मार्च में हो सकते हैं बंगाल चुनाव, संघ की पाठशाला से लौटे जेपी नड्डा कल दिखाएंगे ‘राजनीति का मेगा शो’

बीजेपी का बंगाल में एक और सियासी दांव, जेपी नड्डा कल दीदी को घेरने के लिए घर-घर मांगेंगे 'भिक्षा', ‘एक मुट्ठी चावल’ अभियान की करेंगे शुरुआत, चुनाव के दौरान हिंसा का है पुराना इतिहास, चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में तय समय से पहले करा सकता है चुनाव

मार्च में हो सकते हैं बंगाल चुनाव, संघ की पाठशाला से लौटे जेपी नड्डा कल दिखाएंगे 'राजनीति का मेगा शो'
मार्च में हो सकते हैं बंगाल चुनाव, संघ की पाठशाला से लौटे जेपी नड्डा कल दिखाएंगे 'राजनीति का मेगा शो'

Politalks.News/WestBengal. पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी और बीजेपी के बीच सियासी उबाल अपने चरम पर है. पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में अपनी सियासी जमीन तैयार करना चाहते हैं. ऐसे में अब एक बार फिर भाजपा ने ममता बनर्जी को घेरने के लिए नया सियासी दांव आजमाया है. जिसके चलते कल यानी 9 जनवरी को एक बार फिर बंगाल की धरती पर भारतीय जनता पार्टी ‘राजनीति का मेगा शो‘ करने जा रही है. इस सियासी शो की अगुवाई भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे.

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को घेरने के लिए बीजेपी के रणनीतिकार पिछले दिनों अहमदाबाद से संघ की पाठशाला से चुनावी ज्ञान लेकर लौटे हैं. इनमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हैं. बंगाल में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले वह सभी दांवपेच चलना चाहती है जिन पर ममता बनर्जी की पकड़़ है. आइए अब आपको बताते हैं इस बार भाजपा अध्यक्ष दिल्ली से बंगाल वासियों को क्या लुभाएंगे. कल जेपी नड्डा बंगाल के पूर्वी बर्धमान में ‘एक मुट्ठी चावल’ अभियान की शुरुआत करेंगे, ‘भिक्षाटन के एक मुट्ठी चावल-दाल से भाजपा कार्यकर्ता गांवों में भोजन करेंगे.’ यही नहीं जेपी नड्डा यहां पर लंबा रोड शो भी करेंगे, उसके बाद भाजपा अध्यक्ष किसान के घर भोजन भी करेंगे.

बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती कि यहां के किसान नाराज हों. कल से भाजपाई बंगाल में 48 हजार गांवों में किसानों के घर से चावल एकत्र करेंगे. इस अभियान का उद्देश्य है कि घर-घर तक भाजपा के लक्ष्यों को पहुंचाना. पार्टी की यह मुहिम ऐसे समय में आरंभ की जा रही है, जब किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि बर्धमान में ममता बनर्जी का दबदबा है, यहां 25 विधानसभा सीटों में से 19 पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. इसीलिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का यहां दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

दिसंबर महीने में बंगाल दौरे पर जेपी नड्डा पर हुआ था हमला

बता दें कि इससे पहले भाजपा अध्यक्ष ने दिसंबर, 2020 में पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर गए थे. इस दौरान वह जब कोलकाता से दक्षिण 24 परगना जिले जा रहे थे तो जेपी नड्डा के काफिले पर पत्थर फेंके गए थे. पथराव की घटना में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की कार में तोड़फोड़ की गई. नड्डा पर हमले के बाद भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठाए थे, लेकिन इस बार बंगाल भाजपा के नेता और कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए तैयार है. बंगाल भाजपा इकाई ने ममता बनर्जी और टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में हिंसा भाजपा पार्टी को नहीं रोक पाएगी. बता दें कि भाजपा ने वीडियो शेयर किया, जिसमें नड्डा के काफिले पर हमले के दृश्यों को जोड़ा और प्रधानमंत्री मोदी के एक पिछले बयान को भी जोड़ा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा.’

आयोग पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव तय समय से पहले करा सकता है

भाजपा केंद्रीय आलाकमान के जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल में दौरे तेज हो गए हैं उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग यहां विधानसभा चुनाव तय समय से पहले करा सकता है. दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस और वामदलों ने भी चुनाव के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है. यहां हम आपको बता दें कि मई महीने में बंगाल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. लेकिन इस दौरान सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा की वजह से संभव है कि निर्वाचन आयोग एक या दो महीने पहले चुनाव करा सकता है. ऐसे में अगर मार्च महीने के मध्य से मतदान प्रक्रिया शुरू होती है, तो प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम 45 दिन का समय लगेगा. इसे देखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग फरवरी में ही बंगाल विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा कर सकता है.

चुनाव के दौरान हिंसा का है पुराना इतिहास

बता दें कि आयोग को हमेशा से ही बंगाल में चुनाव कराने के लिए बहुत तैयारी करनी पड़ती है क्योंकि यहां चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है. वामदलों की सरकार में ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ जिसमें हिंसा नहीं हुई हो. दो साल पहले बंगाल में हुए पंचायत चुनावों में भी भारी हिंसा हुई थी. इसे देखते हुए निर्वाचन आयोग को कम से कम 7 या 8 चरणों में चुनाव कराने होंगे.