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कंगना रनौत की राजनीतिक शुरूआत काफी अच्छी रही है. पहला चुनाव और विरोधी प्रत्याशी भी काफी मजबूत लेकिन कंगना ने ठीक ठाक मार्जिन ने जीत दर्ज की. अपने गृह क्षेत्र हिमाचल की मंडी संसदीय क्षेत्र से बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. चूंकि तौर पर पिछले कुछ सालों में कंगना पार्टी की अनाधिकारिक ‘सेल्फ स्पोकपर्सन’ रह चुकी हैं, उन्हें इस बात का ईनाम देते हुए पार्टी ने टिकट थमाया. हालांकि कंगना के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने कांगेस के विक्रमादित्य सिंह को 74,755 मतों से हराकर जीत दर्ज की. विक्रमादित्य एक शाही परिवार से संबंध रखते हैं. उनके पिता वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके थे. 5 बार लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था.

उनके मां प्रतिभा सिंह मंडी से वर्तमान विधायक हैं. विक्रमादित्य सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शिमला ग्रामीण से विधायक हैं. उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था. मुकाबला हालांकि टक्कर का रहा लेकिन कंगना के राम बने मोदी ने बॉलीवुड क्वीन की राजनीतिक नांव को किनारे लगा ही दिया.

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कंगना के मंडी क्षेत्र में नरेंद्र मोदी ने खुद आकर जनसभा की. उसमें कंगना ने अपने अंदाज में मंडीवासियों से अपने लिए प्यार एवं समर्थन मांगा. उन्हें उसी तरह का सम्मान मिला और वे जीतकर भारतीय संसद में प्रवेश करने जा रही हैं. बेबाक छवि रखने वाली कंगना हालांकि कह चुकी हैं कि जीतने के बाद वे बॉलीवुड छोड़ देंगी. ये तो बात की बात है लेकिन उनकी अदाकारिता की कहानी तो आम चुनाव जीतने के हफ्तेभर में ही शुरू हो चुकी है.

बीते दिवस किसानों के खिलाफ बोलने से नाराज CISF की महिला जवान ने सिक्योरिटी चेक के दौरान कंगना रनौत को थप्पड़ जड़ दिया. यह आरोप लगाते हुए कंगना ने सख्त एक्शन लेने की मांग की. इसका इम्पेक्ट इतना जल्दी हुआ कि महिला जवान को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया.

मोदी कैबिनेट में मंत्री बनेंगी कंगना

पॉलिटॉक्स का अनुमान है कि कंगना रनौत को जीत का उपहार देते हुए मोदी 3.0 कैबिनेट में मंत्री बनाया जाएगा. दरअसल इसके पीछे एक लॉजिक भी है. पिछली दो कैबिनेट में स्मृति ईरानी को मंत्री बनाया गया था. 2014 में आम चुनाव हारने के बाद स्मृति को राज्यसभा भेजा गया. 2019 में स्मृति लोकसभा पहुंची और उन्हें फिर से मंत्री पद दिया गया. इस बार स्मृति अमेठी से चुनाव हार बैठी. फिलहाल उनका मंत्री बनना संभव नहीं है. यूपी सुल्तानपुर से मेनका गांधी को भी हार नसीब हुई है. इससे पहले वे 9 बार लोकसभा पहुंची थीं. अकाली दल फिलहाल एनडीए में शामिल नहीं हुआ है. ऐसे में महिला मंत्रालय संभालने के लिए फिलहाल कोई सशक्त शख्स्त महिला नेता एनडीए में नजर नहीं आ रहा है. कंगना को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो कंगना को निश्चित तौर पर मोदी कैबिनेट में जगह मिलना तय है.

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