Politalks.News/Rajasthan. राष्ट्रमंडल संसदीय संघ राजस्थान शाखा के तत्वाधान में आज राजस्थान विधानसभा में ‘संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाओं’ को लेकर आयोजित हुई सेमिनार में पहले सत्र में बोलते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘देश में विधान मंडल सबसे ज्यादा मजबूत होता है. ऐसे में उसे सीखने की ललक होनी चाहिए’. वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सेमिनार में अपनी ‘यादों को पिटारा’ खोल दिया. विधानसभा में हुए सेमिनार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत से जुड़े कई संस्मरण सामने रखे. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘राजनीति में कटुता के लिए जगह नहीं होनी चाहिए, मेरे सबसे बेहतर संबंध रहे हैं’.
‘भैंरो बाबा ने भिजवाया था गोस्त, बोले- तुम कश्मीरी हो, गोश्त खाने वाले हो’
पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैंरो सिंह शेखावत से जुड़ा संस्मरण के बारे में बताते हुए आजाद ने कहा कि, ‘एक बार मैं भैरोसिंह जी के खिलाफ प्रचार करने उनके निर्वाचन क्षेत्र में जा रहा था. एयरपोर्ट पर ही शेखावत साहब मिल गए, उन्होंने मुझसे कहा कि उनका एक वर्कर निर्वाचन क्षेत्र में मिलेगा, वह आपके लिए गोश्त लेकर आएगा. आप कश्मीरी हो, गोश्त खाने वाले हो. मैं शेखावत साहब के खिलाफ प्रचार करने आया था और उन्होंने मेरे लिए गोश्त भिजवाया. यह संबंधों की प्रगाढ़ता होती है’.
‘अच्छे रिश्तों का निकाला गया गलत अर्थ, मैं जा रहा हूं भाजपा में’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इस दौरान इशारों ही इशारों में यह कह दिया कि सदन में दूसरी पार्टी के नेताओं में संबंध होने चाहिए, लेकिन कभी-कभी इसका गलत अर्थ निकल जाता है. यही कारण था कि मेरे बारे में भी यह कहा गया कि, ‘मैं भाजपा ज्वाइन कर रहा हूं. लेकिन मैं कहीं नहीं जा रहा था’.
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‘जब आया था प्रचार करने, भैंरो सिंह जी ने भिजवाया था गोश्त’
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘मैं भैरोसिंह शेखावत के चुनाव क्षेत्र में गया. चुनावी सभा की और उनकी सरकार के खिलाफ बोला, लेकिन राजनीति के कारण हमने कभी व्यक्तिगत संबंधों में कटुता नहीं आने दी. चुनाव में मैंने कभी विपक्ष के उम्मीदवार का नाम नहीं पूछा क्योंकि मुझे उसके खिलाफ नहीं बोलना था, मैं उसके खिलाफ क्यों बोलूं, हमें अपने कामों पर बोलना है’.
‘पंडित जी ने खुराना जी को भेजा था मेरे पास, बोले सिखाओ इनको संसद कैसे चलती है’
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘पक्ष और विपक्ष में बेहतर सांमजस्य से जनता को फायदा होता है. मैंने हमेशा इसका ध्यान रखा. मैंने वो टिप्स केवल अटल बिहारी वाजपेयी को बताए थे. नरसिम्हा राव के समय हम दो लोगों ने सदन चलाया. हर तीसरे दिन में वाजपेयी जी का खाना मेरे यहां होता था, तो मेरा खाना वाजपेयीजी के यहां. वाजपेयी विपक्ष के नेता थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री था’. अटल जी के बारे में बताते हुए आजाद ने बताया कि, ‘जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो पहला फोन उन्होंने मुझे किया, मैं तो विपक्ष में था और उससे पहले ससंदीय कार्य मंत्री रह चुका था. वाजपेयी जी ने मुझसे कहा कि मदनलाल खुराना को भेज रहा हूं, इन्हें संसदीय कार्य मंत्री बना रहा हूं, उसे जरा समझाना कि सदन कैसे चलाना है, उस समय तक मंत्रियों को विभाग तक नहीं बंटे थे’. आजाद ने बताया कि, ‘खुरानाजी आए, मुझे जो बताना था वह बताया. यह उनके विश्वास की बात थी’. आजाद ने कहा कि, ‘मेरी सबसे प्रगाढ़ता रही है. पक्ष विपक्ष के नेताओं के बीच अच्छे संबंधों का फायदा सदन चलाने से लेकर बिल पास होने तक हर जगह होता है.
‘हमारे यहां के सांसद और विधायक हैं लाचार, विकसित देशों में ऐसा नहीं होता’
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘हमारे आज विधायक और सांसद सबसे लाचार हैं. विदेशों में 70 फीसदी लोगों ने सर्वे में कहा विधायकों-सांसदों का काम कानून बनाना है, क्योंकि संविधान में हमारी पहली जिम्मेदारी कानून बनाने की हैं. आज अमेरिका, यूके विकसित देशों में यह बातें इसलिए की जाती हैं, क्योंकि वहां विधायक, सांसद के पास पानी, बिजली, सड़क बनाने की सिफारिश के लिए कोई नहीं आता. वहां सांसद विधायक के पास बुनियादी समस्याओं से जुड़े कामों के लिए कोई नहीं आता’. आजाद ने कहा कि, ‘हमारे देश में अलग दिक्कत है. हम गुलाम रहे और हमारी संपत्ति भी बाहर ले गए, इसलिए हमारे यहां संसाधनों की दिक्कत है. विधायक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की बुनियादी सुविधाओं के लिए सिफारिश करनी होती है. विकसित देशों में पानी, बिजली, सड़क तबादले के लिए लोग सांसद-विधायकों के पास नहीं जाते’.
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‘एक बार मंत्री बन गए तो लोग जीवन भर करवाते हैं सिफारिश’
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा- ‘हमारे यहां लोग सत्ता और विपक्ष नहीं देखते, सिफारिश करवाने आते ही रहते हैं. आप अगर किसी विभाग के मंत्री रह गए तो उससे आपका पीछा मरने के बाद ही छूटेगा. जब तक आप जीएंगे लोग उस विभाग से जुड़ी सिफारिश करवाने आएंगे. अगर कोई नेता किसी विभाग का मंत्री रह गया तो लोग उसके विपक्ष में होने के बाद भी सिफारिश करवाने आते हैं’. आजाद ने कहा कि, ‘विभाग के अफसर चाहे हमें भूल गया हो, लेकिन लोग नहीं भूलने देते. कोविड के वक्त मेरे पास देश भर से अस्पतालों के लिए फोन आए, क्योंकि मैं स्वास्थ्य मंत्री रह चुका था’.
‘राजनीति में नहीं होती है प्राइवेसी, परिवार को नहीं दे पाते हैं समय’
पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा- ‘राजनीति में खासकर विधायक-सांसदों की हमारी प्राइवेसी रहती ही नहीं है, जबकि कार्यपालिका और न्यायपालिका में यह दिक्कत नहीं है. हम परिवार को वक्त नहीं दे पाते’. पुरानी यादों को ताजा करते हुए आजाद ने कहा कि, ‘मैं एक बार मेरे बच्चों के स्कूल गया तो बेटे के दोस्तों ने कहा कि तेरे पापा जैसे लगते हैं, जबकि मैं खुद था. यह इसलिए क्योंकि हम बच्चों और परिवार को समय दे ही नहीं पाते. जब हम 70 साल के आसपास हो जाते हैं, तब इसका अहसास होता है’.