राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवादित भूमि/अयोध्या विवाद मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट मं 14वें दिन की सुनवाई हुई. इस दौरान राम जन्मभूमि पुनरूद्वार समिति ने अपनी दलीलें सीजेआई के समक्ष पेश की. समिति की ओर से वकील पीएन मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि अयोध्या में मंदिर बाबर ने नहीं बल्कि औरंगजेब ने तुड़वाया था. उसके बाद यहां मस्जिद बनवाई. मिश्रा ने अपने दावे को साबित करने के लिए समिति की ओर से कुछ प्राचीन मुस्लिम किताबें सबूत के तौर पर पेश की गयी. हालांकि एक किताब पर मुस्लिम पक्षकार ने आपत्ति जताई.

राम जन्मभूमि पुनरूद्वार समिति के वकील ने कोर्ट को बताया कि पहली बार किसी ने शिलालेख को 1946 में देखा था जब मजिस्ट्रेट वहां गया. तब यह स्वीकार किया गया कि शिलालेखों को वहां 1934 में किसी ने रखा. मिश्रा ने बाबरनामा और तुज्क-ए-बाबरी नामक किताबों के गायब पन्नों के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निष्कर्ष को पढ़ा. उन्होंने कहा कि केवल 1528 ईसवीं (935 हिजरी) के 3 दिनों से संबंधित पेज गायब है जबकि शिलालेख यह बताते हैं कि मस्जिद की नींव 935 हिजरी में रखी गयी. बाबरनामा में किसी मीर बाकी नाम के व्यक्ति का जिक्र नहीं किया गया.

मिश्रा ने ये भी बताया कि भगवान राम का प्राचीन मंदिर बाबर ने नहीं बल्कि औरंगजेब ने तोड़ा था.

इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने मिश्रा से पूछा कि जन्मस्थान पर आपका हक कैसे है? इस पर वकील पीएन मिश्रा ने जवाब देते हुए कहा कि मेरा दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनायी थी.

अगर अदालत वकील पीएन मिश्रा के दावे को स्वीकार करती है तो सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत साबित हो जाएगा.

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