Politalks.News/Rajasthan. 34 दिन से जिस तस्वीर का इंतजार था, आज वो आ ही गई. शुक्रवार को 15वीं विधानसभा का पांचवा सत्र शुरू हुआ. विधानसभा में खराब स्वास्थ्य के चलते 2 विधायकों को छोड़कर कांग्रेस और भाजपा दोनों खेमों के मिलाकर 198 विधायक मौजूद थे. दोनों खेमों की तरफ से खूब भाषणबाजी हुई और जमकर आरोप लगाए गए, लेकिन जनता के मुददेे गौण थे. भाजपा और कांग्रेस द्वारा आपसी झगड़ों के चरित्र को खूब बखान किया जा रहा था.
लेकिन एक बात जो सबसे खास रही, वो था मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विपक्ष को करारा जवाब. जवाब में आक्रमकता तो नहीं दिखी लेकिन आक्रमण हर तरह से किया. अपनी शैली के लिए पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री गहलोत ने बहुत संभलकर बोला, यूं समझ लिजिए कि कईयों के कपड़े और नाम की लाज रख ली. यूं तो मुख्यमंत्री गहलोत ने बहुत कुछ कहा लेकिन एक बात ऐसी कही, जिसमें सारा सार था. सार क्या होता है, अगर कोई ना समझे तो अलग बात है लेकिन उनकी कही दो लाइन समझ लिजिए. प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया की तरफ देखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बोले कि आपके हाईकमान ने तय कर लिया है कि “राजस्थान में सरकार गिरा कर रहेंगे, लेकिन मैने भी तय कर लिया है कि किसी कीमत सरकार गिरने नहीं दूंगा.”
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इसे आप विधानसभा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हुंकार कह लिजिए, ललकार कह लिजिए या कह लीजिए चेतावनी. मुख्यमंत्री गहलोत ने एक-एक शब्द पर भाजपा के उस केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर रखा जो एक के बाद एक राज्यों में कांग्रेस सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बनाने के काम में जुटे हैं. भाजपा के कोरोना काल के दौरान कांग्रेस फूट पर दिए गए संबोधनों के जवाब में गहलोत ने सिर्फ एक लाइन में बोला – कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेे खुद राजस्थान सरकार की कोराना प्रबंधन की तारीफ की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इतना कहना ही भाजपा के कोरोना से जुड़े सारे आरोपों की धज्जियां उड़ा चुका था.
भले ही सचिन पायलट ने घर वापसी कर ली हो लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने सदन में सतीश पूनिया और राजेन्द्र राठौड की दिल्ली यात्रा का जिक्र करते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि भाजपा नेता रात को छिपकर दिल्ली जाते हैं, फिर सुबह आकर मीडिया से कहते हैं कि हम तो कहीं गए ही नहीं. रात को छिपकर सिर्फ षडयंत्र किए जाते हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने सदन में वसुंधरा राजे और भाजपा के दूसरे नेताओं के बीच के मामलों को भी हल्का सा छुआ. लेकिन संकेत में तो सबको ही संकेत दे दिए. मामला चाहे राज्यपाल से जुड़े प्रकरण का हो या फिर गर्वेनेंस का, मुख्यमंत्री गहलोत ने कईयों को आइना दिखा दिया.
भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में फोन टैपिंग की परम्परा नहीं रही है. सरकार गिराने का पूरा षड्यंत्र था. देश में लोकतंत्र खतरे में है. केवल 2 लोग राज कर रहे हैं. सीएम गहलोत ने कहा कि बीजेपी के लोग बगुला भक्त बन रहे हैं. तंज कसते हुए सीएम गहलोत ने कहा, 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली. मैं 69 साल का हो गया, 50 साल से राजनीति में हूं. मैं आज लोकतंत्र को लेकर चिंतित हूं.
अब आते हैं मूल खबर पर, सचिन पायलट सहित 18 कांग्रेस विधायकों के बागी होकर जाने के बाद पहले ही दिन से अशोक गहलोत जिस बात को कह रहे थे कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लोकतांत्रिक सरकारों को गिरा रहा है. कांग्रेस के विधायकों को कई राज्यों में अपने साथ लेकर सरकारें गिराने के उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने सांकेतिक शब्दों में कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने तय कर लिया है कि वो अन्य राज्यों की तरह राजस्थान सरकार को भी गिराएंगे तो उन्होंने भी तय कर लिया है कि गहलोत कभी ऐसा नहीं होने देंगे.
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34 दिनों से चल रहे राजनीतिक दंगल के बाद आज विधानसभा चली.विधानसभा में भाजपा तो अविश्वास का प्रस्ताव ला नहीं सकी. हां, गहलोत सरकार ने खुद ही विश्वास मत प्रस्तुत कर दिया जो 75 के मुकाबले 123 से पास हो गया. इस पर विधानसभा के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि विधानसभा में विश्वास मत जीतना उन ताकतों के लिए एक संदेश है जो देश में निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी हर रणनीति राजस्थान में विफल रही. सीएम गहलोत ने कहा यह लोगों की हमारे प्रति अटूट आस्था और हमारे कांग्रेस विधायकों की एकता है जिसने यह जीत दिलाई है.
बता दें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाषण के बाद सरकार की तरफ से पेश किया गया विश्वास मत ध्वनि मत से पारित हुआ और उसके तुरन्त बाद अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा की कार्यवाही को शुक्रवार21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया.