Politalks.News/Uttarpradesh. 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणभेरी किसी भी समय बज सकती है. अब किसी भी दिन चुनाव आयोग मतदान की तारीखों का ऐलान कर सकता है. इधर, उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के सियासी जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दो सहयोगी पार्टियों के साथ तालमेल की घोषणा कर दी है लेकिन सीट बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है. कहा जा रहा है कि दोनों सहयोगी पार्टियों की सीटों की मांग के कारण भाजपा ने चुप्पी साधी है. अपना दल (Apna Dal) और निषाद पार्टी (Nishad party) की महत्वकांक्षाएं ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की है. लेकिन भाजपा के रणनीतिकार दोनों ही पार्टियों को पिछली बार से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है. वैसे भी निषाद पार्टी तो पहली बार साथ आई है. सीटों के साथ निषाद पार्टी की तो आरक्षण सहित अन्य मांगें भी हैं. अब सहयोगियों को भाजपा की ओर से पहल का इंतजार है. इनका कहना है कि सीटें तय होंगी तभी तो प्रत्याशियों के चयन की माथाफोड़ी शुरू होगी.
आपको बता दें कि भाजपा ने पिछली बार ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) की पार्टी सुभासपा के साथ चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार राजभर अखिलेश से साथ सियासी रथ पर सवार हैं. इसको देखते हुए भाजपा ने निषाद पार्टी के साथ तालमेल किया है. लेकिन बताया जा रहा है कि निषाद पार्टी के कर्ताधर्ता संजय निषाद (Sanjay Nishad) और प्रवीण निषाद ज्यादा मोलभाव करने वाले हैं. उनका मानना है कि हैसियत गठबंधन छोड़ कर गए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर से ज्यादा है.
यह भी पढ़ें- PM सुरक्षा में चूक पर कैप्टन ने फिर की राष्ट्रपति शासन की मांग, इस सियासी ‘बालहठ’ को लेकर चर्चाएं तेज
आपको यह भी बता दें कि, पहले एक बार निषाद पिता-पुत्र की जोड़ी गोरखपुर सीट पर योगी आदित्यनाथ को मात दे चुकी है. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने गोरखपुर लोकसभा सीट छोड़ी थी और उपचुनाव हुआ था तब सपा की ओर से प्रवीण निषाद ने भाजपा को चुनौती दी थी और चुनाव जीता था. उसके बाद भाजपा ने पहल करके निषाद पिता-पुत्र को अपने साथ किया और 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने गठबंधन से लड़ाया. इसलिए निषाद पार्टी ज्यादा मोलभाव कर रही है और ज्यादा सीटें मांग रही है. गौरतलब है कि, ‘पिछली बार 2017 में निषाद पार्टी अकेले 72 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ एक सीट जीत पाई थी.
बात करें भाजपा कि तो पार्टी चाहती है कि उसने पिछले चुनाव में राजभर की पार्टी को जितनी सीटें दी थीं उतने पर ही निषाद पार्टी लड़े. पिछले चुनाव में राजभर की पार्टी को भाजपा ने आठ सीट दी थी, जिसमें से वह चार पर जीती थीं. इस बार भाजपा निषाद पार्टी को इसी के आसपास पास सीटें देना चाहती है लेकिन निषाद पिता-पुत्र इसके लिए तैयार नहीं हैं.
यह भी पढ़ें- पटियाला में मोर्चा संभालने की बात कह कैप्टन ने पीएम की सुरक्षा चूक पर चन्नी-रंधावा को बताया कायर
वहीं दूसरी तरफ भाजपा की दूसरी सहयोगी अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल की तो अपना दल पिछली विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी थी और नौ पर जीती थीं. अपना दल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, पार्टी इस बार चुनाव में कम से कम 15 सीटों पर लड़ना चाहती हैं. गठबंधन में पिछली बार भाजपा ने कुल 19 सीटें छोड़ी थीं, जबकि इस बार 30 सीट छोड़ने के लिए दबाव बन रहा है. गठबंधन में सीटों की बंटवारा नहीं होने के चलते अनुप्रिया पटेल को जनसभाओं में ये भी कहना पड़ा कि इंतजार कीजिए. कुछ सियासी गपशप ये भी है कि सपा के साथ भी किसी लेवल की बात चल रही है.