Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के छठे सत्र का अगला चरण 9 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. लिहाजा सदन के अंदर विधानसभा के सदस्यों की ओर से लगाए जाने वाले सवालों की संख्या समिति रहने वाली है. आपको बता दें, गहलोत सरकार द्वारा मार्च में हुए बजट सत्र का सत्रावसान नहीं किए के जाने के चलते ये हालात बने हैं. ओस में बजट सत्र का एक हिस्सा 9 सितंबर से शुरु होने जा रहा है. वहीं चूंकि विधानसभा में विधायकों के एक सत्र में सवाल पूछने की सीमा है, सदन में एक सत्र में एक सदस्य 40 तांराकित और 60 अतारांकित सवाल ही लगा सकते है. ऐसे में सदन में ज्यादा सवाल लगाने के मामले से सक्रिय रहने वाले 25 सदस्य जिन्होंने अपने सवालों का कोटा मार्च में ही पूरा कर लिया है वो इस सत्र में सवालों से वंचित रहने वाले हैं.
बताया जा रहा है कि अब नियमों का हवाला देकर जिन सदस्यों के कुल 100 सवाल लग चुके हैं, अब बजट सत्र के इस चरण में ऐसे विधायकों के सवालों को विधानसभा सचिवालय स्वीकार नहीं करेगा. भाजपा अब यह मामला 9 सितंबर को होने वाली कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में उठाएगी. भाजपा विधायक रामलाल शर्मा सदन के ऐसे विधायक हैं जो 99 के फेर में फंसे हैं. उन्हें केवल एक प्रश्न लगाने की इजाजत मिली है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इसे विधायकों के अधिकार का उल्लघंन बताया है तो उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सरकार ने कहा कि जानबूझकर विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं किया, जिसके चलते इसी बजट सत्र में मानसून सत्र भी शामिल हो गया. इस वजह से विधायक सदन में सवाल नहीं पूछ पाएंगे. हालांकि मुख्य सचेतक महेश जोशी ने तंज कसते हुए कहा कि, ‘शायद BJP नेताओं को नियम, प्रक्रिया और कानून की जानकारी नहीं है, मैं दावे से कहता हूं कि सदन में किसी भी नियम, प्रक्रिया और कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है.
ये विधायक नहीं पूछ पाएंगे सवाल
विधानसभा सत्र में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और आमेर विधायक सतीश पूनियां, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़, भाजपा विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रकांता मेघवाल, धर्म नारायण जोशी, नारायण सिंह देवल, प्रताप सिंह सिंघवी, फूल सिंह मीणा, बिहारीलाल बिश्नोई, वासुदेव देवनानी, शंकर सिंह रावत, सुरेश टांक, हमीर सिंह भायल, अविनाश गहलोत, गोपीचंद मीणा, जोराराम कुमावत, अमृत लाल मीणा और सुमित गोदारा के नाम प्रमुख हैं. वहीं वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भरत सिंह, मदन प्रजापत और शकुंतला रावत भी इस सूची में शामिल हैं. निर्दलीय विधायकों में बलजीत यादव और लक्ष्मण मीणा भी मौजूदा सूची में शामिल हैं.
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विधायकों के अधिकारों का हनन- कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इसे विधायकों के अधिकारों का हनन बताया है. कटारिया ने कहा कि,’विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से भी इस मसले पर बात की और उनसे आग्रह किया गया है कि अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए विधायकों को उनके अधिकार वापस दिलवाएं’. कटारिया ने कहा कि, ‘9 सितंबर को होने वाली कार्यसलाहकार समिति की बैठक में यह मामला उठाया जाएगा.
सवाल ना पूछ पाना हमारे विशेषाधिकार का हनन- राठौड़
9 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में करीब 25 सदस्य ऐसे है जो प्रश्न लगाने से वंचित रहने वाले हैं जिसमें भाजपा और कांग्रेस समेत निर्दलीय विधायक शामिल है. इस मामले को लेकर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को लिखे पत्र में विधानसभा के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 33 (1) के अन्तर्गत प्रश्न पूछ लिए हैं. ऐसे में अब इन परिस्थितियों में प्रश्न पूछने के अधिकार से वंचित हो गए’. राठौड़ ने कहा कि, ‘विधानसभा के नियम 157 के अन्तर्गत विशेषाधिकार हनन है’. राठौड़ ने कहा कि, ‘नियम 307 का उपयोग करके विधानसभा सदस्यों के अधिकारों की रक्षा की जाए’.
देवनानी का तंज- ‘सक्रियता बन गई है अभिशाप’
भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी छठे सत्र यानि बजट सत्र के दौरान चालीस तांराकित और साठ अतारांकित प्रश्न लगा चुके, लेकिन अब वो कोई सवाल नहीं लगा सकते हैं. इस मामले में देवनानी ने कहा कि, ‘सत्र की आड़ में ऐसे सक्रिय सदस्यों को सवाल लगाने की अनुमति नहीं देना उनके साथ अन्याय है. ऐसे में सक्रियता अभिशाप हो गई है’, देवनानी ने कहा कि, ‘सत्रावसान नहीं होने के कारण अन्त:सत्रकालीन सवाल भी नहीं लगा सके’.
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‘विधानसभा सत्र पींग-पोंग के खेल जैसा हो गया’- भरतसिंह कुन्दनपुर
सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायक भरतसिंह कुन्दपुर ने सदन में सौ सवाल से ज्यादा नहीं लगने के मामले में कहा कि, ‘विधानसभा सत्र पींग-पोंग के खेल जैसा हो गया है जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर खेलते हैं. लेकिन फिर भी सत्र के दौरान रचनात्मक कार्य करने की कोशिश करेंगे’. भरतसिंह ने कहा कि, ‘सवाल नहीं लगा सकेंगे तो सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, विशेष उल्लेख के प्रस्ताव के जरिए सदन में बात रखने की कोशिश करेंगे’.
मुख्य सचेतक महेश जोशी का दावा- नहीं हुआ नियमों का उल्लंघन
बीजेपी और कांग्रेस विधायकों को आरोपों पर मुख्य सचेतक महेश जोशी का भी बयान आया है. बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने विपक्षी दल BJP पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘शायद BJP नेताओं को नियम, प्रक्रिया और कानून की जानकारी नहीं है. आरोप लगाने के बजाए BJP के नेता ये बताएं की किन नियम, प्रक्रिया और कानूनों का उल्लंघन हुआ है’. महेश जोशी ने दावा करते हुए कहा कि, ‘मैं दावे से कहता हूं कि सदन में किसी भी नियम, प्रक्रिया और कानून का उल्लंधन नहीं हुआ है. सदन चलाने में सहयोग करना विपक्ष की जिम्मेदारी होती है’. विपक्ष से अपील करते हुए जोशी ने कहा कि, ‘मैं विपक्ष से अपील करना चाहूंगा कि सदन चलाने में माननीय विधानसभा अध्यक्ष और सत्ता पक्ष का सहयोग करें‘.