिंग के दौरान किसान नेताओं के दिखे तल्ख तेवर, सरकार के पास एग्रीकल्चर सेक्टर में दखल का अधिकार ही नहीं, आप सरकार है, आपके पास ताकत है, आपको लोगों की बातें लगती हैं कम- किसान, बेनतीजा रही वार्ता पर कांग्रेस का तंज- नीयत साफ़ नहीं है जिनकी, तारीख़ पे तारीख़ देना स्ट्रैटेजी है उनकी!

बेनतीजा रही 8वें दौर की वार्ता, अब बात 15 के बाद
बेनतीजा रही 8वें दौर की वार्ता, अब बात 15 के बाद

Politalks.News/Delhi. तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख ही चल रही है और सरकार हमारी बात मानने को तैयार नहीं है, ये कहना है किसान नेता राकेश टिकैत का. किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई 8वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही और वार्ता के लिए एक और तारीख निकलकर सामने आ गई है. अब सरकार और किसानों के बीच 15 जनवरी को अगली वार्ता होगी. बैठक के दौरान किसानों ने एक मत होते हुए सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की, तो सरकार ने भी दो टूक जवाब देते हुए कहा कि तीनों कानून वापस नहीं होंगे. सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने किसानों से कहा है कि अब फैसला सुप्रीम कोर्ट करे तो बेहतर है. सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन सभी वार्ता बेनतीजा रही. वहीं राहुल गाँधी ने भी इस वार्ता को लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसा है.

सरकार और किसान संगठनों के बीच बेनतीजा रही वार्ता को लेकर राहुल गाँधी ने ट्वीट करते हुए लिखा नीयत साफ़ नहीं है जिनकी, तारीख़ पे तारीख़ देना स्ट्रैटेजी है उनकी! वहीं बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. हमारी तरफ से किसानों को कहा गया कि वे क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दे लेकिन कोई विकल्प नहीं मिला. तोमर ने आगे कहा कि, सरकार ने बार-बार किसान यूनियन से कहा कि अगर क़ानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं. आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन क़ानूनों को वापिस लिया जाए परन्तु देश में बहुत से लोग इन क़ानूनों के पक्ष में हैं.

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नरेंद्र सिंह तोमर से जब पूछा गया कि, सरकार उन संगठनों को भी आगामी बैठक में बुलाएगी जो इन कानूनों का समर्थन कर रहे तो तोमर ने कहा कि, अभी इस प्रकार का कोई विचार नहीं है, अभी हम आंदोलन कर रहे पक्ष से बात कर रहे हैं, परन्तु अगर आवश्यकता पड़ी तो आने वाले समय में सरकार इसपर विचार कर सकती है. कृषि मंत्री ने कहा किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है और मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा.

बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज़ में बिल रद्द करने की मांग की हम चाहते हैं बिल वापस हो, और सरकार चाहती है संशोधन हो सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी. वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा कि सरकार हमे कोर्ट में चलने को कह रही है लेकिन हम कोर्ट नहीं जायेंगे. हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि क़ानून गैर-क़ानूनी है, हम इसके खिलाफ हैं, इन्हें सरकार वापिस ले, और जब तक सरकार इन्हें वापस नहीं लेती, हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

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मीटिंग के दौरान किसान नेताओं के तेवर बहुत तल्ख दिखे. वह इस पर अड़े रहे कि सरकार कानूनों को वापस ले या फिर उन्हें साफ-साफ बताए कि उनका फैसला क्या है. किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि उसके पास एग्रीकल्चर सेक्टर में दखल का अधिकार ही नहीं है. किसानों के तेवर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बातचीत के दौरान के एक वीडियो में एक किसान नेता सरकार पर आरोप लगाते दिख रहे हैं कि उसका मन मामले के निपटारे का नहीं है. उन्होंने यहां तक कहा कि आप सरकार है, आपके पास ताकत है, आपको लोगों की बातें कम लगती हैं.

वायरल वीडियो में किसान नेता कहते दिख रहे है कि ‘आप इस जिद पर अड़े हैं, यह तो स्थापित तथ्य है कि आप कृषि क्षेत्र में बिल्कुल दखल नहीं दे सकते. लेकिन आप अपने जॉइंट सेक्रटरी को लगा देंगे फिर सेक्रटरी को लगा देंगे, वो कोई न कोई लॉजिक देते रहेंगे. मेरे पास भी लिस्ट है लेकिन हमें इस परबहस नहीं करनी है. मेरे पास भी लिस्ट है कि कितने केस सुप्रीम कोर्ट में गए और कोर्ट ने फैसला किया कि आप नहीं दखल दे सकते.’

तीनों कृषि कानून के खिलाफ देश भर के किसान दिल्ली बॉर्डर पर बारिश और कड़कड़ाती ठण्ड के बीच डेढ़ महीन से आंदोलनरत है और इस दौरान सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन बात नहीं बनी. इससे पहले किसानों ने 7 जनवरी ट्रेक्टर रैली निकालकर सरकार के सामने शक्ति प्रदर्शन किया था, और कहा था कि ये 26 जनवरी कि रिहर्सल है उस दिन ट्रैक्टरों की असली परेड होगी.

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