बिहार की सियासत से जुडी बड़ी खबर, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल के गठन में एक चौंकाने वाला राजनीतिक घटनाक्रम आया सामने, दीपक प्रकाश बिना विधायक बने मंत्री पद पर हो गए आसीन, और इसके पीछे राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की कुशल राजनीतिक चाल बताई जा रही है, इस घटनाक्रम को एनडीए (एनडीए) में सीटों के बंटवारे के समय उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है, कहा जाता है कि जब उनकी नाराजगी बढ़ी थी, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्हें एक एमएलसी सीट देने का किया गया था वादा, उपेंद्र कुशवाहा ने इसी वादे का इस्तेमाल करते हुए की बड़ी राजनीतिक डील, उन्होंने अपनी पत्नी की जगह अपने बेटे, दीपक प्रकाश को बनवा लिया मंत्री, दीपक प्रकाश ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है, बता दें अब दीपक प्रकाश को मंत्री बने रहने के लिए छह महीने के भीतर विधानमंडल (विधान परिषद या विधानसभा) का सदस्य बनना अनिवार्य है, इससे एमएलसी सीट की उनकी दावेदारी पक्की हो गई, वही दीपक प्रकाश के बारे में उनके पिता उपेंद्र कुशवाहा ने बताया-वह कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर चुके हैं और एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुके हैं,अब वह एमएनसी की नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए



























