पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टर्स की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला लिया है. इसके तहत स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए इस तह के हमले को गैर जमानती अपराध घोषित कर दिया है. स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वाले हमलावरों को 50 हजार तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है वहीं गंभीर हमले में 6 महीने से 7 साल की कैद और एक लाख से 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. साथ ही अगर मेडिकल पर्सन की संपत्ति को नुकसान होता है तो दोगुना वसूलने की तैयारी चल रही है. देश के कई स्थानों पर चिकित्साकर्मियों पर हमले की घटनाओं की पृष्ठभूमि में मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है.
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इस संबंध में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए बताया कि इस देश को महामारी के संकट से बचने का जो स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे हैं, ऐसे लोग दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं. अब स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ होने वाले हमलों और उत्पीड़न को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इन कर्मियों के ख़िलाफ़ हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी. उनकी सुरक्षा के लिए सरकार पूरा संरक्षण देने वाला अध्यादेश जारी करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्ताक्षर के बाद ये तुरंत प्रभाव से जारी होगा. अध्यादेश में सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
जावडेकर ने बताया कि डॉक्टर्स पर हमला और इस तरह का कोई भी अपराध ग़ैर जमानती होगा जिसके तहत 3 महीने से 5 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है. 50 हज़ार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी वसूला जाएगा. ज्यादा नुकसान हुआ तो 6 महीने से 7 साल तक की सज़ा हो सकती है. ऐसे मामलों में 30 दिन के भीतर मुकदमा शुरू हो जाएगा और एक साल में फैसला आएगा. अगर स्वास्थ्यकर्मी की गाड़ी या संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो हमला करने वाले से मार्केट दर से दोगुना मुआवजा वसूला जाएगा.
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इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के डॉक्टर्स से वार्ता की थी और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया था. इससे पहले भारतीय चिकित्सा संघ ने कोरोना वायरस संकट के दौरान अपनी ड्यूटी कर रहे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों के विरोध में आज शाम एक प्रदर्शन का फैसला लिया था. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के सुरक्षा के आश्वासन के बाद आईएमए ने विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया.