बिहार महासंग्राम: इस बार बराबरी के फेर में फंसे ‘सुशासन बाबू’, जिता नहीं पाए तो..!

बड़े भाई की भूमिका से हटे नीतीश कुमार, इस बार 'चमत्कारी' प्रदर्शन का रहेगा दबाव, लैंड फॉर जॉब का फैसला तय करेगा महागठबंधन की दिशा, चिराग पासवान को ट्रंप कार्ड बनाने की कोशिश

bihar assembly elections 2025
bihar assembly elections 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अब हर तरह की गुथ्थी सुलझ गयी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीटों का बंटवारा कर दिया है. अब मजेदार बात ये है कि गठबंधन चाहें एनडीए हो या फिर महागठबंधन, हर बार बड़े भाई की भूमिका में रहने वाले नीतीश कुमार इस बार बराबरी के फेर में फंसते दिख रहे हैं. पिछले बिहार विस चुनावों में जहां नीतीश की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 115 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार नीतीश की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 101 सीटों पर संतोष करना पड़ रहा है, जबकि इतनी ही सीटों पर भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव लड़ रही है. 2020 में हुए विस चुनावों में बीजेपी 110 सीटों पर मैदान में उतरी थी.

6 नवंबर और 11 नवंबर को दो चरणों में 243 सीटों पर हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार एनडीए में सियासी समीकरण कुछ नया है. इस बार नीतीश पर साख बचाने का दबाव अधिक है. पिछली बार नीतीश एंड टीम 115 में से केवल 43 सीटें बचा पायी थी, जबकि 74 सीट जीतने के बावजूद बीजेपी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश को विराजमान किया था. हालांकि इस बार जदयू का प्रदर्शन पिछले साल की भांति रहा और एनडीए जीत भी गया तो भी नीतीश के लिए सीएम की कुर्सी बचा पाया बिलकुल भी संभव न होगा.

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इधर, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा रा.) के मुखिया चिराग पासवान अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए हैं. बीजेपी ने बड़ा सियासी पैतरा आजमाते हुए चिराग को नीतीश के सामने लाकर खड़ा कर दिया है. ये कोई नई बात नहीं है कि चिराग नीतीश के सामने मुखर हुए हों और हर बार बीजेपी ने अपनी चुप्पी कायम रखी है. (लोजपा रा.) को 29 सीटें मिली है और वो इस सीट बंटवारे से पूरी तरह से खुश हैं. पिछली बार नीतीश से नाराज होकर चिराग की राजनीतिक पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा था और केवल एक सीट जीत सकी थी.

अन्य दल नाराज लेकिन पार्टी में रहना मजबूरी

एनडीए में कुछ ऐसी भी पार्टियां हैं जो इस सीट बंटवारे से पूरी तरह से नाखुश हैं. जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 6-6 सीटें देकर शांत किया गया है, जबकि मांझी और कुशवाहा दोनों ही इस पर आपत्ति जता चुके हैं. हालांकि सच ये भी है कि इन दोनों की पहचान केवल गठबंधन तक ही सीमित है. ऐसे में दोनों असंतुष्ठ होकर भी एनडीए में रहने के लिए मजबूत हैं. फिर भी दोनों ने एनडीए को नुकसान होने की बात कही है.

महागठबंधन के सीट बंटवारे का फैसला आज

इंडिया गठबंधन के सीट बंटवारे का फैसला आज होना संभव है. बताया जा रहा है कि यहां राजद और कांग्रेस एक ही झंडे के नीचे अलग अलग रणनीति के साथ लड़ते हुए नजर आएंगे. कांग्रेस ने तो 76 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची भी तैयार कर ली है. रालोजपा के मुखिया पशुपति कुमार पारस ने पहले ही गठबंधन को अलविदा कर दिया है. पारस बसपा के साथ अपनी राह खोज रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) के भी साथ आने की अटकलें हैं.

वहीं आम आदमी पार्टी (आप) और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जसपा) अलग अलग चुनावी मैदान में हैं. अब ये बात तो तय है कि बड़े भाई की भूमिका से बराबरी के कद पर आए ‘सुशासन बाबू’ पर किसी चमत्कारी प्रदर्शन का दबाव तो रहेगा. हालांकि उनके पास ‘ऐसा न हो तो वैसा’ का विकल्प अभी भी उपलब्ध है. चिराग को साथ रखना विपक्षी इंडिया गठबंधन के ​खिलाफ कितना उपयोगी होगा और लैंड फॉर जॉब के मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट का फैसला बिहार में इंडिया गठबंधन की किस तरह से दिशा तय करेगा, ये देखने वाली बात होगी.

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