राजस्थान में पहले चरण की 13 लोकसभा सीटों पर हुई वोटिंग ने 67 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. भीषण गर्मी के बावजूद लोगों ने बंपर मतदान करते हुए नया इतिहास रचा. इन सीटों पर 68.16 प्रतिशत मतदान हुआ है. भारी मतदान के बाद जहां कांग्रेस 13 में से तीन सीटों पर ही जीत मानकर चल रही है जबकि बीजेपी 12 सीटों पर जीत तय मान रही है.
सियासत में यह धारणा बनी हुई है कि वोट प्रतिशत घटने से कांग्रेस को फायदा होता है जबकि बढ़ने से बीजेपी को फायदा होता है. ऐसे में पहले फेज की वोटिंग के बाद कांग्रेसी खेमे में अभी से मायूसी दिखने लगी है. दिग्गज नेता वोटिंग ट्रेंड का विश्लेषण कर रहे हैं. सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रभारी अविनाश पांडेय बूथवाइज मतदान प्रतिशत के आंकड़ो को खंगालने में जुटे हुए हैं.
अविनाश पांडेय लोकसभा सीटों पर भेजे गए पर्यवेक्षकों और उम्मीदवारों से बढ़े हुए मतदान प्रतिशत की हकीकत जानने में जुटे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक अब तक मिले फीडबैक के अनुसार पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. ‘पॉलिटॉक्स न्यूज’ ने जब 13 सीटों के वोटिंग ट्रेंड की पड़ताल की तो कई चीजें निकलकर सामने आई.
आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि सिर्फ वोटिंग घटने या बढ़ने से कांग्रेस-बीजेपी की हार-जीत का आकलन नहीं किया जा सकता. कई चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बावजूद कांग्रेस ने जीत दर्ज की है और बीजेपी वोटिंग प्रतिशत कम रहने पर फतह हासिल कर चुकी है. हालांकि ज्यादातर बार वोटिंग बढ़ने का फायदा बीजेपी को हुआ है.
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते राजस्थान में इन 13 सीटों पर 64.27 फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार इन सीटों पर 3.90 ज्यादा वोटिंग हुई है. यह बढ़ी हुई वोटिंग क्या एक बार फिर मोदी लहर के चलते बीजेपी के पक्ष में हुई है या कांग्रेस के समर्थन में लोग मतदान केंद्र तक ज्यादा संख्या में पहुंचे?
‘पॉलिटॉक्स न्यूज’ की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार 13 सीटों पर मोदी लहर कायम है और कांग्रेस के पक्ष में कोई अंडर करंट नहीं है. यानी ज्यादा वोटिंग से बीजेपी को फायदा होगा और कांग्रेस को नुकसान. वोटिंग के आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि अजमेर लोकसभा सीट को छोड़कर सभी जगह ज्यादा लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे हैं. अजमेर में भी वोटिंग प्रतिशत गिरने को कांग्रेस की जीत से जोड़कर नहीं देखा जा रहा, क्योंकि पार्टी के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला के बाहरी होने के चलते कांग्रेस के मतदाताओं ने उदासीनता दिखाई. पिछली बार खुद सचिन पायलट मैदान में थे इसलिए मतदान प्रतिशत बढ़ा था.
बंपर वोटिंग के बाद कांग्रेस टोंक-सवाई माधोपुर, जोधपुर और बाड़मेर में ही जीत मानकर चल रही है. जोधपुर में सियासत के जादूगर कहे जाने वाले सीएम अशोक गहलोत की रणनीति के चलते कांग्रेसी जीतकर मान चल रहे हैं. हालांकि इस सीट पर भी कई कांग्रेसी जीत पर संशय जता रहे हैं. वहीं, बाड़मेर सीट को कांग्रेस अपने खाते में मान रही है. हालांकि यहां अंतर उम्मीद से कम बताया जा रहा है.