राष्ट्रीय स्वयंसेवक से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (भामस) ने नीति आयोग पर आरोप लगाया है कि वह देश में रोजगार के अवसर खत्म करने में जुटा है. उसने सरकार से नीति आयोग का पुनर्गठन करने की मांग भी की है. दिल्ली में हाल ही भामस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. बैठक के बाद भामस अध्यक्ष शाजी नारायणन ने कहा कि एक तरफ जहां सरकार गंभीरता से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बनाने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ नीति आयोग जैसी संस्थाएं रोजगार खत्म करने में लगी हुई हैं. नीति आयोग का सिर्फ एक ही लक्ष्य दिखता है, सरकारी संपत्तियों का निजीकरण.
नारायणन ने पत्रकारों को बताया कि नीति आयोग मुख्य रूप से सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री के अभियान में जुटा हुआ है. इसका भारतीय मजदूर संघ सख्त विरोध कर रहा है. सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री के फैसले से पहले मजदूर संगठनों को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए. नीति आयोग किसी भी मजदूर संगठन से सलाह-मशविरा नहीं कर रहा है.
भारतीय मजदूर संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तीन दिन चली. सोमवार को प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें निजीकरण और विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के सरकार के प्रयासों की आलोचना की गई. इसमें कहा गया है कि जिस तरह अंधाधुंध तरीके से निजीकरण के प्रयास हो रहे हैं, वह राष्ट्रीय हित में नहीं है और इससे विनिर्माण क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचेगा. नारायणन ने आरोप लगाया कि नीति आयोग को विदेशी विशेषज्ञ चला रहे हैं, जिन्हें देश के जमीनी हालात की जानकारी नहीं है.
नारायणन ने कहा, आप नीति आयोग में जाएं, वहां सभी विदेशी अनुदान से चलने वाली एनजीओ के लोग बैठे मिलेंगे. हावर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े लोग वहां मार्गदर्शन देते हैं. उनके लिए हार्वर्ड की अंतिम सत्य है. जब तक प्रशासन में भारतीय तरीके से सोचने वाले नहीं होंगे, तब तक स्थिति बदलने वाली नहीं है. उन्होंने वाहन उद्योग में चल रही मंदी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए. नारायणन ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र के कुल उत्पादन में से 49 फीसदी वाहन उद्योग से होता है. सरकार स्थिति को संभालने के लिए कुछ नहीं कर रही है.
भामस ने रेलवे और डिफेंस क्षेत्रों में निजीकरण का विरोध करते हुए इन क्षेत्रों के कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन किया है. डिफेंस क्षेत्र में कर्मचारियों की हड़ताल में भामस का प्रमुख योगदान है. रेलवे में अन्य मजदूर संगठनों ने हड़ताल की अपील की है, जिसका भामस ने समर्थन किया है. सरकार की गलत आर्थिक और रोजगार नीतियों के खिलाफ भामस ने 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देशव्यापी जागरूकता सप्ताह चलाने का फैसला किया है. 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय जयंती से लेकर 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक यह जागरूकता सप्ताह चलेगा.
जागरूकता सप्ताह के तहत ब्लॉक और जिला स्तर पर कार्यक्रम होंगे और जनता को सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के प्रति जागरूक किया जाएगा. नारायणन ने कहा कि इसके बाद आंदोलन शुरू करने की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार जिस तरह चल रही है, वह देश को चलाने का सही तरीका नहीं है. नीति निर्माण प्रक्रिया एकतरफा नहीं हो सकती. इसमें जनता की भी भागीदारी होनी चाहिए.
भामस के प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार और इसके सलाहकार सार्वजनिक क्षेत्र को लेकर गलतफहमी पाले हुए हैं और उन्हें निजीकरण में देश की भलाई दिख रही है. प्रस्ताव में सरकार से नीति आयोग के पुनर्गठन की मांग की गई है, जिसमें सामाजिक संगठनों और मजदूर संगठनों की उपेक्षा दूर हो सके. नीति निर्माण का काम सिर्फ अफसरशाही के भरोसे छोड़ना ठीक नहीं है. अफसरों को कर्मचारी विरोधी रवैया छोड़ने की जरूरत है.