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राजस्थान में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव मिली करारी हार के बाद पार्टी के भीतर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी ने टोडाभीम विधायक पीआर मीणा को नसीहत दी है और उनसे जवाब मांगा है. आपको बता दें कि मीणा ने बुधवार को यह कहकर कांग्रेस में हलचल मचा दी थी कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिम्मेदार हैं यदि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया होता तो यह नौबत नहीं आती. उन्होंने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी की.

आज भी इस मामले में हलचल देखने को मिली. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने विधायक पीआर मीणा से फोन पर बात की और उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने के लिए कहा. पांडे ने विधायक से कहा कि अगर आपको कोई बात कहनी है तो इसके लिए पार्टी के मंच का इस्तेमाल करना चाहिए. मीडिया में इस तरह के बयान देने से पार्टी की अनुशासित छवि को धक्का लगता है. आगे से निवेदन है कि आप ऐसा करने से बचे.

अविनाश पांडे ने प्रदेश के कांग्रेसजनों के नाम एक संदेश भी जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा, ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी के लिए उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों के कारण लक्ष्य से भ्रमित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सबके लिए पार्टी हित स्वहित से सर्वोपरि होना चाहिए. पिछले दिनों कुछ ऐसे घटनाक्रम संज्ञान में आए हैं जिनसे पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा.’

प्रभारी सचिव ने संदेश में आगे कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी देश का प्रमुख राष्ट्रीय दल है परंतु इस समय हम कुछ ही प्रदेशों में सत्ता में है जहां हमारा संकल्प जनसेवा, जन कल्याण एवं सुशासन प्रदान करना है. हम सभी कांग्रेसजनों का दायित्व है कि अनुशासित रहें और ऐसा कोई आचरण एवं वक्तव्य सार्वजनिक तौर पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त नहीं करे जिससे प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति निहित स्वार्थवश पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है या निजी एजेंडे पर कार्य कर रहा है.’

पांडे ने संदेश में लिखा है, ‘ऐसे कृत्य को अंजाम देने से हमारे द्वारा विपक्षी पार्टी भाजपा के कांग्रेस के प्रति नकारात्मक उद्देश्यों की पूर्ति हम स्वयं कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को हानि पहुंचाने के उनके एजेंडे को हमारे द्वारा ही आगे बढ़ाया जा रहा है. पार्टी हित में हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि पार्टी की छवि को ठेस न पहुंचे और हमें पार्टी के अनुशासित सिपाही की तरह विषम परिस्थितियों में एकजुटता का परिचय देना चाहिए. इतिहास गवाह है कि संगठन के अनुशासित 10 लोग भी हजारों लोगों पर भारी पड़ते हैं और अपने संगठन की साख को कायम रखने में कामयाब रहते हैं.’

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