Politalks.News/Delhi. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जो राज्यों में चेहरा बदलने की कवायद शुरू की है. उसको लेकर अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद किसकी बारी है. किस राज्य का मुख्यमंत्री बदला जाएगा? कुछ समय पहले तक भाजपा मुख्यमंत्रियों को नहीं बदलती थी. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पार्टी की कमान संभालने के बाद एकमात्र बदलाव गुजरात में हुआ था, जब आनंदी बेन पटेल को हटा कर विजय रूपाणी को बनाया गया था. लेकिन पिछले छह महीने में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदल दिए. पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया और फिर तीरथ सिंह को हटा कर पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी गई. उसके बाद कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटा कर बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया है. अब अगला मुख्यमंत्री कौनसा होगा इस पर सभी की नजरें टिकी हैं. क्या बीजेपी हाईकमान की नजर अब मध्यप्रदेश, हरियाणा पर तो नहीं है.
भाजपा हाईकमान, पीएम मोदी और अमित शाह की इस नई रणनीति से अब भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री आशंकित हो गए हैं. उनको लग रहा है कि उनकी कुर्सी अब पहले की तरह बहुत सुरक्षित नहीं है और वे इसे ‘फॉर गारंटेड’ नहीं ले सकते हैं. तभी सवाल है कि क्या अगले कुछ दिनों में भाजपा कुछ और मुख्यमंत्री बदल सकती है? भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ऐसे किसी मुख्यमंत्री को नहीं हटाया जाएगा, जिसका असर उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव पर पड़े. इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी सुरक्षित है. इसका कारण यह है कि वे भाजपा के इकलौते ओबीसी मुख्यमंत्री हैं और पार्टी उत्तर प्रदेश में ओबीसी, एससी की ही राजनीति कर रही है.
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वहीं बीजेपी सूत्रों का यह भी दावा है कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां के मुख्यमंत्री अब नहीं बदले जाएंगे. लेकिन जहां बाद में चुनाव हैं वहां बदलाव हो सकता है. अभी कहा जा रहा है कि दो राज्यों में भाजपा बदलाव कर सकती है. इनमें एक राज्य त्रिपुरा है, जहां कई महीनों से विधायकों की बगावत चल रही है. दूसरा राज्य हरियाणा हो सकता है. हरियाणा में किसान आंदोलन और जाट, सिखों की नाराजगी ने भाजपा को मुश्किल में डाला हुआ है. मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर से किसानों की नाराजगी बढ़ी है और कई जगह उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. इसलिए वहां बदलाव की संभावना है.
राजनीतिक दलों को अपना मुख्यमंत्री बनाने और बदलने का पूरा अधिकार है. लेकिन बार-बार मुख्यमंत्री बदलने की मजबूरी पार्टी की अंदरूनी उठापटक की तरफ इशारा करती है. इधर बीजेपी में उत्तरप्रदेश, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, और मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री अपनों के ही निशाने पर हैं. यूपी को छोड़ करीब सभी राज्यों के हाल ज्यादा ठीक नहीं है. मध्यप्रदेश और हरियाणा में तो मुख्यमंत्री कब बदल दिए जाए ये कहा नहीं जा सकता है. लेकिन पॉलिटॉक्स के सूत्र बताते हैं कि भाजपा हाईकमान पांच राज्यों के चुनाव में बिजी होने से पहले जहां हो सकते अपनी पार्टी सरकारों वाले राज्यों में युवा लीडरशिप तैयार करना चाहता है. ताकि अगर यूपी समेत इन राज्यों में मनचाहे परिणाम नहीं आते हैं तो आने वाले चुनावों में छिछालेदर से बचा जा सके और लीडरशिप तैयार करना तो एजेंडा है ही. अब बीजेपी हाईकमान का ‘परिवर्तन रथ’ फिलहाल थम गया है. बीजेपी का फोकस अब यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव पर है. इसके बाद जो होगा वो समय तय करेगा
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बीजेपी की मुख्यमंत्री बदलने वाली नीति पर कांग्रेस भी तंज कसती रही है. एक कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा को मुख्यमंत्री बदलने की ऐसी आदत है कि बहुत दिनों से किसी राज्य सरकार को गिराकर मुख्यमंत्री नही बदल पाए तो अपने ही पार्टी के सरकार वाले दो राज्यों में खुद के ही CM बदल दिये. क्या अगला नंबर क्या मप्र का है ?